चुनाव में हुई कम वोटिंग प्रतिशत से फिर उठी अनिवार्य मतदान की मांग | Chunav main hui kam voting pratishat se fir uthi anivarya matdan ki mang

चुनाव में हुई कम वोटिंग प्रतिशत से फिर उठी अनिवार्य मतदान की मांग

मध्यप्रदेश के स्थानीय निकायों में अनिवार्य मतदान कानून लाने की पिछले साल दिसंबर में की थी मुख्यमंत्री से मांग--कानून का ड्राफ्ट भी बनाकर किया था प्रेषित

(वोट ना डालने पर हो 2000/- का जुर्माना)

चुनाव में हुई कम वोटिंग प्रतिशत से फिर उठी अनिवार्य मतदान की मांग

इंदौर (राहुल सुखानी) - हाल ही में मध्य प्रदेश के स्थानीय चुनाव में अत्यंत ही कम प्रतिशत में मतदान हुआ है जोकि सही मायने में है लोकतंत्र के लिए हानिकारक है, स्थानीय समस्याओं के लिए निर्वाचन में सभी का भाग लेना अत्यावश्यक होता है क्योंकि यदि स्थानीय समस्याओं के लिए प्रत्येक व्यक्ति स्थानीय सरकार की आलोचनाएं करते हैं किंतु लोकतंत्र में हिस्सा नहीं लेते हैं क्या ऐसे लोगों को आलोचना करने का नैतिक अधिकार है। गुजरात राज्य की तर्ज पर स्थानीय निकायों के चुनाव में मतदान अनिवार्य किए जाने को लेकर इंदौर के अधिवक्ता पंकज वाधवानी ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर अनिवार्य मतदान संबंधी विधेयक विधानसभा में पारित किए जाने की मांग पिछले साल दिसंबर 2020 में की थी। नगर निगम एवं पंचायत चुनावों में प्रायः मत प्रतिशत 60 से 70% रहा है। इसके लिए एडवोकेट एवं लॉ प्रोफेसर पंकज वाधवानी ने एक कंपलसरी वोटिंग एक्ट 2020 का ड्राफ्ट भी तैयार किया है।

*5 अध्याय एवं 14 धाराओं का अधिनियम*

अधिवक्ता पंकज वाधवानी द्वारा बनाया गया अनिवार्य मतदान अधिनियम अर्थात कंपलसरी वोटिंग एक्ट 2020 का कानूनी ड्राफ्ट 5 अध्ययन एवं 14 धाराओं में विभक्त है।बनाए गए कानूनी ड्राफ्ट में अनिवार्य मतदान की परिभाषा, मतदाता को कानूनी सूचना, निर्वाचन अधिकारी के कार्यो,चुनावी कार्यक्रम, मतदाता के अधिकार एवं दांडिक उपबंधों की व्याख्या की गई है। वोट न डालने पर ₹2000 का जुर्माना होना चाहिए।

*पूरे देश के सभी आम चुनावों में अनिवार्य मतदान लागू किया जाए*

एडवोकेट पंकज वाधवानी का कहना है कि कहने को लोकतंत्र में बहुमत की सरकार द्वारा शासन किया जाता है किंतु यदि भारत की वर्तमान  राजनीतिक व्यवस्था को देखें तो देश की लगभग  30 % तक की आबादी का मत पूरे सौ प्रतिशत जनता पर हावी पड़ता है अर्थात शासन करता है । व्यवहारिक तौर से यदि देखा जाए तो  ऐसा इसलिए है  कि किसी भी आम चुनाव में  लगभग 60% वोटिंग  होती है और जो राजनीतिक दल  25% से 30% वोट ले आता है उस दल की सरकार का निर्माण होता है। अब यही 25 से 30% वोटिंग प्राप्त  सरकार  सौं प्रतिशत जनता पर अपने निर्णय थौपती है तथा 5 वर्ष तक  जनता इस सरकार द्वारा लिए जाने वाले समस्त निर्णयों से असहमत होने पर भी शासित हैं और आलोचना करते हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात जितने भी पूर्ववर्ती सरकारें आई हैं उन सभी सरकारों को जनता का लगभग 30% जनमत प्राप्त था उसके उपरांत भी सत्ता प्राप्ति के पश्चात इन सरकारों ने पूरे देश पर शासन किया और मनमानीपन से निर्णय लिए और जनता पर लादे गए।

*उदासीन मतदाता इसके लिए जिम्मेदार*

इसके लिए स्वयं जनता मतदान में हिस्सा न ले कर मतदाता के रूप में भी है । इस कमी को सिर्फ और सिर्फ अनिवार्य मतदान के माध्यम से ही दूर किया जा सकता है । वर्तमान में यह देखा जा रहा है कि भले ही लोकसभा या विधानसभा चुनाव हो अथवा स्थानीय निकायों के चुनाव भारतीय मतदाताओं की मतदान के प्रति उदासीनता एवं कम मतदान प्रतिशत से वास्तविक जनाकांक्षा सामने नहीं आ पाती हैं। जिसकी वजह से अनपेक्षित राजनीतिक दल एवं उनके उम्मीदवार सरकार का निर्माण कर लेते है और सत्ता हासिल कर वास्तविक जनमत न प्राप्त होने के बाद भी देश पर सत्तासीन होकर कार्य करता है। लोकतंत्र में अनिवार्य मतदान अत्यंत आवश्यक है वास्तविक जनाकांक्षा की अभिव्यक्ति इसी से ही सामने आ सकती है। 

*विश्व के 22 देशों ने अपनाया है कंपलसरी वोटिंग सिस्टम*

वाधवानी द्वारा आयोग को प्रेषित पत्र में बताया गया है कि अनिवार्य मतदान से तात्पर्य देश के योग्य नागरिकों द्वारा राष्ट्रीय एवं स्थानीय निर्वाचन में अनिवार्य मतदान करने से है। वर्ष 2013 तक 22 देशों ने अनिवार्य मतदान को अपना लिया है अमेरिका में भी अनेक राज्यों में अनिवार्य मतदान अपनाया गया है बेल्जियम प्रथम राष्ट्र था जिसमें पुरुषों के लिए 1893 अनिवार्य मतदान एवं महिलाओं के लिए 1984 से अनिवार्य मतदान लागू किया गया, इसी प्रकार ऑस्ट्रेलिया में वर्ष 1924 से अनिवार्य मतदान लागू किया गया।

*मतदान हो राष्ट्र के प्रति अनिवार्य कर्तव्य*

अधिवक्ता पंकज वाधवानी ने आयोग से भी मांग की है कि अनिवार्य मतदान के लिए निर्वाचन आयोग को राष्ट्रीय सहमति बनाने की पहल करनी चाहिए। राष्ट्रीय एवं स्थानीय चुनाव में मतदान को अनिवार्य करने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि नागरिकों को उनके नागरिक भाव का विकास करना है। जिस प्रकार करारोपण  आदि में नागरिकों का कर्तव्य होता है ठीक उसी प्रकार चुनाव में हिस्सा लेना भी प्रत्येक नागरिक का अनिवार्य कर्तव्य बनाया जाना चाहिए और इससे समाज के प्रति कर्तव्य निरूपित करना चाहिए। 

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