मानसिक रोगी हो चुके है पूर्व विधायक समतिरे - अजय मिश्रा | Mansik rogi ho chuke hai purv vidhayak samtire

मानसिक रोगी हो चुके है पूर्व विधायक समतिरे - अजय मिश्रा 

मानसिक रोगी हो चुके है पूर्व विधायक समतिरे - अजय मिश्रा

बालाघाट  (देवेंद्र खरे) - बालाघाट सर्व ब्राम्हण महासभा के महासचिव एवं जिला कांग्रेस कमेटी उपाध्यक्ष पं. अजय मिश्रा ने सर्व ब्राम्हण समाज के जिलाध्यक्ष पं. राजेश पाठक पर लगाये जा रहे अनर्गल एवं मनगढ़ंत आरोप पर पूर्व विधायक किशोर समरिते को मानसिक रोगी करार दिया है। 

प्रेस को जारी बयान में पं. मिश्रा ने सर्व ब्राम्हण समाज अध्यक्ष पं. राजेश पाठक पर लगाये गये मऊ और मलाजखंड बाजार एवं लांजी बाजार में 2 लाख गायों को कटवाने के आरोप और शिकायत को झूठ का पुलिंदा, मिथ्या और मनगढंगत बताते हुए इसे हास्यापद और तर्कहीन कहा। 

श्री पं. मिश्रा ने कहा कि दूसरों पर आरोप लगाने से पहले पूर्व विधायक किशोर समरिते अपने गिरेबान में झांककर देखे। कई संगीन अपराधिक मामलो से घिरे समरिते को लोगों पर अनर्गल और मनगढ़ंत आरोप लगाकर मीडिया की सुर्खियों में रहने की आदत है। समाज में ब्राम्हण समाज वेदशास्त्र और धर्मग्रंथो को मानने वाला समाज है,हमारे वेदशास्त्र और धर्मग्रंथो में स्पष्ट व्याख्या है कि गाय हमारी जननी है, हमारी माता है और गाय के बिना हम कोई भी शुभ कार्य का प्रारंभ नहीं करते लेकिन समरिते द्वारा समाज के अध्यक्ष पं. राजेश पाठक पर 2 लाख गायों को कटवाने का मिथ्या, मनगढ़ंत आरोप लगाने से पूरे ब्राम्हण समाज की भावनाये आहत हुई है और इसका जवाब भी कहीं न कहीं समरिते को देना होगा। 

पं. मिश्रा ने स्पष्ट शब्दो में कहा कि सर्व ब्राम्हण समाज अध्यक्ष पं. पाठक शुद्ध सनातनी, जनेऊधारी ब्राम्हण है, गौ-पूजक और सनातन धर्म पर उनकी अकाट्य आस्था है। समाज के महत्वपूर्ण पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ समरिते द्वारा लगाये गये आरोप ब्राम्हण समाज के प्रत्येक छोटे-बड़े व्यक्ति का अपमान है। उन्होंने समरिते को चुनौती देते हुए कहा कि वे अपने आरोपों को प्रमाणित रूप से सिद्ध करें या फिर ब्राम्हण समाज से सार्वजनिक रूप से माफी मांगे। 

पं. मिश्रा ने समरिते पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर लगाये गये मिथ्यापूर्ण आरोपों का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद दिये गये आदेश में तल्ख टिप्पणी करते हुए समरिते को अवांछनीय व्यक्ति बताते हुए 50 लाख रूपये का जुर्माना तथा 6 साल तक चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी थी। वस्तुतः किशोर समरिते स्वयं एक अपराधी किस्म के व्यक्ति है, जिन पर आईपीसी की कई धाराओं के तहत संगीन मामले दर्ज है। 

श्री पं. मिश्रा ने कहा कि एक जनप्रतिनिधि को जनप्रतिनिधि के रूप में गरिमामय व्यवहार और संयमित भाषा का उपयोग करना चाहिये। राजनीति के क्षेत्र में यूं तो किसी भी नेता का आगमन हमेशा जनसेवा और क्षेत्र के विकास को आगे बढ़ाने के लिए होता है तथा इसी ध्येय पर कार्य करने का दृष्टिकोण हर नेता का उस परिस्थिति में भी होना चाहिये, जब वो चुनाव हार भी जाये। बावजूद जनता की लड़ाई लड़ने का क्रम उसके माध्यम से जारी रहे, लेकिन बालाघाट जिले की राजनीति में किशोर समरिते के कार्यकाल को देखा जायें तो पिछले कुछ वर्षो में किशोर समरिते नेता के स्थान पर एक बड़े जालसाज के रूप में सामने आये है। प्रतिष्ठित लोगों का चरित्र हनन करना, उनके खिलाफ झूठी शिकायतें करना, उनका कारोबार बन गया है। जो किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता। पं. मिश्रा ने किशोर समरिते को समझाईश देते हुए कहा कि वे अपनी इस गतिविधियों पर लगाम लगाये ओर अपनी उर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाये।

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