ग्रामीण क्षेत्र के युवा संतोष सिंह चौहान अपने कुशल हाथों से निर्मित रंग बिरंगी साड़ियां बना रहे हैै | Gramin shetr ke yuva santosh singh chouhan apne kushal hatho se nirmit rang birangi sadiya bana rhe hai

ग्रामीण क्षेत्र के युवा संतोष सिंह चौहान अपने कुशल हाथों से निर्मित रंग बिरंगी साड़ियां बना रहे हैै

ग्रामीण क्षेत्र के युवा संतोष सिंह चौहान अपने कुशल हाथों से निर्मित रंग बिरंगी साड़ियां बना रहे हैै

धरमपुरी (गौतम केवट) - धार जिले की तहसील क्षेत्र के ग्राम कालीबावड़ी के पास बालीपुर के युवा संतोष सिंह चौहान अपने कुशल हाथों से निर्मित रंग बिरंगी साड़ियां बना रहे हैं। इन्होंने अपने साथ 7 लोगों को भी जोड़ा और उन्हें रोजगार भी दिया । संतोष चौहान ने बताया कि उन्होंने साड़ी बनाने का प्रशिक्षण 13 साल की उम्र में महेश्वर में अपने मामा के लड़के के साथ 10 वर्ष तक लिया और अब वो खुद काम सिख कर साड़ियों का निर्माण कर रहे हैं। चौहान की बनाई गई साड़ी की कीमत करीब 8 से 15 हजार तक की साड़ियां बनाई जा रही है। संतोष महेश्वरी और सिल्क की साड़ी बनाते हैं।

डिजाइनर साड़ी निर्माण में लगता है समय

संतोष सिंह ने कहा कि कॉटन सिल्क और सिल्क के धागे से साड़ी बनाई जाती है। साड़ी में मांडू की रानी रूपमती के महल, नर्मदा की डिजाइन की साड़ी का निर्माण किया गया है। एक साड़ी को बनाने में एक दिन लगता है और जैसी क्वालिटी और डिजाइन की बनानी हो तो उस साड़ी को बनाने में 4-5 दिन का समय लग जाता है। संतोष चौहान ने अपनी साड़ियों की प्रदर्शनी आगर, भोपाल, जयपुर, ग्वालियर, जबलपुर सहित अन्य शहर में लगा चुके है।

ग्रामीण क्षेत्र के युवा संतोष सिंह चौहान अपने कुशल हाथों से निर्मित रंग बिरंगी साड़ियां बना रहे हैै

संतोष का हुनर अभी तक सिर्फ गांव तक ही समिति है। जिला प्रशासन चाहे तो संतोष के हुनर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलवा सकता है। संतोष को मांडू में एक डिस्प्ले खुलवाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध करवा सकता है। मांडू में काफी संख्या राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पर्यटक आते है। पर्यटकों को कोसा व सिल्क की साड़ी मांडू में उपलब्ध होने से एक आदिवासी युवाओं को नया अवसर प्रदान करेगी।

लोन लेकर अपना केरीयर शुरू किया

संतोष के पिता बचुसिंह चौहान मजदूरी करते थे और साड़ी बनाने के लिए हैंडलूम मशीन व धागे की आवश्यकता थी, अपने हाथों के हुनर को दिखाने के लिए धार उद्योग विभाग द्वारा 2019 में दस्तावेज जमा कर युवक को 5 लाख रुपए का लोन उपलब्ध करवाया। लोन के बाद कारोबार ने भी रफ्तार पकड़ी और ग्राम के सात युवाओं को साड़ी बनाने की ट्रेनिंग के साथ माता पारू बाई, पत्नी रेखा बहन दुर्गा अपने भाई का हाथ बढ़ा कर साड़ी बनाने का काम साथ कर रहे हैं। संतोष ने बताया कि इसे बनाने में प्राकृतिक तीन महत्वपूर्ण रंग है। इन तीनों रंग काला, पीला, हरा का समावेश करके नए रंग बनाए जाते है। साड़ियों में ग्राहक की इच्छानुसार रंगों का सांचे में ढालकर बड़ी सावधानी कार्य किया जाता है।

फिल्मी कलाकार ने की तारीफ

लॉकडाउन में संतोष ने एक विशेष साड़ी का निर्माण किया था जिसे अपने महेश्वर निवासी दोस्त की मदद से फिल्म कलाकर रेखा को पहुंचाया गया थी जो उन्हें बेहद पंसद आई। संतोष ने बताया लॉकडाउन के बाद साड़ी बनाने के आर्डर में कमी आई है लेकिन संतोष को अपने हुनूर पर भरोसा है फिर उन्हें बड़ा ऑर्डर मिल सकता है।

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