आज की पत्रकारिता और पुरातन पत्रकारिता में बहुत विभिन्नता है - श्री राम सेन
अटल बिहारी वाजपेयी जी के साथ वह पल भुलाए नहीं भूल सकता
धामनोद (मुकेश सोडानी) - अब पत्रकारिता का व्यवसायीकरण हो चुका है जब हम पत्रकारिता करते थे अधिकारी तत्काल समाचारों पढ़ कर कार्रवाई करते थे लेकिन अब उनके कानों में जूं तक नहीं रेंगती इन सब का कारण और कुछ नहीं गिरता पत्रकारिता का स्तर है चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारीता का आधार जन हितेषी कार्य करना होता है आमजन को पीड़ा से कैसे निजात मिले इसी मूल उद्देश्य से कार्य करना चाहिए जब हम पत्रकारिता करते थे तब पेपर में खबर छपते ही अधिकारी उपस्थित हो जाते थे लेकिन अब विपरित स्थिति है यही नहीं सोशल मीडिया के बढ़ते चलन ने भी पत्रकारिता को एक हद तक रौंदा है लेकिन फिर भी अखबार का महत्व आज भी कम नही हुआ है सटीक और विश्वसनीयता अखबार को ही माना जाता है अखबार की महत्ता कभी भी समाप्त नहीं होती यदि आगे पत्रकारिता को जीवित रखना है तो आप सभी को निष्पक्ष और निर्भीक होकर कार्य करना पड़ेगा यह बात कही वरिष्ठ पत्रकार श्री राम सेन कही जो जो पिछले 65 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं उन्होंने नगर पत्रकार संघ अध्यक्ष मुकेश सोडानी विकास पटेल सुमित वर्मा आदि पत्रकारों को बैठक में संदेश दिया कि पत्रकारिता का स्तर ना गिरने दे।
मीसाबंदी रहे श्री राम सेन ने अनुभव साझा किए प्रशासन हमें रोकना चाहता था लेकिन हम तब रुके नहीं
गौरतलब है कि 40000 नगर की जनसंख्या में श्री राम सेन एक लोते मीसा बंदी है इसके बाद उन्होंने बताया कि बात 1977 की है आपातकाल में 21 महीने के बाद मुझे जेल से रिहा किया गया कुछ दिनों के बाद लोकसभा चुनाव की घोषणा हो गई उस समय खलघाट क्षेत्र से जनसंघ के नाम पर 5 लोग थे बाबूलाल गुप्ता श्री कृष्ण खजांची जगन्नाथ शर्मा और मैं उस समय जनसंघ पार्टी धार जिले का महामंत्री था एक दिन दैनिक पेपर बंडल में मुझे एक पत्र प्राप्त हुआ कि कल अटल बिहारी वाजपेई खरगोन में आम सभा को संबोधित करने जा रहे हैं आप धामनोद में उनसे मिलो दूसरे दिन अटल जी कार समीप धामनोद महेश्वर चौराहे पर आकर रुके महेश्वर चौराहे पर बाबूलाल गुप्ता का पेट्रोल पंप था साथ में विक्रम वर्मा थे हम लोगों को जेल से रिहा करने के बाद भी पुलिस प्रशासन की तगड़ी नजर हम पर थी हमें किसी का स्वागत किसी भी समारोह में जाने के लिए मनाही थी हम 5 लोगों के बीच कानाफूसी हुई कि अटल जी का स्वागत कैसे करें फूल माला से स्वागत करना हम लोगों को प्रतिबंधित है तब विक्रम वर्मा ने मुझसे कहा श्री राम फूल की माला लेकर आओ मैं साइकिल से बस स्टैंड पर गया वहां थानेदार मेहता ने मुझे रोका आप किसी का स्वागत नहीं कर सकते आप लोगों को पूरी तरह से जेल से रिहा नहीं किया गया है कभी भी वापस जेल में भेज सकते हैं मैंने कहा मुझे जेल में जरुर डाल देना किसी का स्वागत या फूल की माला पहनाने में कोई अपराध नहीं कर रहा हूं काफी देर बहस होती रही फिर मेहता साहब मान गए और 10 पैसे की फूलों की माला से अटल जी का स्वागत किया उस समय कांग्रेस के धामनोद में गोकुल प्रसाद जायसवाल रमण भाई पटेल बड़े नेता थे मेरे कहने पर इन लोगों ने भी अटल जी का स्वागत किया।
खरगोन और खंडवा की आम सभा में साथ ले गए मुझे
अटल जी प्रचारक थे उन्होंने भोजन करने की चेष्टा जाहिर की किसी के घर पर भोजन करना पसंद करते थे मेरे अनुरोध पर मेरे गांव बिखरौन चलने के लिए राजी हो गए उसके बाद हम मेरे गांव बिखरौन के लिए निकले मेरे घर पर भोजन करने के पश्चात मुझसे कहा कि खंडवा और खरगोन में मेरी आमसभा है आप भी मेरे साथ चलें मैंने सहमति दे दी और उनके साथ रवाना हो गए वहां करीब दो घंटे अटल जी ने आम सभा को संबोधित किया ऐसे मंच से अटल जी के आग्रह पर मुझे भी बोलने का अवसर दिया गया इसके बाद हम खंडवा पहुंचे वहां पर भी अटल जी की आम सभा में सैकड़ों लोग थे आमसभा खत्म होने के बाद अटल जी ने मुझसे कहा आप वापस धामनोद जा सकते हो इस बात को 44 वर्ष हो गए हैं लगता है कल की ही बात हो ऐसे महापुरुष को विनम्र श्रद्धांजलि आज अपनी यादें बताते हुए श्री राम सेन भावुक हो हो गए।