समान अवसर उपलब्ध कराना किसी भी समाज की प्रथम और अंतिम नैतिक जिम्मेदारी होनी चाहिए
धरमपुरी (गौतम केवट) - संविधान शिल्पी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी की जयंती के शुभ अवसर पर बाबा साहब की जन्म स्थली (अंबेडकर नगर, महू) में आयोजित कार्यक्रम में हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री आदरणीय शिवराज सिंह चौहान व धार महु सांसद छतर सिह दरबार इस अवसर पर बाबा साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया एवं उन्हें नमन किया इस दौरान कैबिनेट मंत्री उषा ठाकुर भाजपा प्रदेश मंत्री कविता पाटीदार, शासन प्रशासन के अधिकारी ,कर्मचारी सहित क्षेत्रवासी उपस्थित रहे ।
हमें जो स्वतंत्रता मिली है उसके लिए हम क्या कर रहे हैं? यह स्वतंत्रता हमें अपनी सामाजिक व्यवस्था को सुधारने के लिए मिली है। जो असमानता, भेदभाव और अन्य चीजों से भरी हुई है, जो हमारे मौलिक अधिकारों के साथ संघर्ष करती है।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर भारत के आधुनिक निर्माताओं में से एक माने जाते हैं। उनके विचार व सिद्धांत भारतीय राजनीति के लिए हमेशा से प्रासंगिक रहे हैं। दरअसल वे एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था के हिमायती थे, जिसमें राज्य सभी को समान राजनीतिक अवसर दे तथा धर्म, जाति, रंग तथा लिंग आदि के आधार पर भेदभाव न किया जाए। उनका यह राजनीतिक दर्शन व्यक्ति और समाज के परस्पर संबंधों पर बल देता है। डॉ. अम्बेडकर समानता को लेकर काफी प्रतिबद्ध थे। उनका मानना था कि समानता का अधिकार धर्म और जाति से ऊपर होना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को विकास के समान अवसर उपलब्ध कराना किसी भी समाज की प्रथम और अंतिम नैतिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।
अगर समाज इस दायित्व का निर्वहन नहीं कर सके तो उसे बदल देना चाहिए। भारत में इस स्थिति की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए संविधान के अंतर्गत अनुच्छेद 14 से 18 में समानता का अधिकार का प्रावधान करते हुए समान अवसरों की बात कही गई है। यह समानता सभी को समान अवसर उपलब्ध करा सकें, इसके लिए शोषित, दबे-कुचलों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया। इस प्रकार अम्बेडकर के समानता के विचार न सिर्फ उन्हें भारत के संदर्भ में, बल्कि विश्व के संदर्भ में भी प्रासंगिक बनाते हैं।
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