राशन दुकान के बाहर पीड़ीएस चावल की खरीदी बिक्री पर खाद्य विभाग मौन mon Aajtak24 News

 

राशन दुकान के बाहर पीड़ीएस चावल की खरीदी बिक्री पर खाद्य विभाग मौन mon Aajtak24 News 

रायगढ़ -  सरकार द्वारा गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले जरूरतमंद हितग्राहियों को मिलने वाला नि: शुल्क राशन पीड़ीएस भवन के बाहर ही खरीदी और बिक्री का खेल चल रहा है। सूत्रों के मुताबिक यह खेल रायगढ़ शहर के अधिकांश  वार्ड में वितरण किए जा रहे राशन दुकान पर बड़े आसानी से देखा जा सकता है पहले यह कार्य छुपे तौर पर किया जाता था पर हाल ही में राज्य की सरकार बदलने के बाद अब तो यह खुलेआम हो रहा है इसपर विभागीय अधिकारियों की नजर ही नहीं पड़ रही है। शहर के अधिकांश उचित मूल्य दुकान के बाहर यह दृश्य देखने को मिल रहा है। वही हितग्राही भी एक रुपए प्रति किलो में मिलने वाला चावल को लाभ कमाने के लालच में चावल खरीद कर तुरंत उसे वही बेच कर जा रहे है पर इसमें यह सबसे बड़ा सवाल है राशन दुकान के बाहर चावल की होने वाले अवैध खरीद - फरोख्त कारोबार की जानकारी विभागीय अमले को होने के बाद भी अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने जिम्मेदार विभागीय अफसर उदासीनता बरत रहे है जिस कारण उचित मूल्य राशन दुकानों से चावल लेकर खरीदी बिक्री करने वाले निश्चिंत होकर अपने इस कार्य में बड़े ही सक्रियता के साथ काम कर रहे है। हितग्राही परिवारों को प्रतिमाह राशन नि: शुल्क प्रदान किया जाता है केंद्र सरकार की घोषणा होने के बाद से सभी राशन कार्ड धारियों को नि: शुल्क चावल दिया जा रहा है। लोगों को जीवन यापन में असुविधा न हो इसे ध्यान में रखते हुए सरकार नि: शुल्क चावल वितरण की योजना लाई है सरकार की इस योजना की जितनी सराहना की जाए शायद कम होगी लेकिन कुछ लोग सरकार की इस योजना का गलत फायदा उठा रहे है ऐसे में सरकार को भी इसपर कड़ाई करने की आवश्यकता है। हलांकि हर राशन कार्ड धारी ऐसा नहीं कर रहे है बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो राशन लेकर उसे खाने में उपयोग कर रहे हैं। चावल को लेकर बेचने वालों की संख्या कम है लेकिन यह  खेल चल रहा इस पर कोई शंका नहीं है। हर महीने नि: शुल्क चावल लेकर उसे बेचने और खरदीने वाले लोगों पर लगाम लगाई जा सकती है। बता दें कार्ड धारियों द्वारा चावल लेते ही 15 से 20 रुपए प्रति किलो की दर से खुले बाज़ार में  बेचकर सीधा - सीधा मुनाफा कमा रहे है। वहीं जो व्यापारी इस चावल को खरीद रहे है वे भी इसे अच्छे दामों में बेचकर लाभ कमा रहे है। नि: शुल्क चावल को लेकर उसे बेचने के बाद शराब जुआ इत्यादि में पैसा को खर्च रहे है विदित हो यह खेल शहर ही नही बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी चल रहा है। सूत्र बताते है कि इसकी जानकारी खाद्य विभाग को भी है इसके बावजूद भी जिम्मेदार अधिकारियों का इस ओर थोड़ा भी ध्यान नही देना समझ से परे है।

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