आचार्य ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के महापुण्योत्सव का तृतीय दिन
प्रभु अभिषेक, श्री पार्श्वनाथ महापूजन, आंगी-भक्ति हुई
आचार्य श्री ऋषभचन्द्रसूरि करुणा के अवतार थे: मुनि पीयुषचन्द्रविजय
राजगढ़/धार (संतोष जैन) - दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की पाट परम्परा के अष्टम पट्टधर गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. का महापुण्योत्सव 11 से 18 सितम्बर तक श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट के तत्वाधान में मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज वैराग्ययशविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जनकचन्द्रविजयजी म.सा. एवं साध्वी श्री सद्गुणाश्रीजी म.सा., साध्वी श्री संघवणश्रीजी म.सा., साध्वी श्री विमलयशाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा की निश्रा में चल रहा है ।
महापुण्योत्सव के तृतीय दिन गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा. ने कहा कि आचार्यश्री सदा हसमुख रहते थे और अपने भक्तों पर खुब आशिर्वाद बरसाते थे । आपके मन में कुट कुट कर दया करुणा भरी हुई थी आप किसी के भी दुख को देख नहीं सकते थे । आपके पास जो भी व्यक्ति अपनी समस्या लेकर रोते हुए आता और अपनी समस्या का समाधान पाकर हसते हुए जाता था । आपके दरबार से कोई भी भक्त कभी भी खाली हाथ नहीं गया । मानव से साथ-साथ पशु-पक्षियों से भी आपको बहुत प्रेम था । जिसका नजारा श्री मोहनखेड़ा तीर्थ की गौशाला में देखने को मिलता है । जहां हजारों कबुतर व अन्य पक्षी आश्रय व आहार पा रहे है । आपकी करुणा और दया के कारण गौशाला में लगभग दो हजार से अधिक गौमाता की सेवा श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा तीर्थ द्वारा सुचारु रुप से की जा रही है । यहां गायों को प्रातः नवकारसी के समय गौग्रास दिया जाता है सूर्यास्त के पश्चात् यहां गौमाता किसी प्रकार का आहार भी ग्रहण नहीं करती है । आपने अपने जीवन में मानव के साथ-साथ पशु पक्षियों की आत्मा को भी कल्याण मार्ग की और अग्रसर किया ।
पुण्योत्सव के अवसर पर जिन मंदिर में प्रातः प्रभुजी एवं दादा गुरुदेव के अभिषेक, दोपहर में श्री पार्श्वनाथ महापूजन एवं प्रभु की अंगरचना का लाभ मेंगलवा निवासी श्री पारसमलजी नेनमलजी जुटाजी संकलेचा परिवार द्वारा लिया गया । जिन मंदिर, गुरु समाधि मंदिर एवं आचार्य ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के समाधि स्थल पर विद्युत सज्जा की गयी है ।