बुलढाणा में रहस्यमयी बीमारी से हड़कंप: ‘गंजा वायरस’ के बाद अब नाखून गिरने लगे, गेहूं में 600 गुना अधिक सेलेनियम की आशंका aasanka Aajtak24 News

बुलढाणा में रहस्यमयी बीमारी से हड़कंप: ‘गंजा वायरस’ के बाद अब नाखून गिरने लगे, गेहूं में 600 गुना अधिक सेलेनियम की आशंका aasanka Aajtak24 News 

बुलढाणा - महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के शेगांव तहसील में इन दिनों एक अजीब और चिंताजनक स्वास्थ्य समस्या ने ग्रामीणों को घेर लिया है। पहले जहां सैकड़ों लोगों को अचानक बाल झड़ने की समस्या का सामना करना पड़ा था, वहीं अब गांवों में नाखून झड़ने की घटनाएं सामने आ रही हैं। इस रहस्यमयी बीमारी से अब तक चार गांवों के 29 लोग प्रभावित हो चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीमें जांच में जुट गई हैं और फिलहाल इसे गेहूं में सेलेनियम की अत्यधिक मात्रा से जोड़कर देखा जा रहा है। यह समस्या सबसे पहले दिसंबर 2024 में बोंडगांव गांव से शुरू हुई थी। वहां के सैकड़ों ग्रामीणों ने अचानक तेज़ी से बाल झड़ने की शिकायत की थी। कुछ ही हफ्तों में यह समस्या खटखेर, भोंगांव और अन्य गांवों तक फैल गई। स्थानीय स्तर पर इसे 'गंजा वायरस' कहा जाने लगा, हालांकि इसकी कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई थी।

अब इसी समस्या ने और गंभीर रूप ले लिया है। बोंडगांव के सरपंच रामेश्वर धारकर ने बताया, “पहले दिसंबर के अंत में कई लोगों के बाल झड़ने लगे थे, अब पिछले चार-पांच दिनों से कई लोगों के नाखून भी विकृत होकर गिरने लगे हैं। स्थिति भयावह होती जा रही है। बुलढाणा जिला स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख डॉ. अनिल बांकर ने कहा, “अब तक चार गांवों के 29 व्यक्तियों में नाखून की विकृति पाई गई है, और कुछ मामलों में तो नाखून पूरी तरह से अलग हो चुके हैं। सभी पीड़ितों को प्राथमिक उपचार देकर शेगांव अस्पताल में विस्तृत जांच के लिए भेजा गया है।

जिले में फैली इस रहस्यमयी बीमारी को लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह सतर्क हो गया है। प्रभावित गांवों में सर्वे शुरू कर दिया गया है और संदिग्ध खाद्यान्न के नमूनों की भी जांच की जा रही है। इस बीच, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अमोल गीते ने प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर बताया कि बाल और नाखून झड़ने के पीछे सेलेनियम तत्व की अधिकता एक प्रमुख कारण हो सकता है। “हमें संदेह है कि यह समस्या सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से वितरित किए गए गेहूं से जुड़ी हुई है,” उन्होंने कहा।

यह गेहूं पंजाब और हरियाणा से इन गांवों में भेजा गया था। पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. हिम्मतराव बावस्कर, जो बुलढाणा से ताल्लुक रखते हैं, ने इस संदर्भ में महत्वपूर्ण जानकारी दी। उनके अनुसार, “इस गेहूं में सेलेनियम का स्तर स्थानीय किस्मों की तुलना में 600 गुना अधिक पाया गया है, जो शरीर में विषाक्तता पैदा कर सकता है। इससे न केवल बाल झड़ते हैं बल्कि नाखून गिरना, थकान, चक्कर आना, और त्वचा संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। डॉ. बावस्कर ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह समस्या और भी गंभीर हो सकती है। उन्होंने इसे सेलेनियम टॉक्सिसिटी का मामला बताया और कहा कि यह स्थिति एलोपेसिया टोटलिस और ओनिकोमैडेसिस जैसी गंभीर बीमारियों से मिलती-जुलती है।

प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से संदिग्ध गेहूं वितरण को रोक दिया है और आपूर्ति श्रृंखला की समीक्षा शुरू कर दी है। अब तक 300 से अधिक परिवारों की स्वास्थ्य जांच की जा चुकी है और रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है। स्थ्य विभाग ने लोगों को सलाह दी है कि वे किसी भी प्रकार की त्वचा, बाल या नाखून संबंधित समस्या होने पर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें। इस रहस्यमयी बीमारी ने न केवल ग्रामीणों में डर का माहौल पैदा किया है, बल्कि यह सरकारी खाद्यान्न आपूर्ति की गुणवत्ता और निगरानी व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रही है। आने वाले दिनों में जांच रिपोर्ट से यह स्पष्ट होगा कि क्या वाकई यह मामला सेलेनियम विषाक्तता का है, या फिर कोई नया स्वास्थ्य संकट दस्तक दे रहा है।

सरकार से ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों ने सरकार से इस मामले की गंभीरता से जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। साथ ही, मांग की जा रही है कि सभी प्रभावितों को उचित मुआवजा और निःशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए। स्थ्य विभाग और खाद्य आपूर्ति विभाग के बीच अब तालमेल बढ़ाया जा रहा है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव हो सके। तब तक, बुलढाणा के इन गांवों में लोग हर नए दिन के साथ एक अनजाने खतरे का सामना कर रहे हैं।

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