विजय दशमी पर बाबा बन्दीछोड का जन्मोत्सव मनाया
धार (गणेश खेर) - धार किले में में स्तिथ शीश समाधि जहा बाबा ने अपने ही राजा से युद्ध किया और 900 दूल्हा दुल्हन को कैद से मुक्त किया , ओर अपने प्राणों का बलिदान दिया युद्व करते करते बाबा का शीश किले में तीसरे दुवार पर गिरा और युद्ध करते करते धड़ रतलाम रोड पर गिरा जहाँ शीश गिरा वहा शीश समाधि ओर जहां धड़ गिरा वह धड़ की समाधि बनाई गई विजयदशमी के दिन बाबा जा जन्मदिन के रूप में सभी भक्त लोग मानते है ,प्रातः 3 बजे बाजे ढोल से बाबा की पगड़ी पालकि लाई जाती है , भक्तो व बाबा बन्दीछोड जन्मउत्सव समिति के सदस्यों दुवारा जल गुलाब जल दूध दही घी शहद दे अभिषेक किया जाता है फिर इत्र चंदन अष्टगन्ध चढ़ाया , चादर चढ़ाई फिर 4 बजे आरती कर बाबा का भोग बैगन का भरता मक्की की रोटी खीर चढ़ा कर प्रसादी वितरण की गई।
इसी प्रकार शीश समाधि की पूजा कर बाद समिति के लोग ओर भक्तो दुवारा पालकि मे बाबा की पगड़ी धुमधाम से निकली गयी।
रतलाम रोड पर बाबा की धड़ की समाधी की चादर बदली गयी गुलाब जल से अभिषेक के बाद बाबा को नाड़े की पगड़ी बाद में सफेद साफा बांधा गया, भक्तो दुवारा बाबा को मावे का केके चढ़ाया गया काटा गया फिर पंडित विकु शुक्ला व मुजावर दुवारा आरती व फातिया दी गयी सभी धर्मों के लोग उपस्तिथ रहते है सदभावना सौहार्द के वातावरण में बाबा बन्दीछोड का जन्मउत्सव मनाया गया सेकड़ो की तादाद में माता बहने भक्त प्रातः 3 बजे से बाबा के दर्शन के लिए इंतजार करते देखे गए।
फिर प्रसादी में बैगन भर्ता ओर मक्की की रोटी नुगदी कितर्सं कि गयी आज बाबा के दरबार मे हजारो की संख्या में भक्त आते है और अपनी मनोकामना पूर्ण करते है जन्मउत्सव समिति के सदस्य गणेश खेर प्रकाश ठाकुर गग्गी रायकवार राकेश चावड़ा दिनेश पाल योगेंद सर दीपा पहलवान भीम भाई मकवाना राजेश आदि सेवा में उपस्तिथ थे।
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