कानून में आधुनिक तरीकों का समावेश कर, की जा सकती है पेंडिंसी कम-जस्टिस आलोक वर्मा | Kanoon main adhunik tariko ka samavesh kr ki ja sakti hai pendisi kam

कानून में आधुनिक तरीकों का समावेश कर, की जा सकती है पेंडिंसी कम-जस्टिस आलोक वर्मा 

भारतीय न्यायालयों में लंबित केसों की समस्या एवं उसका निदान विषय पर वेबीनार आयोजित

कानून में आधुनिक तरीकों का समावेश कर, की जा सकती है पेंडिंसी कम--जस्टिस आलोक वर्मा

इंदौर (राहुल सुखानी) - आज भी हमारे कानून पुराने ढर्रे से चल रहे हैं पहले की तरह आज भी हमारे कानून में ऐसे अनेक बिंदु विद्यमान है जोकि इस आधुनिकता के सामने अप्रासंगिक हो गए हैं वर्तमान में आधुनिक तरीके आ चुके हैं इन आधुनिक तरीकों का समावेश यदि किया जाए तो न्यायालयों की पेंडेंसी कम की जा सकती है। संस्था न्यायाश्रय द्वारा भारतीय न्यायालयों में बढ़ रही पेंडेंसी और कोर्ट केसों की वजह से होने वाली समस्याओं पर आयोजित वेबीनार पर सेवानिवृत्त जस्टिस आलोक वर्मा संबोधन करते हुए कहा कि छोटे-छोटे संशोधनों से एक बड़ा प्रभाव एवं परिणाम लाया जा सकता है। समन की तामिली में लगने वाला समय बिक्री के एग्जीक्यूशन में लगने वाले समय को कट शार्ट किया जा सकता है। भले ही हमारे देश में जजों की संख्या कम हो अथवा इंफ्रास्ट्रक्चर ना हो उसके बावजूद भी छोटे-छोटे बदलावों से बड़ा परिणाम प्राप्त किया जा सकता है। 

कानून में आधुनिक तरीकों का समावेश कर, की जा सकती है पेंडिंसी कम--जस्टिस आलोक वर्मा

बेवजह बड़ी प्रक्रियाओं से पेंडेंसी बढ़ रही --वरिष्ठ अधिवक्ता अजय बागड़िया 

सेमिनार में भाग लेते हुए सीनियर एडवोकेट अजय बागड़िया ने कहा कि सिविल मामला हो अथवा क्रिमिनल मामला हो दोनों ही देशों में कई जगहों पर इतनी बड़ी प्रक्रियाओं का पालन करना पड़ता है जिस वजह से मामले डीले होते हैं और इस कारण से पेंडेंसी बनी रहती है। आज समाज में असामाजिक तत्व के रूप में एक नई समानांतर न्यायिक प्रक्रिया प्रारंभ हो रही है जो कि अब वैधानिक प्रक्रिया है और यह समाज में अराजकता का माहौल उत्पन्न कर सकती है। 

जुडिशरी के प्रति विश्वसनीयता कम होना खतरनाक--पंकज वाधवानी अधिवक्ता 

संस्था न्यायाश्रय के अध्यक्ष अधिवक्ता एवं विधि व्याख्याता पंकज वाधवानी ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में जिस प्रकार से बढ़ते प्रकरणों की वजह से न्यायालय के प्रति आम जनता की विश्वसनीयता कम होने का खतरा उत्पन्न हो गया है इस वजह से इस विषय पर चिंतन मनन करना अति आवश्यक है। 

इसके पहले वेबीनार में संस्था का परिचय संस्था के सचिव अधिवक्ता राहुल सुखानी ने किया एवं विषय परिचय अधिवक्ता जयंत दुबे एवं अभिषेक भार्गव ने किया ।आभार अधिवक्ता दुर्गेश शर्मा ने माना।

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