पीथमपुर कवि सम्मेलन में कई कवियों ने सुनाई कविताएं | Pithampur kavi sammelan main kai kaviyo ne sunai kavitae

पीथमपुर कवि सम्मेलन में कई कवियों ने सुनाई कविताएं

पीथमपुर कवि सम्मेलन में कई कवियों ने सुनाई कविताएं

पीथमपुर (प्रदीप द्विवेदी) - पीथमपुर जयनगर नगर कॉलोनी स्थित संगम गार्डन में कब सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें कवियों ने कई कविताएं सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया प्रमुख रूप से राजनीति का आकाश काला बुझता दिखता तारा है....शेरों के वंशज को देखो बकरियों ने ललकारा है..... जमी राख के नीचे देखो धधकता हुआ अंगारा है....जहाँ राम ने जन्म लिया वो पूरा अयोध्या हमारा है ।"  इन पंक्तियों के साथ इंदौर के कवि सूत्रधार प्रोफेसर (डॉ) श्याम सुन्दर पलोड़ ने पीथमपुर के संगम गार्डन में आयोजित कवि सम्मेलन का शिखर कलश रखा । कार्यक्रम देर रात्रि तक चलता रहा जिसमें बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित थे ।

कवि सम्मेलन में वीररस के तेजस्वी कवि श्री रूपसिंग हाडा ने अपनी शहीद कविता में सुनाया कि -

"कोई हनुमान के जैसे सीना चीर दिखाता है।

राम नहीं निकले तो क्या है सीने बीच तिरंगा है।

मैं राम नाम से भी पहले शोणित के गीत सुनाता हूं ।

मंदिर के पहले शहीद के दर पर शीश झुकाता हूं ।"

कवि प्रद्युम्न शर्मा की पंक्तियां - " अभी तो इलाहाबाद हुआ है 'प्रयागराज' हम इस 'इंडिया' को भी 'भारत' बनाएंगे ।" पर खूब प्रतिसाद मिला और श्रोताओं के आग्रह पर उन्हें दोबारा काव्यपाठ हेतु संचालक प्रो.श्याम सुन्दर पलोड ने बुलाया । इंदौर के गीतकार विकास लोया ने सुनाया - "गौतम की धरती के वासी , राणा रक्त शिराओं में , असुरों के मर्दन की गाथा गूंजे हिन्द धराओं में । दुर्गा के घर मे तलवारें ना है सिर्फ दिखलाने को , विस्फोट जरूरी होते हैं , बहरों को सुनवाने को ।" कवि राहुल बजरंगी ने सुनाया - "जो धर्म की रक्षा को ना उठे वो हथियार नहीं होता । बिना शस्त्र के हिन्दू का श्रृंगार नहीं होता ।" कवि मौलिक पलोड ने अपनी लोकप्रिय आजादी कविता में कहा कि - " भारत माँ को दी गाली जब अंग्रेजों की औलादों ने । बोटियाँ तब नोंच ली थी भारत के फ़ौलादों ने ।" कवि अंशुल व्यास ने सुनाया - " दिल्ली में दामिनी का दमन होते देखा है । हाल ही मैं आजादी को दफन होते देखा है । कृष्ण की तरह पूजा जिस धर्म गुरु को हमने , आज उसी कृष्ण ने चीर हरण होते देखा है ।" इंडोरामा के कवि हरीश हंस ने सुनाया - " मैं तो कोरा कागज का टुकड़ा हूँ । तुम पढो तो किताब हो जाऊं ।" द्रोणाचार्य दुबे ने कहा - " संघ एक मामूली संगठन नहीं राष्ट्रसेवा का महान संकल्प है । संघ को तुमने समझा ही नहीं क्योंकि तुम्हारी बुद्धि अल्प है । " कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे कवि डॉ.विमलकुमार सक्सेना ने सुनाया - " वर्दी ही है मेरी शेरवानी , टोपी ही है सेहरा । यारा से मेरी आशिकी , सरहद से इश्क गहरा ।"

कवि सम्मेलन के प्रारम्भ में सरस्वती वंदना कवि अंशुल व्यास ने प्रस्तुत की और कवि सम्मेलन का प्रभावी संचालन कवि प्रो.(डॉ) श्याम सुन्दर पलोड ने किया ।

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