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रीवा में नवजात शिशुओं की हत्या का सिलसिला: क्या प्रशासन और समाज जागेगा jayega Aajtak24 News |
रीवा - मध्य प्रदेश के रीवा जिले में नवजात शिशुओं की हत्या की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। इन घटनाओं ने न केवल प्रशासन की लापरवाही की पोल खोली है, बल्कि समाज की असंवेदनशीलता को भी उजागर किया है। पिछले महीने में यह चौथा मामला है, जब एक नवजात शिशु का शव सड़कों पर लावारिस हालत में मिला और एक आवारा कुत्ता उसे मुंह में दबाए हुए गलियों में दौड़ता हुआ दिखाई दिया। इस घटना के बाद भी तमाशबीन बने लोग केवल वीडियो बनाते रहे, लेकिन किसी ने उस मासूम के शव को सम्मान देने की जहमत नहीं उठाई। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि रीवा में अवैध गर्भपात के घिनौने कारोबार में अब भी प्रशासन की आंखों के सामने गंदे खेल खेले जा रहे हैं।
विकट स्थिति में रीवा:
रीवा शहर धीरे-धीरे नवजातों के लिए कब्रगाह बनता जा रहा है। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर क्यों इस तरह की घटनाएं लगातार घटित हो रही हैं। क्या यह प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है, या फिर शहर में अवैध गर्भपात का घिनौना कारोबार एक मजबूत नेटवर्क के तहत संचालित हो रहा है, जो राजनीतिक संरक्षण प्राप्त करता है?
पिछले कुछ महीनों में कई घटनाओं में नवजात शिशुओं के शव सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर लावारिस हालत में मिले हैं। इनमें से कुछ शव तो आवारा कुत्तों के मुंह में दबे हुए थे। इस प्रकार की घटनाएं अब कोई नई बात नहीं रह गई हैं, बल्कि रीवा के नागरिकों के लिए यह एक जकड़ी हुई सच्चाई बन चुकी है। प्रशासन को इन घटनाओं के बारे में पहले से ही जानकारी थी, लेकिन उसने कोई ठोस कदम नहीं उठाए।
अवैध गर्भपात का घिनौना कारोबार:
रीवा में अवैध गर्भपात का काला कारोबार लंबे समय से चल रहा है। कुछ निजी अस्पतालों और क्लीनिकों में गर्भ में ही बच्चियों की हत्या कर दी जाती है। और अगर कोई नवजात शिशु जन्म ले लेता है, तो उसे लावारिस छोड़ दिया जाता है। यह शर्मनाक कृत्य अब तक कई बार सामने आ चुका है, लेकिन प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। कई स्टिंग ऑपरेशनों के दौरान अवैध गर्भपात के सबूत भी मिले हैं, फिर भी इन मामलों में किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की गई। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की नासमझी और लापरवाही के कारण यह अपराध बेलगाम हो गया है।
समाज की असंवेदनशीलता और प्रशासन की चुप्पी:
यह केवल प्रशासन की नाकामी का सवाल नहीं है, बल्कि समाज की भी असंवेदनशीलता का प्रतीक है। जिस समाज में नवजातों को कुत्तों के हवाले छोड़ दिया जाता है, वहां मानवता का क्या हाल होगा? यह घटना उन नागरिकों की उदासीनता का भी प्रतीक है जो सिर्फ तमाशा देखने और वीडियो बनाने में व्यस्त रहते हैं, लेकिन किसी को भी मानवता के इस शर्मनाक अपराध के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत नहीं होती। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम ऐसे जघन्य अपराधों के खिलाफ आवाज उठाएं और प्रशासन पर दबाव डालें कि वह इस मुद्दे पर तत्काल कदम उठाए।
अवश्यक कार्रवाई की मांग:
‘सौगंध धरा’ अखबार ने प्रशासन से निम्नलिखित मांग की है:
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अवैध गर्भपात रैकेट पर कड़ी कार्रवाई की जाए: सभी निजी अस्पतालों और क्लीनिकों की गहन जांच की जाए और जो अस्पताल अवैध गर्भपात का कारोबार चला रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
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रीवा में लावारिस नवजातों को बचाने के लिए सरकारी और सामाजिक स्तर पर अभियान चलाया जाए: नवजातों को बचाने और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए एक जागरूकता अभियान चलाया जाए।
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दोषियों को सार्वजनिक रूप से बेनकाब किया जाए: अपराधियों और अवैध गर्भपात करवाने वाले डॉक्टरों को जनता के सामने लाया जाए, ताकि यह काला धंधा समाज में एक मिसाल बने।
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पुलिस और प्रशासन का सक्रिय और तत्पर प्रयास: प्रशासन और पुलिस को त्वरित कार्रवाई करते हुए इस घिनौने धंधे में संलिप्त व्यक्तियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
समाज को जागरूक होने की आवश्यकता:
रीवा में नवजातों के शवों का लावारिस पड़े रहना और कुत्तों के मुंह में दबे रहना केवल प्रशासन की नाकामी नहीं है, बल्कि यह समाज की भी असंवेदनशीलता का एक दुखद उदाहरण है। जब तक हम इसे एक आम घटना की तरह देखते रहेंगे, तब तक ये घटनाएं यूं ही होती रहेंगी। यह समय की मांग है कि हम सभी मिलकर आवाज उठाएं और प्रशासन पर दबाव बनाएं कि वह जल्द से जल्द इस मुद्दे पर कड़ा कदम उठाए।
अगर प्रशासन ने समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए, तो हम यह नहीं कह सकते कि भविष्य में यह घटना नहीं दोहराई जाएगी। इसलिए, हम सभी को इस मुहिम में शामिल होकर इस घिनौने अपराध को रोकने के लिए एकजुट होकर काम करना होगा। हमें समाज के हर वर्ग को इस मुद्दे के प्रति जागरूक करना होगा, ताकि रीवा में नवजातों को कब्रगाह बनने से बचाया जा सके।