कचरा पेटी खरीदी घोटाला: दो वर्षों से ईओडब्ल्यू की फाइलों में कैद kaid Aajtak24 News

 

कचरा पेटी खरीदी घोटाला: दो वर्षों से ईओडब्ल्यू की फाइलों में कैद kaid Aajtak24 News 

इंदौर - 2016 से 2021 तक कचरा पेटी खरीदी के नाम पर किए गए भ्रष्टाचार की शिकायत दो युवकों ने 2022 में ईओडब्ल्यू में की। सप्रमाण शिकायत होने के कारण ईओडब्ल्यू के महानिदेशक ने उसे गोपनीय रूप से जांच करने के लिए मूसाखेड़ी इंदौर स्थित एसपी ऑफिस भेज दिया। इसके बाद जून 2022 में ईओडब्ल्यू के एसआई मनोहर बड़ोदिया ने शिकायतकर्ताओं के बयान भी दर्ज कर लिए। इसके कुछ महीनों बाद एसआई बड़ोदिया का ट्रांसफर हो गया। बस करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार की यह शिकायत यहीं पर रुक गई और इसके बाद आज तक इस शिकायत पर कोई जांच या कार्रवाई नहीं की जा सकी। सप्रमाण होने के बाद भी 2 वर्षों से यह शिकायत ईओडब्ल्यू की फाइलों में कैद है, क्योंकि अधिकारियों के ट्रांसफर होते रहे और जांच आगे नहीं बढ़ सकी। अब जाकर नोटिस जारी करने की तैयारी की जा रही है। ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि जब लंबे समय तक जांच ही नहीं हो सकेगी तो भ्रष्टाचारियों को सजा कैसे होगी।

शिकायतकर्ताओं ने बताया कि नगर निगम इंदौर द्वारा शहरी सीमा से जनवरी 2016 में सड़कों के किनारे रखी सभी कचरा पेटी हटा दी गईं। कचरा पेटी फ्री होने के ही कारण इंदौर शहर को पहली बार देश में सबसे स्वच्छ शहर होने का पुरस्कार मिला। हालांकि इसके बाद भी 2021 तक नगर निगम के स्वच्छ भारत मिशन द्वारा कागजों पर कचरा पेटियां खरीदी जाती रहीं। सिर्फ इतना ही नहीं कचरा पेटी और उनके स्टैंड का मेंटेनेंस भी हर वर्ष बजट में दर्शाया जाता रहा। कहने का मतलब है कि कचरा पेटियों के नाम पर करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार होता रहा। कचरा पेटी हटाने की जानकारी स्वयं स्वच्छ भारत मिशन के अधिकारी ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत प्रदान की है। इसके बाद यह प्रश्न उठना लाजिमी है कि जब 2016 से कचरा पेटियां हटा दी गईं तो फिर 2021 तक कैसे खरीदी जाती रही। जब इसके दस्तावेज दोनों युवाओं को मिले तो उन्होंने एक शिकायत सप्रमाण के साथ ईओडब्ल्यू के महानिदेशक को भेज दी।

5 वर्षों में करीब 20 करोड़ की कचरा पेटी कागजों पर खरीदी 

शिकायतकर्ताओं ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन नगर पालिका निगम इंदौर के दस्तावेजों से यह प्रतीत होता है कि 2016 से लेकर 2021 तक 20 करोड़ रुपए से अधिक की कचरा पेटियां खरीदी गईं। वहीं स्वच्छ भारत मिशन के ही एक पत्र से यह भी पता चलता है कि 2016 के बाद शहर कचरा पेटियों से मुक्त हो चुका था। जब शहर से सभी कचरा पेटियां हटा दी गईं तो फिर कचरा पेटियों की खरीदी और उनके मेंटेनेंस पर क्यों बजट जारी होता रहा।

कई बड़े अधिकारी फंसेंगे जाल में 

कागजों पर कचरा पेटी खरीदी के मामले में ईओडब्ल्यू की जांच में कई बड़े अधिकारी फंसते नजर आ रहे हैं। मामले में स्वच्छ भारत मिशन के सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर से लेकर दो अपर आयुक्तों के भी नाम सामने आ रहे हैं। हालांकि दोनों अपर आयुक्त का ट्रांसफर हो चुका है और सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर का रिटायरमेंट हो चुका है। वे संविदा नियुक्ति पर एक वर्ष के लिए नगर निगम में पदस्थ हैं। उन्होंने 15 जून को ही एक वर्ष की अवधि के पहले ही नगर निगम से अपनी सेवा समाप्त करने के लिए पत्र भी लिखा है। मामले में जांच बढ़ाने के लिए शिकायतकर्ताओं ने पत्र भी लिखा, लेकिन किसी प्रकार की जांच आगे नहीं बढ़ सकी।

नोटिस जारी किए जा रहे हैं...

मेरे पास यह शिकायत और इससे संबंधित संपूर्ण फाइल हाल ही में पहुंची है। मामले में निगमायुक्त और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर दस्तावेज बुलवाए हैं। उसके बाद प्रकरण दर्ज किया जाएगा। 

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