150 वा पाटोत्सव का शुभारंभ, जंहा भागवत होती है, वही भक्ति होती है | 150va patotsav ka shubharambh
150 वा पाटोत्सव का शुभारंभ, जंहा भागवत होती है, वही भक्ति होती है
भागवत के श्रवण से ही वैराग्य दूर होता है, भागवत वेदों का सार है
बुरहानपुर (नवीन आड़े) - बुरहानपुर के सिलमपुरा स्थित स्वामिनारायण मंदिर में 150 वे सार्घ शताब्दी महोत्सव के दूसरे दिन 4 बजे से भागवत कथा शुरुआत संगीतमय कीर्तनों के साथ कथा प्रारंभ हुई।
इस अवसर पर व्यासपीठ पर विराजित शास्त्री सत्यप्रकाशदासजी ने कथा का भक्तों को रसपान कराया मीडिया प्रभारी गोपाल देवकर ने बताया कि मंदिर में प्रतिमा के 150 वर्ष पूर्ण होने पर शताब्दी महोत्सव मनाया जा रहा है इसी के चलते सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया है।
150 वे सर्घ शताब्दि महोत्सव के दूसरे दिन व्यास पीठ और विराजित शास्त्री सत्यप्रकाश दासजी ने सुंदर संगीतमयी कीर्तनों के साथ भागवत कथा का प्रारंभ किया, सुंदर संचालन करते हुए भक्ति किशोर शास्त्री ने कहा कि यहां भागवत एक सागर के समान है इसमें सभी भक्तों ने डुबकी लगाना चाहिए इसकी डुबकी के बिना सभी अधूरे है वही व्यासपीठ पर विराजित स्वामी सत्यप्रकाशदासजी ने कहा कि भगवत सुनना भी किसी भक्ति से कम नही है और यह सबका सौभाग्य नही होता कि भागवत सुन सके ,सेकड़ो पुण्यो के बाद भागवत सुनने को मिलती है, भागवत सुनने मात्र से वैराग्य दूर हो जाते है यदि व्यक्ति ने भागवत सुन ली तो मन लो उसने सभी वेदों का ज्ञान ले लिया क्योंकि भागवत वेदों का सार है जब हम भागवत रूपी रस पी रहे है तो हमे कैरी की आवश्यकता नही है जो इस रस का पान करता है वह सौभाग्यशाली है जो भाग्यशाली नही है उनके घर के आसपास यह गांव में होते हुए भी कथा नाहीं सुन पाते है वह अभागे होते है, इस महोत्सव में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव भी पहुचे जिन्होंने व्यासपीठ पर विराजित शास्त्री स्वामी सत्यप्रकासदासजी एवं कोठारी पी पी स्वामी का शॉल श्रीफल से सम्मान किया, महोत्सव में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव भी धूमधाम से मनाया गया कृष्ण के जन्म को लेकर जहा सभी उत्साहित है वही कथा एवम महोत्सव का सफल संचालन शास्त्री भक्ति किशोर स्वामी एवम मंदिर ट्रस्टी सोमेश्वरजी मर्चेंट ने किया।
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