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महापुरुषों की प्रतिमाओं पर छतरी का निर्माण कराया जाए - विमल भारतीय शुक्ल sulk Aajtak24 News |
खंडवा - देश के महान क्रांतिकारी, शहीद वीर, स्वतंत्रत्ता सेनानी, लेखक , कवि, जन नायक,नेता, विचारक, समाजसेवी, स्व.प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, संत राजा, महाराजाओ , धर्मगुरुओं आदि के नाम से प्रदेश के छोटे बड़े शहरों के प्रमुख चौराहों , पार्कों,मार्गो का नामकरण करने का सिलसिला देश प्रदेश में अनादिकाल से चला आ रहा हैं।पूरे प्रदेश के शहर से लेकर नगरीय निकाय, ग्राम पंचायतों में कई महापुरुषों की प्रतिमाएं स्थापित हैं जिसमे से ज्यादातर प्रतिमाओं के ऊपर छतरी नहीं है। इन सभी प्रतिमाओं पर छतरी का निर्माण कराया जाए ताकि उनकी मर्यादा बनी रहे।साथ ही प्रदेश सरकार का यह निर्णय देशभर में सराहा जाए। यह मांग साहित्यकार, कवि, लेखक विमल भारतीय शुक्ल ने की हैं। इसको लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री से लेकर नगरीय निकाय को भी पत्र लिखा हैं। साहित्यकार विमल भारतीय शुक्ल ने बताया की वर्तमान में पूरे प्रदेश एवम खंडवा शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी कई प्रतिमाएं है जिन पर छतरी नहीं हैं । कई प्रतिमाओ को सिर्फ उनकी जयंती पर ही साफ किया जाता हैं और माल्यार्पण किया जाता हैं। उनके ऊपर धूल गंदगी भी चढ़ी रहती है , पशु पक्षियों द्वारा उनके ऊपर बैठकर गंदगी की जाती है। स्थानीय निकाय के पास के पास अमला और संसाधन होते हुए भी इनकी साफ-सफाई देखरेख की कोई व्यवस्था नहीं की जाती है। प्रशासन चाहे तो इनकी साफ सफाई ,धुलाई रोज भी की जा सकती है। नगर निगम ,नगरीय निकाय के पास भांति भांति के संसाधन अमला भी है जो इस काम को कर सकता है । सभी प्रतिमाएं जो शहर के ऐतिहासिक महत्व को बढ़ाती है और भारत के गौरव इतिहास में इनका नाम है ,उन्हें विधिवत स्थापित किया जाए इसकी भी मर्यादा हो। बिना छतरी के नई प्रतिमा स्थापित न की जाए।
डीपीआर में इनका प्रावधान जरूरी
डीपीआर में इसका प्रावधान जरूर रखा जाए। नगर निगम नगर पालिका, नगर परिषद का यह दायित्व हो की प्रतिमा स्थापित होने से पहले पूरे प्रकरण का परीक्षण करें और डीपीआर का भी। पूरे प्रदेश में भी महापुरुषों देवी देवताओं की जो भी प्रतिमाएं हैं उन्हें सूचीबद्ध किया जाकर उनके लिए सम्मानजनक छतरी का निर्माण कराया जाए। प्रतिमा स्थापना का काम स्थानीय निकाय या निजी संस्थाओं का रहता है। संस्थाओं को इनके रखरखाव पर ध्यान देने के लिए साफ सफाई, फूल माला आदि की व्यवस्था करना चाहिए।
प्रदेश के मुखिया को ध्यान देने की जरूरत
साहित्यकार विमल भारतीय शुक्ला का कहना है कि यह विषय सरकार के लिए बहुत छोटा है लेकिन मेरे लिए बहुत बड़ा है । कई वर्षों से मन में यह एक पीड़ा है, जो क्षेत्रीय प्रशासन के ध्यान में लाने का विषय नहीं रह गया है, अगर प्रशासन सजग रहता है तो शायद यह बिंदु मुझे ना उठाना पड़ता। साहित्यकार, लेखक, कवि के लिए यह विषय बहुत महत्वपूर्ण होते हैं जिनके लिए कभी-कभी प्रशासन या आमजन उतना संवेदनशील नहीं हो पाता है। आप प्रदेश के मुखिया हैं एवं शिक्षाविद हैं, आप इस विषय पर बहुत जल्दी सकारात्मक निर्णय लेने का कष्ट करेंगे, यह उम्मीद कर पत्र को आगे बढ़ा रहा हूं। देश के महान क्रांतिकारी, शहीद, स्वतंत्रता सेनानी ,लेखक ,कवि, जननायक, नेता ,विचारक, समाजसेवी ,स्वर्गीय प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, संगीतज्ञ , संत, राजा, महाराजाओं ,देवताओं , धर्मगुरुओं आदि के नाम से छोटे बड़े शहरों में चौराहों , तिराहो और पार्कों का नामकरण करने का सिलसिला देश प्रदेश में अनादिकाल से चला आ रहा है। ऐसे में इस बिंदु पर बेहद ध्यान देने की जरूरत है।