प्रभु ने जो छोड़ा वो कभी मत मांगो, प्रभु ने जो पाया उसे पाने की कोशिश करो - मुनि चन्द्रयश
धार - 15 जून 22 दादा गुरुदेव की पाट परम्परा के षष्टम पट्टधर आचार्य देवेश श्रीमद्विजय हेमेन्द्रसूरीश्वर जी म सा के शिष्य एवं गच्छाधिपति आचार्य देवेश श्रीमद्विजय ऋषभचंद्रसूरीश्वरजी म सा के आज्ञानुवर्ती मुनिराज श्री चन्द्रयशविजय म सा एवं मुनिराज श्री जिनभद्रविजयजी म सा का आज घोड़ा चौपाटी से मंगलमय प्रवेश दीपक जी बाफना के निवास पर नवकारसी के पश्चात विशाल चल समारोह के साथ हुआ । यह चल समारोह नगर प्रमुख जिनमंदिरों के दर्शन करते हुए राजेन्द्र भवन पर धर्मसभा में तब्दील हुआ ।इस अवसर पर साध्वी श्री विज्ञानलता श्रीजी म सा की भी सानिध्यता रही।
मुनिराज श्री चन्द्रयशविजय जी म सा ने कहा कि प्रभु ने जिस आत्मकल्याण के लिए इस दावानल रूपी संसार का त्याग कर दिया हम प्रभु के दर्शन के समय संसार की सुख सुविधा और धन दौलत,ऐश्वर्य प्राप्ति की कामना करते रहते है जो आत्म कल्याण के लिए कदापि उचित नही है । प्रभु के दर्शन करते समय प्रभु से हमे सिर्फ अपनी आत्मा के कल्याण की ही बात करनी चाहिए । आग का स्वभाव जलाने का है,जहर का स्वभाव नष्ट करने का है ठीक उसी प्रकार देव,गुरु और धर्म का स्वभाव तारने का है । देव, गुरु और धर्म की शरण से ही हमारी आत्मा का कल्याण सम्भव है । हमारा शरीर राख में तब्दील हो जाये उससे पूर्व हमको अपने शरीर के माध्यम से धर्म आराधना कर लेनी चाहिये ।
कार्यक्रम में धार शहर के दीपक बाफना,अनिल जैन,विजय मेहता,सचिन सेहता, विपिनलुनिया,प्रफुल्ल जैन, डा स्वतंत्र कुमार, त्रिलोक छाजेड़, प्रकाश डूंगरवाल, विनोद मनासा, हीरालाल जैन , राजेन्द्र लोढा, लब्धि सेठ, फूलचंद जी जॉन कैलाश काँकरिया, राजेन्द्र छजलानी, आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे ।
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