अतिथि शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे शिक्षकों पर हो रहे अत्याचार rahe atyachar Aaj Tak 24 news


अतिथि शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे शिक्षकों पर हो रहे अत्याचार  rahe atyachar Aaj Tak 24 news

शहडोल -  उच्च शिक्षा के मंदिर महाविद्यालय जहां युवाओं को देश का संविधान कानून और अन्याय के विरुद्ध लड़ने की शिक्षा दी जानी चाहिए उस मंदिर के पुजारी जिन्हें हम शिक्षक कहते हैं जिसे आज के परिवेश में सरकार ने नियमित प्रोफेसर और अतिथि विद्वान जैसे उपाधियों से संबोधित करती है लेकिन उद्देश शिक्षा के मंदिर में युवाओं को ज्ञान विज्ञान से पूर्ण करके समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करना होता है लेकिन कभी आपने कल्पना किया है यदि महाविद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षक पर अन्याय किया जा रहा हो तो फिर न्याय की शिक्षा अन्याय से लड़ने की ताकत और मार्ग कौन देगा जी हां हमने यह बात किसी कहानी के रूप में नहीं बल्कि हकीकत में हमारे जिले के एक महाविद्यालय मैं हो रही एक अन्याय की घटना को आपके सामने प्रस्तुत करने के लिए किया है ।शहडोल जिले के मुख्यालय में स्थित शासकीय इंदिरा गांधी कन्या गृह विज्ञान महाविद्यालय मैं पिछले वर्षों से  जनभागीदारी योजना के माध्यम से अतिथि विद्वान के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे शिक्षकों द्वारा अपने ऊपर हुए और अत्याचार और अन्याय पर अब खुल कर बोलना शुरू कर दिया है क्योंकि अभी तक पूर्व प्राचार्य का डर शिक्षकों को बोलने से रोक रहा था। लेकिन शासन द्वारा पूर्व प्राचार्य को पदोन्नत करके एडी रीवा के लिए स्थानांतरित कर दिया गया है अब कहीं जाकर अतिथि विद्वानों ने खुल कर बोलना शुरू किया है दरअसल पूरा मामला आर्थिक शोषण का है शासन के नियम के अनुसार जनभागीदारी योजना के माध्यम से महाविद्यालय में शैक्षणिक कार्य कर रहे अतिथि विद्वानों को ₹10000 महीना मानदेय दिए जाने का प्रावधान किया गया था जिसको लेकर जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष विभव पांडे , सचिव एडिशनल कलेक्टर अर्पित वर्मा एवं समिति के अन्य सदस्यों के साथ बैठक करके अतिथि विद्यालयों को ₹10000 प्रतिमाह मानदेय देना सुनिश्चित किया था लेकिन पूर्व प्राचार्य द्वारा 7500 प्रतिमाह मानदेय के हिसाब से भुगतान किया गया। आपको बता दें अतिथि विद्वानों के अनुसार प्राचार्य द्वारा सत्र समाप्ति के बाद पुनः आमंत्रण पत्र जारी नहीं करने का डर दिखाकर लिखित में कुछ विद्वानों से 7500 में ही काम करने पर सहमति लिखवा ली गई थी जिसके आधार पर जनभागीदारी समिति द्वारा पारित प्रस्ताव को वापस लेने का दबाव बनाया गया। लेकिन जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष विभव पांडे ने किसी दबाव में आए बिना साफ शब्दों में जनभागीदारी समिति बैठक में नियमानुसार प्रस्ताव को वापस लेने की बात कही। पूरा मामला तमाम उठापटक के बीच लिंगा राम हो गया और अतिथि विद्वानों का आर्थिक शोषण होता रहा। वही इस मामले का एक दूसरा पहलू भी है जब शासन द्वारा जनभागीदारी योजना के माध्यम से कॉलेज में पढ़ा रहे अतिथि विद्वानों को 1 जुलाई 2023 से पूर्ववत रखने का आदेश दिया गया फिर भी केवल शासकीय इंदिरा गांधी कन्या महाविद्यालय शहडोल एक ऐसा कॉलेज है जहां के अतिथि विद्वानों को अभी तक कॉलेज द्वारा आमंत्रण पत्र जारी नहीं किया गया तो दूसरी तरफ पिछले सत्र में परीक्षा के बाद अतिथि विद्वानों को 18 मई से 20 जून तक ग्रीष्मकालीन अवकाश पर छोड़ दिया गया जिससे उनको भुगतान ना करना पड़े तो दूसरी तरफ 27 जून से परीक्षा में जबरदस्ती ड्यूटी लगवाई गई आपको बता दे परीक्षा  1 से 2 महीने तक चलती रही जिसमें अतिथि विद्वान के अनुसार बिना किसी भुगतान के अपनी सेवाएं परीक्षा ब्यूटी के रूप में देते रहे। 3 जुलाई को कलेक्टर, एडिशनल कलेक्टर, विधायक, जनभागीदारी समिति को लिखित ज्ञापन तमाम आरोपो को लेकर सौंपा गया लेकिन कोई सुनवाई अभी तक नहीं होने से सभी अतिथि विद्वानों में भारी आक्रोश देखा जाता है। लगभग अतिथि विद्वानों ने सीएम हेल्पलाइन में लिखित शिकायत भी दर्ज कराई लेकिन सीएम हेल्पलाइन में शिकायत पर समाधान और ठोस कार्रवाई अभी तक अतिथि विद्वानों को नहीं मिल सकी।



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