रायपुर - छत्तीसगढ़ में वन अधिकार अधिनियम-2006 के बेहतर क्रियान्वयन के लिए आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विभाग और स्वयं सेवी संस्था अशोका ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी एण्ड एनवायरोमेंट (एटीआरईई) के मध्य एक महत्वपूर्ण समझौता (एमओयू) हुआ है।
इस एमओयू पर विभागीय मंत्री श्री रामविचार नेताम और प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए। एटीआरईई के प्रतिनिधि डॉ. शरतचंद्र लेले और विभाग की ओर से सचिव सह आयुक्त श्री नरेन्द्र कुमार दुग्गा ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि यह समझौता वन अधिकार अधिनियम के उचित अनुपालन में एक मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने उल्लेख किया कि सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (सीएफआरआर) और वन अधिकार पत्रों के डिजिटाइजेशन में जमीनी स्तर पर कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
एमओयू के माध्यम से, एटीआरईई सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (सीएफआरआर) प्रकरणों में त्रुटियों की पहचान और समाधान के लिए विभाग को जमीनी अनुभव के आधार पर सलाह देगा। साथ ही, एटीआरईई द्वारा विकसित एफआरए एटलस के लिए संभावित ग्रामों का मानचित्र और डेटा भी उपलब्ध कराया जाएगा।
इस समझौते से सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन और गौण वनोपज आधारित आजीविका वृद्धि की सुविधा के लिए नीतियों और कार्यक्रमों में सुधार के लिए सुझाव दिए जाएंगे। मंत्री ने कहा कि यह समझौता वन अधिकार अधिनियम के उचित क्रियान्वयन में सबका समन्वित प्रयास आवश्यक है।