विश्व आदिवासी दिवस जिला मुख्यालय सीहोर में धूमधाम से मनाया गया gaya Aajtak24 News

 

विश्व आदिवासी दिवस जिला मुख्यालय सीहोर में धूमधाम से मनाया गया gaya Aajtak24 News 

सीहोर - विश्व आदिवासी दिवस जिला मुख्यालय सीहोर में आज 9 अगस्त को बड़ी धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम में हजारों की संख्या में शामिल हुए आदिवासी समाज के समाजजन। कार्यक्रम जय आदिवासी युवा शक्ति एवं भीम आर्मी के सहयोग से सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरूआत महापुरूष डॉ. भीमराव अम्बेडकर, जय टन्ट्या मामा, रानी दुगावती, जय विरसा मुण्डा के चित्र पर माल्यार्पण पश्चात अम्बेडकर धर्मशाला भोपाल नाका सीहोर में जनसभा का आयोजन किया गया। जनसभा पश्चात सीहोर जिले से आए आदिवासी समाज एवं भीमआर्मी के जनसमुदाय द्वारा कार्यक्रम स्थल जिला मुख्यालय पर अलग-अलग गांवो से पारंपरिक आदिवासी वेशभूषा पहनकर हाथ मे सजी धजी  रंगबिरंगी तीर कमान, महिलाएं आदिवासी नाटी पहने,  हाथ मे फालिया , कमर पर गोफन बांधकर, सिर पर लाल साफा ,गले मे आदिवासी पीला गमझा डालकर, पानी की हल्की-हल्की बौछारो के साथ आदिवासी लोकनृत्य करते हुए आदिवासी समाज का कुदरती प्राकृतिक रंग पीला झंडा और देश की आन बान शान तिरंगा हाथ में लेकर सांस्कृतिक महारैली भोपान नाका से होते हुए इंग्लिसपुरा, कोतवाली चौराहा, लीसा टाकीज चौराहा से बाल विहार ग्राउंड पहुंचीं जहां सांस्कृतिक महारैली का समापन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ. ओमप्रकाश धुर्वे ने संबोधित करते हुए बताया कि 1994 में संयुक्त राष्ट्र ने 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के रूप में घोषित किया। इस दिवस का उद्देश्य आदिवासी समाज की संस्कृति, परंपराओं और अधिकारों को प्रोत्साहित करना है। दुनिया भर में 370 मिलियन से अधिक आदिवासी लोग हैं, जो 90 देशों में रहते हैं । वही भारत में 8.61 प्रतिशत है। आदिवासी समाज की अपनी भाषा, संस्कृति और परंपराएं होती हैं। आदिवासियों की जीवन शैली प्रकृति अनुरूप सादा सिंपल जीवन जीना, नैतिक मूल्यों से पोषित।आदिवासी समाज को अक्सर विकास की प्रक्रिया में नजरअंदाज किया जाता रहा है। आज भी आदिवासी क्षेत्र मूलभूत सुविधाओं से वंचित है जैसे गुणवत्ता युक्त शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार साथ ही साथ गरीबी, कुपोषण का दंश झेल रहा है। इस दिवस को मनाने का मुख्य कारण आदिवासी समाज को विकास की मुख्यधारा में लाना है। आदिवासी समाज को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक बनाना और उनके संरक्षण के लिए काम करना है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री कमलेश दोहरे ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों पर पहला हक अधिकार आदिवासियों का है। लेकिन विकास के नाम पर उनका दोहन पूंजीवादी व्यवस्था में बैठे लोग उनके हित में करते हैं, उनके विकास, उत्थान के नाम पर धन की बंदर बांट होना। बगैर पुनर्वास प्लानिंग के आदिवासियों को उनकी ही जमीन से विस्थापित कर गरीबी और दर दर भटकने के लिए छोड़ देना ये एक गंभीर समस्या है। जय आदिवासी युवा शक्ति जिला अध्यक्ष श्री रवि सोलंकी ने संबोधित