पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह शर्मनाक घटना [घटना की तारीख] को मोहन नगर इलाके में घटी। बालिका, जो चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन रामनवमी के अवसर पर कन्या पूजन के लिए पड़ोस में अपनी दादी के घर गई थी, कथित तौर पर अपने ही 24 वर्षीय चाचा के शिकार बनी। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि आरोपी चाचा ने बच्ची का यौन उत्पीड़न किया और फिर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद, उसने अपराध को छिपाने के उद्देश्य से बच्ची के शव को पड़ोसी की कार में रख दिया।
घटना की जानकारी मिलते ही क्षेत्र में सनसनी फैल गई। मंगलवार को आक्रोशित सामाजिक संगठनों के सदस्य सड़कों पर उतर आए और उन्होंने इस घिनौने कृत्य के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने दोषियों के लिए कड़ी से कड़ी सजा की मांग की और पुलिस प्रशासन से मामले में त्वरित और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
मामले की संवेदनशीलता और गंभीरता को देखते हुए, पुलिस मुख्यालय ने तत्काल प्रभाव से एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। इस आठ सदस्यीय SIT का नेतृत्व दुर्ग की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (आईयूसीएडब्ल्यू - महिलाओं के खिलाफ अपराध के लिए जांच इकाई) पद्मश्री तंवर करेंगी। टीम में मोहननगर थाना प्रभारी शिवप्रसाद चंद्रा सहित सात अन्य अनुभवी पुलिस अधिकारी शामिल हैं।
इस संबंध में आदेश जारी करते हुए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि SIT प्रतिदिन कार्यवाही करेगी और प्राथमिकता के आधार पर जांच को आगे बढ़ाएगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि SIT जल्द से जल्द जांच पूरी कर अदालत में आरोप पत्र पेश करेगी, ताकि दोषियों को कानून के अनुसार कठोरतम दंड मिल सके। इसके अतिरिक्त, एक पर्यवेक्षण अधिकारी को भी नियुक्त किया गया है, जो मामले की समय पर और त्वरित सुनवाई के लिए आवश्यक कानूनी प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करेंगे।
इस भयावह घटना के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दल कांग्रेस ने राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर सरकार पर जमकर हमला बोला है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कई जिलों में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के पुतले जलाकर अपना विरोध दर्ज कराया और सरकार से इस मामले में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई करने की मांग की। विपक्षी दल ने कानून-व्यवस्था की चरमराती स्थिति का आरोप लगाते हुए उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के इस्तीफे की भी मांग की है, जिनके पास गृह विभाग का प्रभार है।
इस दुख की घड़ी में, दुर्ग जिला बार काउंसिल ने भी एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। बार काउंसिल ने घोषणा की है कि वह अदालत में आरोपियों की पैरवी नहीं करेगी। यह निर्णय समाज के उस गहरे आक्रोश को दर्शाता है जो इस अमानवीय कृत्य के बाद महसूस किया जा रहा है।
वहीं, बालिका जिस यादव समुदाय से आती है, उसने भी इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है और मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच कराने की मांग की है। समुदाय के सदस्यों ने दुर्ग कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें उन्होंने बालिका की मां के लिए 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य के लिए सरकारी नौकरी की मांग की है।
यह घटना न केवल एक मासूम बच्ची के जीवन का दुखद अंत है, बल्कि यह समाज में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी कई गंभीर सवाल खड़े करती है। यह आवश्यक है कि पुलिस प्रशासन और सरकार इस मामले में न केवल त्वरित न्याय सुनिश्चित करें, बल्कि ऐसे जघन्य अपराधों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए भी ठोस कदम उठाएं। समाज के सभी वर्गों को एकजुट होकर इस तरह की आपराधिक मानसिकता के खिलाफ आवाज उठानी होगी और एक सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए मिलकर काम करना होगा, ताकि भविष्य में कोई और मासूम इस तरह की क्रूरता का शिकार न हो। फिलहाल, सबकी निगाहें SIT की जांच पर टिकी हुई हैं, और उम्मीद है कि जल्द ही इस दर्दनाक घटना के पीछे के सभी सच सामने आएंगे और दोषियों को उनके कर्मों की सजा मिलेगी।