मदरसे को लेकर उसी क्षेत्र के निवासी द्वारा खुलासा किया गया kiya gaya khulasa Aaj Tak 24 news


मदरसे को लेकर उसी क्षेत्र के निवासी द्वारा खुलासा किया गया kiya gaya khulasa Aaj Tak 24 news 

शहडोल - जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से मान्यता प्राप्त एक मदरसे को लेकर उसी क्षेत्र के निवासी द्वारा ऐसा खुलासा किया गया जिसने शिक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन द्वारा किए जा रहे तमाम दावों की पोल खोल कर रख दी है जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से मान्यता प्राप्त खैरहा स्थित मदरसा हमीदिया शमशुल उलूम मैं 1 से लेकर 8 तक की कक्षाएं संचालित होती है इस मदरसे के संचालक हेडमास्टर समसुद्दीन है इस मदरसे का संचालन सूत्रों के अनुसार 2002 -3 से  हो रहा है। मदरसे को सरकार द्वारा मान्यता के आधार पर अनुदान, बच्चों को छात्रवृत्ति, भवन मेंटेनेंस, शिक्षकों को मानदेय, मध्यान भोजन दिया जाता है समय-समय पर बच्चों की उपस्थिति शिक्षकों की पढ़ाई का निरीक्षण बी ए सी,,, सी ए सी,, संकुल प्राचार्य शिक्षा कार्यालय के अधिकारी द्वारा लगातार निरीक्षण किया गया होगा और रिपोर्ट भी दी गई होगी जिसके आधार पर ही इस मदरसे को तमाम तरह की सुविधाएं सरकार द्वारा दी जाती रही। मदरसे की मान्यता सरकार की सुविधाएं और जिम्मेदार अधिकारियों की मौन सहमति या सांठगांठ से यह सिलसिला 2021-22 तक मदरसा हमीदिया शमशुल उलूम चलता रहा किसी भी जिम्मेदार ने कभी भी इस मदरसे को लेकर कोई भी आवाज नहीं उठाई लेकिन 2021 में एक ऐसी घटना हुई जिसने मदरसा प्रशासन की सांठगांठ से किए जा रहे सरकार के साथ धोखाधड़ी का खुलासा की शुरुआत कर दी।



5 साल के बच्चे को पढ़ाया जा रहा है छठवीं


इस बड़े फर्जीवाड़े के खुलासे की शुरुआत 2021 में खैरहा निवासी मोहम्मद सिद्धिक के द्वारा तब हुआ जब मोहम्मद सिद्दीक अपने 5 साल के बच्चे रेहान का एडमिशन खैरा में स्थित शासकीय माध्यमिक विद्यालय में कक्षा 1 में कराने के लिए गए जहां उनके द्वारा एडमिशन के लिए आवश्यक समग्र आईडी प्रस्तुत की गई समग्र आईडी के आधार पर जब जांच और एडमिशन की प्रक्रिया शुरू की गई तो पता चला कि मोहम्मद रेहान पहले से ही फरहा स्थित हमीदिया शमशुल उलूम मदरसा की कक्षा 6 में पड़ रहा है जिसको जानकर मोहम्मद सिद्दीक एक बार सदमे में आ गए उसके बाद नाराजगी व्यक्त करते हुए समय के साथ चुप्पी साघली।

 शिक्षा विभाग की पोल


मोहम्मद सिद्दीक अपने पुत्र के साथ हुए फर्जीवाड़े से बेहद आहत और नाराज थे लेकिन समय के साथ उनका दुख और नाराजगी कम होती गई इसी बीच 2022 में खैरहा के रहने वाले गुलामुद्दीन अंसारी का इस मामले पर प्रवेश होता है जहां गुलामुद्दीन द्वारा सबसे पहले आरटीआई के माध्यम से खैरहा स्थित हमीदिया शमशुल उलूम मदरसा में बच्चों की संख्या उनकी उपस्थिति और शिक्षकों की संख्या नाम पता सहित लिया गया उस जानकारी को अध्ययन करने के बाद गुलामुद्दीन ने बच्चों के नाम पता के आधार पर सर्चिंग शुरू की उस सर्चिंग में ऐसा खुलासा हुआ जिसने शिक्षा विभाग और पूरी शिक्षा व्यवस्था के फर्जी कारनामों को सबके सामने लाकर रख दिया अपने खुलासे को गुलामुद्दीन ने शिकायत का रूप देकर सीएम हेल्पलाइन कॉल लिखित शिकायत के रूप है तमाम बिंदुओं पर शिकायत दर्ज कराई गई लेकिन जिम्मेदार जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा शिकायत फोर्स क्लोज कर मामले को दबाने का प्रयास किया गया शिकायतकर्ता गुलामुद्दीन ने इस पूरे मामले की जानकारी शहडोल जिले के एडिशन कलेक्टर अर्पित वर्मा के सामने रखी जिस पर एडीएम अर्पित फार्मा ने तत्काल मामले को संज्ञान में लेकर अपने सामने जिला शिक्षा अधिकारी फूल सिंह मर्पाची को बुलाकर जांच के आदेश दिए जिस पर जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाकर जांच दल भेजा गया जांच के दौरान गुलामुद्दीन पर जानलेवा हमला भी किया गया जिस पर गुलामुद्दीन ने खैरहा थाने में एफ आई आर दर्ज कराई वही जांच में कोई भी बच्चा मदरसे पर उपस्थित नहीं मिला जिसके आधार पर मदरसे की मान्यता को रद्द कर दिया गया लेकिन लंबे अरसे से चल रहे इस मदरसे मैं अभी तक जितने भी जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा निरीक्षण जांच और बच्चों की उपस्थिति पंजीयक की देखरेख की गई उनको इस मामले पर जिम्मेदार क्यों नहीं माना जा रहा है वही इस मदरसे की मान्यता जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से थी तो जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा इस पर जांच क्यों नहीं की गई ऐसे तमाम सवाल आज भी जस का तस है

