पैक्स सोसाइटी में भ्रष्टाचार, ग्रामीण विकास की जड़ों में बढ़ता संकट sankat Aajtak24 News


पैक्स सोसाइटी में भ्रष्टाचार, ग्रामीण विकास की जड़ों में बढ़ता संकट sankat Aajtak24 News 

रीवा - पैक्स (प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समिति) सोसाइटी का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण किसानों को कृषि ऋण, उर्वरक, बीज, और अन्य संसाधनों को उचित दरों पर उपलब्ध कराना है। यह संस्था किसानों की आर्थिक मदद के लिए बनाई गई थी, जिससे वे बेहतर उत्पादन कर सकें और आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें। लेकिन वर्तमान समय में, पैक्स सोसाइटी में फैला भ्रष्टाचार इस मूल उद्देश्य को कमजोर कर रहा है। पैक्स सोसाइटी में भ्रष्टाचार की शुरुआत प्रशासनिक पदों पर बैठे अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा की गई घूसखोरी और अनुचित तरीके से लाभ कमाने की प्रवृत्ति से होती है। यह देखा गया है कि किसानों को ऋण देने के लिए पैक्स के अधिकारी रिश्वत की मांग करते हैं। साथ ही, कई बार नकली लाभार्थी बनाकर सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी का दुरुपयोग किया जाता है। यह धनराशि उन अधिकारियों की जेब में जाती है, जबकि असली किसानों को उनका हक नहीं मिल पाता।

कृषि सामग्री वितरण में अनियमितताएँ:

पैक्स सोसाइटी के तहत किसानों को मिलने वाली बीज, उर्वरक, और कीटनाशकों की आपूर्ति में भी गड़बड़ी की जाती है। कई बार घटिया सामग्री दी जाती है, जो किसानों के लिए नुकसानदेह साबित होती है। इसके अलावा, कृषि सामग्री को जानबूझकर बाजार दर से ऊंची कीमतों पर बेचा जाता है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति और खराब हो जाती है।

नकली सदस्यों की समस्या:

कई जगहों पर पैक्स सोसाइटी के अधिकारी और स्थानीय राजनीतिक नेताओं की मिलीभगत से नकली सदस्यों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है। यह नकली सदस्य पैक्स के लाभों का दोहन करते हैं, जबकि वास्तविक किसानों को वंचित रखा जाता है। इसका नतीजा यह होता है कि जिन किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए, वे इससे वंचित रह जाते हैं।

कर्ज माफी योजनाओं में गड़बड़ी:

कई राज्यों में सरकार ने किसानों के कर्ज माफी की योजनाएँ चलाई हैं, लेकिन पैक्स सोसाइटी के भ्रष्टाचार के कारण यह लाभ भी सही किसानों तक नहीं पहुंच पाता। कई बार अधिकारियों द्वारा ऐसे किसानों के नाम पर ऋण माफी कर दी जाती है, जिन्होंने वास्तव में कर्ज लिया ही नहीं होता।

प्रभाव और समाधान:

पैक्स सोसाइटी में इस तरह के भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा असर किसानों पर पड़ता है। उनकी मेहनत और आशाओं पर पानी फिर जाता है, जब उन्हें उचित ऋण, सब्सिडी, या सामग्री नहीं मिल पाती। इससे किसानों की आय कम होती है, उनकी आर्थिक स्थिति खराब होती है, और वे कर्ज के दलदल में फंसते चले जाते हैं। कई बार तो किसान आत्महत्या जैसे चरम कदम उठाने पर मजबूर हो जाते हैं। सरकार और प्रशासन को इस समस्या पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। पैक्स सोसाइटी में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। ई-गवर्नेंस और डिजिटल रजिस्ट्रेशन जैसी प्रणालियों को लागू कर भ्रष्टाचार को कम किया जा सकता है। इसके साथ ही, जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई करने की भी जरूरत है ताकि ग्रामीण किसानों के अधिकार सुरक्षित रहें और पैक्स सोसाइटी के माध्यम से उन्हें सही लाभ मिल सके। पैक्स सोसाइटी एक महत्वपूर्ण संस्था है जो किसानों की मदद के लिए बनाई गई है, लेकिन भ्रष्टाचार ने इसे कमजोर बना दिया है। अगर इसे सुधारने के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो यह व्यवस्था किसानों के लिए लाभकारी साबित होने के बजाय एक और बोझ बन जाएगी। पैक्स सोसाइटी में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित कर ही हम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बना सकते हैं। 

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