दशा माता का पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया | Dasha mata ka parv bade harshollas ke sath manaya

दशा माता का पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया

दशा माता का पर्व महिलाओं ने की पीपल के वृक्ष की पूजा-अर्चना; सुख-समृद्धि, शांति और सौभाग्य के लिए की कामना

दशा माता का पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया

तिरला (बगदीराम चौहान) - तिरला में दशा माता का पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। शुभ मुहूर्त में शहर सहित जिलेभर में महिलाएं पीपल के वृक्ष की पूजा अर्चना करती हुई नजर आ रही है। दशा माता कोई और नहीं बल्कि मां पार्वती का ही स्वरूप है।

दशा माता का व्रत, घर-परिवार के बिगड़े ग्रहों की दशा और परिस्थितियों को अनुकूल बनाने के लिए किया जाता है। इस दिन महिलाएं पूजा और व्रत करके गले में एक खास डोरा (पूजा का धागा) पहनती है, ताकि परिवार में सुख-समृद्धि, शांति, सौभाग्य और धन संपत्ति बनी रहे। महिलाएं इस दिन दशा माता और पीपल की पूजा कर सौभाग्य, ऐश्वर्य, सुख-शांति और अच्छी सेहत की कामना करती हैं। 

दशामाता व्रत के दिन मुख्यत: भगवान विष्णु के स्वरूप पीपल वृक्ष की पूजा की जाती है। इस दिन सौभाग्यवती महिलाएं कच्चे सूत का 10 तार का डोरा बनाकर उसमें 10 गांठ लगाती हैं और पीपल वृक्ष की प्रदक्षिणा करते उसकी पूजा करती है।

पूजा करने के बाद वृक्ष के नीचे बैठकर नल दमयंती की कथा सुनती है। इसके बाद परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करते हुए डोरा गले में बांधती है। घर आकर द्वार के दोनों हल्दी कुमकुम के छापे लगाती है। इस दिन व्रत रखा जाता है और एक समय भोजन किया जाता है।

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