गुलामुद्दीन ने सर्चिंग के बाद जो शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी को दी थी उसमें बताया गया मदरसा हमीदिया शमशुल उलूम खैरहा जन शिक्षा केंद्र खैरहा जिला शहडोल में फर्जी तरीके से मदरसे का संचालन किया जा रहा है जिसकी शिकायत पूर्व में भी सीएम हेल्पलाइन में की है जिसका निराकरण आज दिनांक तक नहीं किया गया और संकुल प्राचार्य के द्वारा स्पष्ट जांच भी नहीं की जा रही और खुद मुझसे तथ्य मांगने नोटिस जारी करते हैं उच्च कार्यालय को संकुल प्राचार्य के द्वारा गलत जानकारी प्रेषित की जाती है जिसके कारण सभी सीएम हेल्पलाइन शिकायत को फोर्स क्लोज कर दिया जाता है मदरसे के सभी शिक्षक संचालक एवं हेड मास्टर समसुद्दीन के भतीजे हैं और वह सभी अपना विद्यालय समय पर व्यापार चलाते हैं मदरसे में शिक्षक कोई भी उपस्थित नहीं होते हैं और उच्च अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान उन्हें फोन करके बुला लिया जाता है बाकी समय में अलग से 2 शिक्षकों को लगाए जाते हैं पढ़ाने के लिए शैक्षणिक सत्र 2022- 23 में मदरसे में दर्ज छात्रों की संख्या 26 है जिसमें से अधिकतर बच्चे जिनकी उम्र सीमा 18 वर्ष से ऊपर है और छात्राओं की शादी भी हो चुकी है और वह अपने ससुराल में अन्य स्थान पर रहती हैं और कुछ अपना जीवन यापन अन्य राज्य में कर रहे हैं उनकी भी उम्र घटाकर मदरसे में वर्तमान सत्र में अध्ययनरत दर्ज किया जाता है जिसके लिए उसने साथ लोगों के नामजद पता सहित वर्तमान स्थिति सहित वैवाहिक स्थिति सहित पूरी जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र के माध्यम से सौंपी लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी ने मामले की जांच के बजाय उसे दबाने का भरपूर प्रयास किया यही नहीं इस विसलब्लोअर गुलामुद्दीन अंसारी को धमका चमका कर शिकायत वापस लेने का भी दबाव बनाया लेकिन गुलामुद्दीन ने इन सभी दवाओं से ऊपर हटके मामले को उसके परिणाम तक ले जाने की मुहिम छेड़ रखी थी और इस काम में जिले के एकमात्र अधिकारी अर्पित वर्मा ने अपना सहयोग प्रदान किया जिसके कारण मजबूरी में जिला शिक्षा अधिकारी को मदरसा की मान्यता रद्द करनी पड़ी लेकिन सरकारी पैसे पर की गई लूट के साझेदार आज भी बेखौफ अपना कारोबार चला रहे हैं और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर आखिर कार्रवाई क्यों नहीं की गई वहीं दूसरी तरफ एक ही व्यक्ति मोहम्मद शमसुद्दीन द्वारा मध्य प्रदेश मदरसा बोर्ड से मान्यता दिया गया उसी के नाम से राष्ट्रीय उर्दू भाषा परिषद नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त कर मदरसे का संचालन उसी भवन उसी नामजद बच्चों के साथ किया जा रहा है और मजेदार बात कि दोनों में ही एक ही बच्चे एडमिशन दिखाया जाता है और वह बच्चे भी फर्जी निकलते हैं गौरतलब है इस फर्जीवाड़े में बड़ी जवाबदेही जिम्मेदार अधिकारियों की है जिनके आंख के सामने निरीक्षण में ऐसा काला कारोबार एक लंबे समय से चल रहा था लेकिन किसी ने भी आवाज तक नहीं उठाई वही समाज के बीच का एक व्यक्ति सरकार के लाखों रुपए के साथ खेली जा रहे होली को बर्दाश्त ना कर सका और इस पर्दाफाश की मुहिम छेड़ दी जिसके कारण उसके साथ मारपीट जैसी घटना भी हुई लेकिन आज भी प्रशासन मूकबधिर बंद कर पूरे मामले को दबाने में लगा है इसकी उच्चस्तरीय जांच से दूध का दूध और पानी का पानी हो सकेगा आखिर कितने गरीब बच्चों के हक को मारकर संचालक और शिक्षा विभाग के अधिकारी ने अपनी जेब में भरी इसका खुलासा प्रशासन को करना चाहिए सूत्रों की माने तो जिला शिक्षा अधिकारी के ऊपर बड़े वरद हस्त होने के कारण कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है लेकिन शिक्षा को व्यवसाय बनाने वाले आज समाज के सामने पूरी तरीके से एक्सपोज है और समय पर जनता इसका जवाब देगी

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