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आर्यिका रत्नश्री मृदुमति व निर्णयमति माताजी का 37 वां दीक्षा दिवस - गुरू उपकार दिवस के रुप में बड़े हर्षोल्लास से हुआ सम्पन्न guru upkar diwas ke rup me bade harsoullas se hua samppan Aaj Tak 24 news |
दमोह - श्री 1008 तीर्थंकर शांतिनाथ जिनालय विजय नगर दमोह में मंदिर की वेदी पर 2 फरवरी गुरुवार को प्रातः श्री आचार्य परमेष्ठि छत्तीसी विधान में पूजन की अष्ट द्रव्य से आचार्य परमेष्ठि को 36 श्रीफल अर्घ्य सहित समर्पित कर गुरु महाराज की पूजा पूज्यआर्यिका संघ के सानिध्य में ब्रह्मचारिणी पुष्पा दीदी के मार्गदर्शन में की गई। सभी इंद्रों द्वारा भगवान का जलाभिषेक पश्चात सौधरमेंद्र प्रवीण जैन महावीर द्वारा शांतिधारा मंत्रोच्चार से की गई। विधान की द्रव्य श्रीमति विधि-अनिल जैन प्राचार्य परिवार द्वारा भेंट की गई। विधान में दमोह के वयोवृद्ध सुभाष पंडित जी ने भी धर्म लाभ लिया। पूज्य आर्यिका रत्नश्री मृदुमति माता जी की आहार चर्या श्रीमति आराधना-आशीष जैन फुटेरा वालों के घर सम्पन्न हुई। पूज्य निर्णय मति माता जी ने निर्जला उपवास किया। दोपहर में अनेक जैन मंदिरों से भक्त गण 37 वें दीक्षा वर्ष के अवसर पर अयोजित गुरु उपकार दिवस मनाने विजय नगर जैन मंदिर पहुंचे। बड़े हर्षोल्लास के माहौल में मंच व मंदिर परिसर को बर्थ डे पार्टी की तर्ज पर आकर्षक सजाया गया था। विदूषी ब्रह्मचारिणी पुष्पा दीदी ने सर्व प्रथम आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की पूजा का गायन करके अष्ट द्रव्य समर्पित करवाई। समस्त महिला मण्डल श्रीमति शोभा इटोरिया, अंगूरी, सरिता, श्वेता, शची, शालू सिंघई, कांति, नीरजा, चंदा, शालू जैन,टीना,नीलू,ममता,निशा, वंदना, सरोज,बबीता, वीनल आदि ने बड़े भक्ति भाव से पूजा की। आर्यिका मृदु मति माता जी ने सभी को आर्शीवाद दिया। फिर अपनी गृहस्थ अवस्था वाली वैराग्य उत्पत्ति की सत्य कथा सुनाई। बचपन में सफेद साड़ी में किसी बाल विधवा को देख, सफेद साड़ी पहनने की जिद ठान ली। सफेद साड़ी वैराग्य का प्रतीक होती है। मोक्ष मार्ग वैराग्य से ही आगे बढ़ता है। पूज्य निर्णय मति माता जी ने भी बचपन में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के दर्शन कर मन में ही शादी के जंजाल में नहीं फसूंगी यह प्रतिज्ञा ठानी थी। इस तरह दोनों माता जी को संसार से वैराग्य हुआ। फिर 36 वर्ष पहले सन 1987 में बुंदेलखंड के नैनागिर (रेशंदीगिर) तीर्थ क्षेत्र पर विद्या सागर जी महाराज को गुरु के रुप में अपना लिया व दीक्षा प्राप्त की। इस अवसर पर पूज्य सकल मति माता जी भी दोनों आर्यिकाओं को अपनी शुभ कामनाएं देने मंच पर उपस्थित थीं। सागर से ब्रह्मचारी सुनील भैया जी व रहली से ब्रह्मचारी विकास भैया जी भी इन पुण्य क्षणों के साक्षी बनें। आचार्य श्री के पावन चित्र का अनावरण व मंगल दीप का दीपन करने का सौभाग्य श्री प्रवीण-रवि जैन महावीर परिवार, श्री जे.के. जैन टोपी वाला परिवार को प्राप्त हुआ। नए प्रकाशित शास्त्र पारसनाथ विधान का विमोचन श्री हरिशचंद्र जैन सदगुवां जैन मंदिर परिवार व श्री ताराचंद-संदीप जैन अनुश्री परिवार ने किया। इस अवसर पर भारतीय जैन संघठन के वार्षिक कैलेंडर का भी विमोचन किया गया। विद्या मृदु प्रवाह के अध्यक्ष श्री अरविंद इटोरिया व महामंत्री राकेश पलंदी ने भी विचार व्यक्त किए व माता जी द्वारा रचित ग्रंथाें की जानकारी दी। स्वप्निल बजाज व उनकी मां जी, सुनील वेजिटेरियन ने श्री फल अर्पित कर आशीर्वाद लिया। इंजी. ऋषभ जैन, अवध जैन शिक्षक, विनय बनगांव की सक्रियता रही। संतोष अविनाशी ने काव्य पाठ किया। केशर चंद जैन माता जी की आहार चर्या में अधिकांश उपस्थित रहते हैं, व अपनी दिनचर्या संयमित रखते हैं, इसके लिऐ पूज्य आर्यिका रत्न मृदु मति माता जी ने उन्हें आशीर्वाद दिया। पुष्पा दीदी ने उपस्थित जन समुदाय को संबोधित किया व गुरु के उपकार की महिमा बताई। विजय नगर के श्रीअनिल जैन, अशोक फुड, जे. के. जैन टोपी वाले, दिलीप, प्रवीण, रवि, अनूप, अनिल नवकार, राम, प्रिंस, नरेंद्र पटवारी, सचिन,राजीव, मनोज ने अभी आगंतुकों का स्वागत किया। गणमान्य व्यक्तियों रामकुमार वैशाली, महेन्द्र जैन सगरा, वसुंधरा नगर से श्री ऋषभ, सुनील, विजय,विनोद, वी.सी.जैन, आर.के.जैन, नेमिनगर से डॉ.राजेंद्र गांगरा, मुलायम चंद सौधर्म, प्रभात, कांच मंदिर से सुधीर, सुनील,अनूप, वंटी आदि उपस्थित महिला व पुरुषों ने 36 दीपक प्रकाशित कर स्वेच्छा से संयम नियम लिए वआयोजकों को बधाइयां प्रेषित की। अंत में पुनः आर्यिका माता ने सभी को आशीर्वाद दिया। सभी व्यवस्थाओं में नंद किशोर नंदू माली ने बड़े समर्पित भाव से कार्य किया।जिनवाणी स्तुति से कार्यक्रम पूर्ण किया गया।