महासमुंद में लेडी डॉक्टर और नर्सों की सुरक्षा भगवान भरोसे विनोद चंद्राकर"Vinod Chandrakar, the safety of lady doctors and nurses in Mahasamund is God's trust.

महासमुंद में लेडी डॉक्टर और नर्सों की सुरक्षा भगवान भरोसे विनोद चंद्राकर"Vinod Chandrakar, the safety of lady doctors and nurses in Mahasamund is God's trust.



 महासमुंद - पूर्व संसदीय सचिव व महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने भाजपा सरकार पर लेडी डॉक्टरों और नर्सों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज बनने के बाद जिला अस्पताल में ओपीडी संख्या प्रतिदिन 600 से अधिक पहुंच गई है। महासमुंद जिला और आसपास के क्षेत्रों से मरीज बेहतर उपचार की आस में यहां भर्ती होते हैं। इन मरीजों की सेवा के लिए स्टाफ नर्स दिन-रात ड्यूटी करती हैं, लेकिन अस्पताल में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था न होने से महिला मरीजों और नर्सों में भय का माहौल है।

श्री चंद्राकर ने कहा कि आए दिन अपराधी किस्म के लोग अस्पताल के भीतर प्रवेश कर रहे हैं और कई बार बदमाशों द्वारा ड्यूटी दे रही नर्सों को चाकू दिखाकर धमकाया जाता है। हाल ही में कोलकाता में हुई एक घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था, जिससे महिला स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा का मुद्दा एक बार फिर प्रमुखता से उठ गया। इसके बाद यहां पुलिस सहायता केंद्र खोलने की बात कही गई थी, लेकिन न तो पुलिस सहायता केंद्र खोला गया और न ही पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई।

विधायक ने कहा कि प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनी द्वारा गार्ड की व्यवस्था की गई है, जो बदमाशों के सामने असहाय और कमजोर पड़ जाते हैं। उन्होंने कहा, "कोलकाता की घटना के बाद देश भर के अस्पतालों में कार्यरत लेडी डॉक्टरों और स्टाफ नर्स की सुरक्षा का मुद्दा उठाया गया था। महासमुंद जिले के डॉक्टर और नर्स भी इस आंदोलन में शामिल हुए थे। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 22 अगस्त 2024 को सभी सरकारी अस्पतालों में हथियारबंद रिटायर्ड आर्मी के जवानों को तैनात करने का आश्वासन दिया था। लेकिन, डेढ़ माह बाद भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।"

नर्सों की भर्ती की कमी पर चिंता

श्री चंद्राकर ने आगे बताया कि महासमुंद जिले को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा मेडिकल कॉलेज की सौगात दी गई थी। मेडिकल कॉलेज को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए निविदाएं भी निकाली गई थीं। लेकिन सरकार बदलने के बाद सभी निविदाएं निरस्त कर दी गईं।

उन्होंने कहा, "जिला अस्पताल में 150 स्टाफ नर्स की आवश्यकता है, लेकिन केवल 42 नर्स ही वर्तमान में कार्यरत हैं। इनमें से चार नर्स अन्यत्र पढ़ाई करने चली गई हैं। यदि यही स्थिति रही, तो नर्सों की कमी के कारण मरीजों को उचित देखभाल नहीं मिल पाएगी।"

विधायक ने कहा कि कई बार स्टाफ नर्स की भर्ती के लिए प्रदेश सरकार का ध्यान आकर्षित कराया गया, लेकिन भाजपा सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उन्होंने अंत में कहा कि यदि स्थिति में सुधार नहीं किया गया, तो न केवल मरीजों की देखभाल प्रभावित होगी, बल्कि महिला स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा भी लगातार खतरे में रहेगी।

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