पर्युषण में बाहुबली भगवान का हुआ मस्तकाभिषेक mastakabhishek Aaj Tak 24 news

 

पर्युषण में बाहुबली भगवान का हुआ मस्तकाभिषेक mastakabhishek Aaj Tak 24 news 

दमोह - दिगंबर जैन नन्हे मंदिर जी में गणाचार्य श्री विराग सागर जी महाराज के शिष्य उपाध्याय श्री विश्रुत सागर एवं मुनि श्री निर्वेग सागर जी का मंगल चातुर्मास चल रहा है। मुनि संघ के सानिध्य में दस लक्षण पर्व पर श्रावक संस्कार शिविर ध्यान योग क्लास एवं सामूहिक पूजन का प्रतिदिन भक्ति भाव के साथ आयोजन चल रहा है। इस अवसर पर प्रवचन एवं दिव्यदेसना का लाभ भी सभी को मिल रहा है। प्रदूषण पर्व के सातवें दिन श्री दिगंबर जैन मंदिर जी में उपाध्यक्ष श्री विश्रुत सागर एवं मुनि श्री निर्वेग सागर जी के पावन मंगल सानिध्य में भगवान बाहुबली का महामस्तकाभिषेक अति उत्साह माहौल में भक्ति भाव के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर बाहुबली भगवान की विशाल खडगासन प्रतिमा का मस्तकाभिषेक सोधर्म इंद्र बन कर प्रथम मस्तकाभिषेक करने का सौभाग्य देवेंद्र जैन परसवाहा परिवार ने प्राप्त किया। भगवान की शांति धारा करने का सौभाग्य रिंकू खजरी परिवार एवं शैलेंद्र सुधीर बजाज परिवार को प्राप्त हुआ उपाध्याय श्री को शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य हरचंद जैन को एवं पद प्रक्षालन करने का सौभाग्य मनीष बजाज परिवार को प्राप्त हुआ प्रातः काल श्रीजी की शांति धारा करने का सौभाग्य महेश बड़कुल एवं सुनील वेजीटेरियन परिवार एवं स्वधर्म इंद्र बनने का सौभाग्य संतोष जैन बरतन वालों को प्राप्त हुआ। इस मौके पर अनेक श्रद्धालु ने अपना भक्ति भाव प्रस्तुत करते हुए समर्थनुसार दान राशि घोषित कर मस्तकाभिषेक करने का मंगल अवसर प्राप्त किया मंदिर कमेटी के अध्यक्ष ग्रीस नायक अहिंसा एवं महामंत्री चक्रेश सराफ नवीन निराला राजेश हिनौती आदि ने भक्तगणों का तिलक आदि लगाकर स्वागत किया इस अवसर पर मुनि श्री ने अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ भगवान के  सुपुत्र बाहुबली भगवान कठोर तपश्चार्य के प्रतीक हैं उन्होंने 1000 वर्षों तक इतना कठोर तप किया कि उनके संपूर्ण शरीर पर पेड़ पौधे और बैल पतरी एवं कीड़े मकोड़े ने घर बना लिया था किंतु उनके मन में एक शंका  होने की वजह से उनका मोक्ष प्राप्ति नहीं हो रही थी जब उनके बड़े भ्राता भरत ने उनके मन की शंक को निर्मल किया कि वे स्वयं की भूमि पर खड़े हैं तब निशल होकर उनको मुक्ति प्राप्त हुई उनके ही भाई और आदिनाथ भगवान के बड़े पुत्र भरत के नाम पर ही इस देश का नाम भारत पड़ा है हम सब सौभाग्यशाली हैं कि हमें ऐसे महान आत्माओं के प्रेरक व्यक्तित्व एवं उनके आदर्श जीवन हमारा मार्ग प्रशस्त कर हमें मोक्ष मार्ग दिखा रहा है।

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