करते हुए बताया कि आदिकाल से ही आदिवासी भारत भूमि का पहला वारिश था। लेकिन अंग्रेजों के आने के बाद से आदिवासियों के लिए वन कानून बनाकर भूमि बंदोबस्त के नाम पर उनके अधिकारो को सीमित कर दिया गया। आजादी के बाद भी कुटिल अक्षर ज्ञानियों ने भोले भाले आदिवासियों को उनकी ही जमीन को कागजों पर न दिखाकर कर छला है। जिसके कारण आज भी आदिवासी गरीबी, कुपोषण का दंश झेल रहा और मुख्य धारा से वंचित है। समय है गुणवत्ता युक्त शिक्षा, स्वास्थ्य, आय प्राप्त के संसाधनों पर जनसंख्या के अनुपात में अवसर मिले, शोषण, अत्याचार के विरुद्ध संगठित होकर आवाज उठाना। उद्बोधन मे कहा कि जल जंगल जमीन ,बोली भाषा ,संस्कृति ,रिती रिवाज ,संवैधानिक अधिकार, शिक्षा स्वास्थ्य , स्वरोजगार,  पारंपरिक रूढि़वादी ग्राम सभा, अनुसूचित क्षेत्र , पेसा कानून, धर्मांतरण, जनगणना, बेरोजगारी, पलायन, समाज के लिए जनप्रतिनिधियों की भूमिका आदि  विषयों पर निर्भीक निडर और खुलकर वक्तव्य दिया गया। कार्यक्रमा को जनपद अध्यक्ष श्रीमती नावड़ी बाई सुरसिंह, श्री कमल कीर, श्री जनमसिंह परमार, श्री मुकेश जमरे, श्री दिलिप सिंह तड़वी, कुमारी अनिता बारेला ओर श्री दयाराम सागर ने भी संबोधित किया। विश्व आदिवारी दिवस कार्यक्रम के अवसर पर मे सरपंच श्री रेमसिंह भण्डारी, देवकरण मालवीय, हरीराम डुडवे, डॉ.सुरेन्द्र धुर्वे, राकेश डावर (देवास), जनमसिंह परमार, सुर सिंह बारेला जनपद अध्यक्ष, ओमप्रकाश ससत्या, नारी शक्ति बहन अनिता सस्त्या, बहन अनिता चौहान, कृष्णा सुर्यवंशी ग्राम लसुडिय़ा सेखु, संदीप प्रजापति, श्रीराम बारेला, धायखेड़ा सरपंच दिनेश सेमलिया, दयाराम बारेला, राज मरकाम, कृष्णकांत दोहरे, प्रदीप बरखाने (भीम आर्मी), अरविंद जमरे जयस कार्यकर्ता सहित  बुधनी, भैरूंदा, इछावर, आष्टा, श्यामपुर, दोराहा, रेहटी,  बिल्किशगंज, भोजपुर, देवास व निमाड़ के समस्त आदिवासी सगाजन व संगठनों के क्रांतिकारी कार्यकर्ता उपस्थित रहे। संचालन दिलीप तड़वी भील सहसंयोजक, एड.मुकेश जामले जयस प्रवक्ता, कमल कीर सर द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रवि सोलंकी (जयस जिला अध्यक्ष सीहोर) द्वारा व आभार कैलाश जामले सर द्वारा व्यक्त किया गया। समाजजनों द्वारा सफलतापूर्वक आयोजन के लिए  पुलिस प्रशासन का विशेष आभार व्यक्त किया गया।

क्यों मनाया जाता है विश्व मूलनिवासी दिवस

मूलनिवासियों के मानवाधिकारों को लागू करने और उनके संरक्षण के लिए 1982 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक कार्यदल स्वदेश आबादी पर सुयुक्त राष्ट्र कार्य समूह का गठन किया। जिसकी पहली बैठक 9 अगस्त 1982 को हुई थी। इसलिए हर वर्ष 9 अगस्त को विश्व मूलनिवासी दिवस अपने सदस्य देशों को मनाने का निर्देश है। सुंयुक्त राष्ट्र संघ ने यह महसूस किया कि 21 वी सदी मे भी विश्च के विभिन्न देशों में निवासरत मूलनिवासी समाज अपनी उपेक्षा बेरोजगारी एवं बंधुआ बाल मजदूरी जैसी समस्याओं से ग्रसित है। 1993 में स्वदेश आबादी पर सुयुक्त राष्ट्र कार्य समूह दल के 11 वे अधिवेशन में मूलनिवासी घोषणा प्रारूप को मान्यता मिलने पर 1994 को मूलनिवासी वर्ष व 9 अगस्त को मूलनिवासी दिवस घोषित किया गया।




Post a Comment

Previous Post Next Post