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तीन दिवसीय भागवत कथा पारायण का समापन samapan Aajtak24 News |
सीहोर - भागवत की चर्चा और कथा श्रवण मात्र से पाप से मुक्ति मिलती है, कहा जिस स्थान पर कथा, सत्संग और चर्चा होती है वहां भगवान विराजमान होते हैं, भगवन नाम के जाप से सारे विपत्ति नाश हो जाते हैं। इस जगत में भगवत कृपा के बिना कुछ भी संभव नहीं है। मनुष्य को समाज में अच्छे काम करना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि कर्म ही प्रधान है। बिना कर्म कुछ संभव नहीं होता है। जो मनुष्य अच्छा व सत्कर्म करता है। उसे अच्छा फल मिलता है। बुरे कर्म करने वाले को हमेशा बुरा फल मिलता है। इसलिए सभी को अच्छे कर्मों के प्रति आकृष्ट होना चाहिए। उक्त विचार शहर के शुगर फैक्ट्री स्थित एक निजी गार्डन में बीएपीएस श्री स्वामी नारायण के तत्वाधान में आयोजित तीन दिवसीय भागवत कथा के समापन दिवस पर पूज्य स्वामी विवेक सागर ने कहे। उन्होंने कहा कि जिसमें ज्ञान हो उसमें भक्ति आ जाए यह आवश्यक नहीं हैं, लेकिन जिसमें भक्ति होगी उसमें ज्ञान स्वत: आ जाएगा। भगवान की प्राप्ति के लिए भक्ति का मार्ग सबसे सरल है। कलियुग में दुखी के दुख दूर करने का सर्वश्रेष्ठ साधन भागवत कथा है। भागवत का श्रवण करने के उपरांत उस पर अमल करना भी जरूरी है। जीवन के पतन के कारण मनुष्य की ईष्या और लालच है। इन सभी चीजों से बचने का एक मात्र उपाय है सत्संग। बिना सत्संग के विवेक जागृत नहीं होता है। इसलिए संतों का कहना है कि प्रभु की प्राप्ति के लिए सत्संग में जाना आवश्यक है। संत कृपा साक्षात भगवान की ही कृपा समझनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रभु की प्राप्ति के लिए सत्संग में हम सभी को जाना चाहिए। कलियुग से बचने का एकमात्र उपाय परमात्मा का नाम स्मरण है। भगवान को प्राप्त करना है तो भजन करना जरूरी है। मोह, माया, छल व कपट की भावना का त्याग करके भगवान की शरण में रहना ही सच्चे भक्त की निशानी है। कहा कि जब तक हम पूर्ण विश्वास प्रभु पर नहीं करेंगे, तब तक हमें भगवान की प्राप्ति नहीं होगी। इसलिए भगवान की भक्ति प्राप्त करने के लिए सर्वप्रथम श्रद्धा होनी चाहिए, विश्वास होना चाहिए। तब हमें भक्ति तक पहुंचने का मार्ग प्राप्त होता है। मन की शुद्धि के लिए इससे बढकऱ कोई साधन नहीं है। जन्म-जन्मांतर के पुण्य उदय होने पर भागवत कथा कहने-सुनने व पढऩे का अवसर मिलता है। ज्ञान और धन प्रतिष्ठा कमाने के लिए नहीं है, परमात्मा की प्राप्ति के लिए है। सतयुग, त्रेता, द्वापर इन तीनों युगों में ज्ञान और वैराग्य मुक्ति के साधन थे, किंतु कलियुग में केवल भक्ति ही मोक्ष का मार्ग है। भगवान की कथा श्रवण से अशुभ घटना नष्ट होती है और भगवान के प्रति प्रेम बढ़ता है। इस संबंध में जानकारी देते हुए बीएपीएस श्री स्वामी नारायण समिति के डॉ. अशोक पिचोनिया ने बताया कि तीन दिवसीय भागवत कथा शाम पांच बजे से सात बजे तक रही। इस मौके पर घनश्याम स्वामी, विमल सेवा स्वामी, निर्माण चरित्र स्वामी, दक्षय पटेल, जय सिंह भाई पटेल, विठ्ठल भाई, लाला राम, डॉ. विजेन्द्र जायसवाल आदि शामिल थे।