संविधान पर भारी सामाजिक मर्यादा, रीवा जिले की दर्दनाक घटना ने किया शर्मसार sarmasar Aajtak24 News

 

संविधान पर भारी सामाजिक मर्यादा, रीवा जिले की दर्दनाक घटना ने किया शर्मसार sarmasar Aajtak24 News

रीवा - जिले के गुड़ इलाके में हाल ही में एक दर्दनाक घटना ने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना ने न केवल समाज के नैतिक मूल्यों बल्कि सुरक्षा व्यवस्था पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिया है। यह घटना इस बात की गवाही देती है कि किस तरह से मनुष्य नैतिक पतन की ओर बढ़ता जा रहा है और सामाजिक मर्यादाएं संविधान की सीमाओं से अधिक हावी होती जा रही हैं।  अपराधों की निरंतर हो रही वृद्धि  सुरक्षा व्यवस्था हेतु थाने  में कम है बल जनता जर्नादन होती है किन्तु भगवान भरोसे । सुरक्षा व्यवस्था माननीय एवं अधिकारीयो तक सीमित मनुष्य, जो एक चैतन्य प्राणी है, अपने कर्तव्यों और मूल्यों को भूलता जा रहा है। इस घटना से जुड़े अपराधियों ने जो आचरण दिखाया, वह मनुष्यता को शर्मसार करने वाला है। रीवा जिले में यह कोई पहली घटना नहीं है। यह लंबे समय से देखा जा रहा है कि पर्यटक और धार्मिक स्थलों पर आने वाले जोड़ों पर मनुष्य रूपी भेड़िए नजर गड़ाए बैठे होते हैं और मौका पाते ही उनकी आबरू लूट लेते हैं।

पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर सवाल

रीवा जिले में चचाई जलप्रपात, बौद्ध स्तूप गोबिंदगढ़, और पूर्व प्रताप जैसे स्थलों पर सुरक्षा की कमी के कारण आपराधिक घटनाओं की पुनरावृत्ति हो रही है। इसके अलावा, जिले में नशे की बढ़ती समस्या ने इन अपराधों को बढ़ावा दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, पहले गांजा, दारू, और भांग का इस्तेमाल आम था, लेकिन 2015 के बाद से मेडिकल नशे की समस्या तेजी से बढ़ी है, जिससे अपराधों में वृद्धि हुई है।

स्थानीय नेताओं और प्रशासन को ठहराया गया जिम्मेदार

स्थानीय नेताओं और अधिकारियों से अपील की जा रही है कि वे इन संवेदनशील स्थानों की पहचान करें और वहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करें। जिले की खुफिया एजेंसियों से इन जगहों पर गहराई से जांच करने और उचित कार्रवाई करने की मांग की जा रही है।

सामाजिक चेतना और सामूहिक प्रयास आवश्यक

विशेषज्ञों का मानना है कि इन घटनाओं पर रोक लगाने के लिए समाज को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। युवाओं को जागरूक करने और सुरक्षा उपायों का पालन करने की सीख देने के साथ ही उन्हें ऐसी घटनाओं की सूचना तुरंत देने के लिए प्रेरित करना होगा।

निष्कर्ष

अपराधों पर रोकथाम के लिए न केवल प्रशासन बल्कि समाज की भागीदारी भी अत्यंत आवश्यक है। अगर पुलिस, प्रशासन, और समाज मिलकर इन मुद्दों पर ठोस कदम उठाएं, तो निश्चित ही इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है।

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