मध्य प्रदेश में शासकीय विद्यालयों का गिरता ग्राफ, प्राइवेट स्कूलों की ओर बढ़ता रुझान - जनता चिंतित chintit Aajtak24 News |
रीवा - मध्य प्रदेश में शासकीय विद्यालयों की स्थिति लगातार चिंताजनक होती जा रही है। सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर में गिरावट और मूलभूत सुविधाओं की कमी के चलते अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजने के लिए मजबूर हो रहे हैं। यह प्रवृत्ति राज्य के शैक्षिक परिदृश्य पर गहरा असर डाल रही है, जिससे न केवल शिक्षा का स्तर प्रभावित हो रहा है बल्कि समाज में आर्थिक असमानता भी बढ़ रही है।
शासकीय विद्यालयों की स्थिति:
राज्य के कई सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। शिक्षकों की कमी, उचित प्रशिक्षण न होना, और आधुनिक शिक्षा प्रणाली का अभाव इसके प्रमुख कारण माने जा रहे हैं। गांव और कस्बों में स्थित स्कूलों में तो स्थिति और भी खराब है, जहां कई बार शिक्षक समय पर नहीं पहुंचते या कक्षाएं नियमित रूप से नहीं चलतीं। कुछ स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं, जैसे शौचालय, पीने का पानी, और पर्याप्त कक्षाएं भी नहीं होतीं। कई जगहों पर छात्र-छात्राओं को पर्याप्त शिक्षण सामग्री भी उपलब्ध नहीं होती, जिससे उनकी पढ़ाई में बाधा आती है। सरकारी स्कूलों की इस दुर्दशा के कारण अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजने के लिए मजबूर हो रहे हैं, भले ही उन्हें अधिक खर्च उठाना पड़े।
प्राइवेट स्कूलों की ओर बढ़ता रुझान:
सरकारी स्कूलों की बिगड़ती हालत ने प्राइवेट स्कूलों के लिए एक बड़ा बाजार खोल दिया है। अच्छी शिक्षा, अनुशासन, और आधुनिक शिक्षण तरीकों की तलाश में लोग प्राइवेट स्कूलों में अधिक भरोसा कर रहे हैं। इन स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम, एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज़, और पढ़ाई के बेहतर माहौल की वजह से अभिभावक इन्हें प्राथमिकता दे रहे हैं। हालांकि, प्राइवेट स्कूलों की फीस लगातार बढ़ रही है, जिससे मध्यम और निम्न वर्ग के परिवारों पर आर्थिक दबाव बढ़ गया है।
जनता की चिंता:
मध्य प्रदेश की जनता शासकीय विद्यालयों की स्थिति को लेकर गहरी चिंता व्यक्त कर रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग, जिनकी आर्थिक स्थिति प्राइवेट स्कूलों की महंगी फीस वहन करने की नहीं है, इस समस्या से सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
सरकारी योजनाओं का नाकाफी असर:
सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जैसे कि "मध्यान्ह भोजन योजना", मुफ्त किताबें, और यूनिफॉर्म, लेकिन ये प्रयास शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में नाकाफी साबित हो रहे हैं। इसके अलावा, कई योजनाओं का लाभ छात्रों तक पूरी तरह नहीं पहुंच पाता। लोगों का मानना है कि सरकार को केवल योजनाएं लागू करने के बजाय उनकी उचित मॉनिटरिंग और शिक्षकों की जवाबदेही पर ध्यान देना चाहिए।
शिक्षा विशेषज्ञों की राय:
शिक्षाविदों का मानना है कि शासकीय विद्यालयों की स्थिति सुधारने के लिए सबसे पहले शिक्षकों की कमी को दूर करना होगा और उनकी नियमित ट्रेनिंग सुनिश्चित करनी होगी। इसके अलावा, शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने और बच्चों के माता-पिता को सरकारी स्कूलों की तरफ आकर्षित करने के लिए भी प्रयास करने होंगे। शिक्षा में डिजिटल संसाधनों को बढ़ावा देना और छात्रों को आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराना भी महत्वपूर्ण होगा। मध्य प्रदेश में शासकीय विद्यालयों का गिरता ग्राफ एक गंभीर समस्या बन चुका है, जिससे समाज का एक बड़ा वर्ग प्रभावित हो रहा है। यदि सरकारी स्कूलों की हालत जल्द ही नहीं सुधारी गई, तो यह समस्या और गहरी हो सकती है। जनता की चिंता को देखते हुए सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि राज्य के सभी बच्चों को समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।