सफलता की कहानी: कुपोषण और एनीमिया से मुक्त हुआ मयंक | Kuposhan or animia se mukt hua mayank

सफलता की कहानी: कुपोषण और एनीमिया से मुक्त हुआ मयंक

सफलता की कहानी: कुपोषण और एनीमिया से मुक्त हुआ मयंक

उज्जैन (रोशन पंकज) - चिन्तामन जवासिया के ग्राम रानाबड़ निवासी अर्जुन का एक वर्ष का पुत्र मयंक बीते कुछ दिनों से लगातार उल्टी-दस्त से ग्रसित था और उसे बुखार भी था। मयंक की स्थिति देखकर उसके माता-पिता बहुत परेशान थे। मयंक के पिता अर्जुन उसे लेकर शासकीय मातृ एवं शिशु चिकित्सालय चरक भवन पहुंचे तथा बालक को अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ को दिखाया। चिकित्सक द्वारा मयंक को शिशु वार्ड में भर्ती कर उपचार प्रारम्भ किया और आवश्यक जांचें करवाई गई।


जांच में पाया गया कि मयंक कुपोषण का शिकार है। मयंक का जब वजन करवाया गया तो उसका वजन छह किलो 20 ग्राम था। पता लगा कि मयंक एनीमिया का शिकार है और उसका हिमोग्लोबिन मात्र 5.6 ग्राम है जो सामान्य श्रेणी में नहीं आता है। चिकित्सक द्वारा तत्काल मयंक को शिशु वार्ड में भर्ती कर उपचार प्रारम्भ किया गया एवं मयंक के माता-पिता को प्रेरित किया गया कि वे चरक भवन में संचालित पोषण पुनर्वास केन्द्र में अपने बच्चे का उपचार करवायें।


मयंक को लगभग दो सप्ताह तक भर्ती रखकर उपचार किया गया। पोषण पुनर्वास केन्द्र में डॉ.देवेन्द्रसिंह सिसौदिया की निगरानी में मयंक को प्रतिदिन पौष्टिक आहार, आवश्यक दवाईयां एवं आवश्यक उपचार तथा ब्लड चढ़ाया गया। इसके फलस्वरूप मयंक का वजन लगभग चार किलो बढ़ गया और उसका हिमोग्लोबिन भी बढ़कर 9.7 ग्राम हो गया। भर्ती के दौरान मयंक को नि:शुल्क उपचार व स्वास्थ्य सेवाएं प्रदाय की गई और यहां पर भर्ती होने पर प्रोत्साहन राशि भी प्रदाय की गई।


अब चिकित्सक द्वारा मयंक को पोषण पुनर्वास केन्द्र से डिस्चार्ज कर दिया गया है। मयंक अब स्वस्थ है और उसके माता-पिता को उसे नियमित रूप से पोषण आहार खिलाने हेतु समझाईश भी दी गई है। मयंक के डिस्चार्ज होने के बाद उसके स्वास्थ्य सुधार की स्थिति जानने के लिये नियमित रूप से फॉलोअप भी चिकित्सक द्वारा किया जा रहा है। मयंक के माता-पिता अब खुश हैं कि उनका बेटा स्वस्थ हो गया है। मयंक के पिता वाहन चलाने का काम करते हैं। उन्हें अपने बच्चे के इलाज में लगने वाले खर्च की बहुत चिन्ता थी, परन्तु मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में संचालित पोषण पुनर्वास केन्द्र पर उनके बालक को प्रदाय की गई सभी नि:शुल्क सेवाओं के प्रति वे शासन का आभार व्यक्त कर रहे हैं।


उल्लेखनीय है कि शिशु स्वास्थ्य पोषण योजना के अन्तर्गत गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती करके 14 दिन तक उपचार किया जाता है। बच्चों को आवश्यक औषधियां व चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार आहार प्रदान किया जाता है। उज्जैन में कुल आठ पोषण पुनर्वास केन्द्र स्थापित हैं। बच्चे को पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती करवाने पर मां को क्षतिपूर्ति राशि के रूप में 120 रुपये प्रतिदिन के मान से 14 दिनों की कुल राशि 1680 और आने-जाने का किराया 100 रुपये दिया जाता है।

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