स्वास्थ्य के हित मे युवा पीढ़ी धूम्रपान से दूर रहे
मनावर (पवन प्रजापत) - दिल्ली एम्स की रिपोर्ट-पुरुषों में 30 वर्षो में शुक्राणुओं की सँख्या तीन गुना घटी की ख़बर पढ़ी।धूम्रपान के चिंताजनक पहलू सामने आए।नोवा आईवीएफ फार्टिलिटी, ईस्टर्न इंडिया के मेडिकल डायरेक्टर डॉ रोहित गुटगुटिया के अनुसार शुक्राणुओं की गिरती सँख्या के लिए धूम्रपान एक बड़ी वजह है।आज की पीढ़ी ज्यादा धूम्रपान कर रही है।इसका असर फेफड़ों पर ही नही,प्रजनन क्षमता पर भी व्यापक रूप से असर हो रहा है।धूम्रपान से फेफड़े कमजोर हो जाते जिससे वे संक्रमण को रोकने में उतने प्रभावी नही होते जितने स्वस्थ फेफड़े होते है | निकोटिन भी हमारे पर्यावरण को जहरीला बनाता है।महज 8या 10 मिनट तक के परोक्ष धूम्रपान से व्यक्ति के रक्तचाप में वृद्धि, ह्रदय की धड़कनों में वृद्धि, खून की नलिकाओं में सिकुड़न,फेफड़ो पर प्रभाव होने से वे कमजोर हो जाते है।साथ ही कोरोना में ये शीघ्र प्रभावित हो जाते है।जिससे संक्रमण का स्तर बढ़ जाता है।धूम्रपान से फेफड़ो पर घातक प्रभाव पड़ता है। धूम्रपान का धुँआ पर्यावरण औऱ इंसान की सेहत बिगाड़ रहा है।खुशहाल जिंदगी जीने के लिए उत्पाद पर लिखी चेतावनी को भी गंभीरता से लेना होगा।ताकि स्वच्छ पर्यावरण के साथ फेफड़ों पर संक्रमण हावी ना हो पाए |
संजय वर्मा'दृष्टि'
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