मध्यम वर्ग की रसोई पर महंगाई के तड़के की मार mar Aajtak24 News


हरा धनिया 200 तो गिल्की 150 रुपए किलो प्याज और टमाटर भी भी हुए 'लाल'


इंदौर - इन दिनों मध्यम वर्ग के स्वादिष्ट रसोई पर महंगाई के तड़के की मार पड़ रही है। वर्तमान में रसोई में उपयोग में आने वाली न केवल प्रत्येक चीज बल्कि मसाले पर भी महंगाई का साया भरपूर है। सोयाबीन तेल जहां एकदम से 40 से 50 रुपए किलो महंगा हो गया है वहीं हरा धनिया 200 किलो के करीब पहुंच गया है। इतना ही नहीं स्वादिष्ट तड़के के लिए जरूरी प्याज और टमाटर के भाव भी 80 किलो के करीब पहुंच गए हैं। इसे मध्यम वर्ग के परिवार की रसोई चलने वाली गृहिणियों का बजट एक बार फिर गड़बड़ा गया है। इधर जहां खर्च बढ़ गया है वही आमदनी के रास्ते भी सीमित है। हर महीने जहां अतिरिक्त खर्च और व्यय की जरूरत पड़ रही है वही आमदनी के स्रोत वैसे के वैसे ही है। महंगाई रोकने के लिए सरकार भी किसी प्रकार का कोई उचित कदम नहीं उठा रही है।

जानकारी अनुसार एक पखवाड़े में अचानक महंगाई का ग्राफ बढ़ गया है। महंगाई की मार मध्यम वर्ग की रसोई और स्वादिष्ट भोजन पर पड़ी है। इसी से मध्यम वर्ग के परिवारों की रसोई चलने वाली गृहिणियों पर बजट को एडजस्ट करने की समस्या भी खड़ी हो गई है। एक पखवाड़े में सबसे पहले महंगाई ने हरी सब्जियों और टमाटर प्याज आदि पर नजर डाली। सबसे पहले टमाटर जो 10 दिन पहले ₹20 किलो नहीं बिक रहा था वह अचानक 60 से 80 रुपए किलो तक पहुंच गया है। इसके साथ ही प्याज और आलू भी महंगे हो गए। ब्याज जहां 60 रुपए किलो के लगभग है वहीं आलू भी 40 से ₹50 किलो बेस्ट क्वालिटी का हो गया है। यह ऐसी सब्जियां है जो प्रतिदिन रसोई घर में इस्तेमाल की जाती है। भोजन को स्वादिष्ट बनाना ही नहीं सब्जियों की जिम्मेदारी है। वर्तमान में ऐसा भी कोई माहौल या मौसम नहीं है, जिससे फसल खराब होने के कारण भी कीमतें बढ़ाने का अंदाजा लगाया जाए इसके बाद भी अचानक सब्जियों और प्याज मसाले आदि की कीमतें बढ़ना जमाखोरी की ओर इशारा कर रहा है। 

सोयाबीन के तेल में भी 40 रुपए किलो की बढ़ोतरी 

न सिर्फ हरी सब्जियां प्याज आदि की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है वही तड़का लगाने वाले मुख्य रूप से सोयाबीन के तेल की कीमतों में भी 40 से 50 रुपए प्रति किलो के दाम बढ़ गए हैं। सोयाबीन का तेल अचानक₹130 किलो के करीब पहुंच गया है, जो एक पखवाड़ा पहले 95 किलो के करीब हुआ करता था। अचानक तेल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी मध्यमवर्गीय परिवारों के समझ में नहीं आ रही है।

क्या खाए और क्या बचाए मध्यमवर्गीय परिवार 

एक तरफ जहां गरीब परिवारों को सरकार राशन उपलब्ध करवा रही है वहीं दूसरी ओर उच्च वर्ग को महंगाई की मार का कोई असर नहीं होता। महंगाई में पिसता है तो सिर्फ मध्यम वर्ग जिसे ना सरकार उपलब्ध कराती है और ना ही अन्य कोई साधन से घर चलाने के लिए राशन आदि की व्यवस्था होती है। इसके साथ ही सबसे बड़ी जिम्मेदारी मध्यम वर्ग की यह भी है कि सबसे बड़ा वर्ग होने के कारण उसे ही रेवेन्यू आदि भी हर चीज पर सरकार को देना होता है। ऐसे में पिस रहा है तो सिर्फ मध्य वर्ग।

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