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दीपावली अंधकार से प्रकाश की ओर, अच्छाई की जीत का पर्व दीपावली dipawali Aajtak24 News |
रीवा - दीपावली का हिन्दू धर्म का पावन व पवित्र त्यौहारों में एक माना गया है, रामायण के अनुसार भगवान श्री राम लंका विजय उपरांत माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष वनवास के बाद वापस अयोध्या लौट रहे थे तो अयोध्या वासियों ने अपने राजा के स्वागत हेतु कार्तिक मास की अमावस्या की काली रात को घी का दीपक जलाकर पूरे अयोध्या को जगमग प्रकाश से रोशन कर दिया था, दीपावली को रोशनी का त्यौहार भी कहा जाता हैं। इस वर्ष दीपावली का त्यौहार 31 अक्टूबर या 1 नवम्बर को मनाया जायेगा, इस दिन माँ लक्ष्मी व गणेश जी की पूजा होती है और धन समृद्धि के रूप में घर में वास करने का आग्रह किया जाता है, इस बीच श्री हरि विष्णु योग निद्रा में होतें है इस कारण माता लक्ष्मी के साथ श्री हरि का आह्वान नहीं किया जाता है। पहला दीपक श्री राम दियरा घाट में दीप प्रज्वलित किया था जो अयोध्या से कुछ ही दूर सुल्तानपुर जिले में आता है जलाया जाता है, यह त्यौहार विशेष रूप से अंधकार पर प्रकाश व बुराई पर अच्छाई की जीत की याद दिलाता है। इस त्यौहार की जानकारी हमे पद्मपुराण, स्कंद पुराण , काव्यमीमांसा रामायण आदि से मिलती है, साथ ही दीया सूर्य देवता का प्रतीक ऐसा भी उल्लेख है। ज्योतिषाचार्य श्री अमित व्यास जी के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को माता लक्ष्मी प्रगट हुई थी इसलिए जन्म उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इतिहास में 5000 वर्ष पूर्व मोहन जोदड़ो काल में मिट्टी के पके दीपक मिले जो मोहन जोदड़ो और हडप्पा काल से ये सिलसिला दीपों से जगमगाती दीवाली पर्व प्रचीन काल से जुड़े होने का प्रमाण देती है। हिन्दू धर्म में अगर परिवार से किसी की मृत्यु के बाद एक वर्ष तक उस परिवार में दीपावली नहीं मनायी जाती है, दीपावली में तामसी भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि माता लक्ष्मी नाराज होती है साथ ही दीपों जलाने के बाद हमे कचरे के साथ या कचरे में नहीं फेकना चाहिए क्योकि उसमें मां लक्ष्मी निवास करती है विज्ञान के युग में यह त्यौहार में कुछ परिवर्तन हुआ जहां दीपक के साथ-साथ मोमबत्ती आतिशबाजी से पर्यावरण दूषित हुआ कॉल कालांतर वर्तमान में है जिससे लोग सरसों या अन्य तेल का उपयोग करते हैं विज्ञान की दृष्टि से यह त्यौहार पर्यावरण को भी शुद्ध करता है जबकि समाज द्वारा ऐसे कार्य नहीं करना चाहिए जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ा है धार्मिक महत्वता के साथ-साथ विश्व में हर जगह सनातन धर्म अनुयाई विशेष रूप से दीपावली का त्यौहार मनाते हैं यह त्यौहार शास्त्र संबंध ढंग से मनाया जाता है।