भूजल की निकासी को विनियमित और नियंत्रित करने हेतु दिशा निर्देश जारी | Bhujal ki nikasi ko viniymit or niyantrit karne hetu disha nirdesh jari

भूजल की निकासी को विनियमित और नियंत्रित करने हेतु दिशा निर्देश जारी

भूजल की निकासी को विनियमित और नियंत्रित करने हेतु दिशा निर्देश जारी

रतलाम (यूसुफ अली बोहरा) - कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी श्री कुमार पुरुषोत्तम ने रतलाम जिले में स्थापित विभिन्न प्रकार के संस्थानों, प्रतिष्ठानों, सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योग, सील बंद जल उद्योगों, जहां पर भूजल दोहन कर उसका उपयोग किया जा रहा है, उनके संबंध में भारत शासन द्वारा जारी अधिसूचना के तहत दिशा निर्देश दिए हैं।

इस संबंध में जारी आदेश के अनुसार रतलाम जिले में स्थापित विभिन्न प्रकार के व्यावसायिक संस्थानों, प्रतिष्ठानों, सूक्ष्म, लघु, मध्यम, उद्यमों, सीलबंद जल उद्योगों आदि में उपयोग में लाए जा रहे भूजल की निकासी को विनियमित और नियंत्रित करने हेतु जल शक्ति मंत्रालय भारत शासन द्वारा राजपत्र में अधिसूचना जारी की गई है। जल शक्ति मंत्रालय भारत शासन एवं केंद्रीय भूजल बोर्ड द्वारा वर्ष 2019 में जारी आकलन में रतलाम जिले के रतलाम, जावरा, पिपलोदा एवं आलोट को अतिदोहित श्रेणी में तथा सैलाना एवं बाजना को अर्द्धगंभीर श्रेणी में रखा गया है। पेयजल, घरेलू, पशु, कृषि आदि के उपयोग अथवा बिना प्रयोजन दर्शाए खनित किए गए नलकूप, कुओं से बिना सक्षम अनुमति के भूजल का दोहन कर जल का उपयोग व्यवसायिक गतिविधियों में किए जाने को रोकने हेतु माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा समय-समय पर पारित आदेशों तथा केंद्रीय भूमिगत प्राधिकरण उत्तर मध्य क्षेत्र भोपाल के पत्र के तारतम्य में कार्यवाही की जाना आवश्यक हो गया है।

कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग रतलाम द्वारा बिना सक्षम प्राधिकारी से  अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त किए भूमि जल का दोहन कर उसका व्यावसायिक उपयोग प्रतिबंधित किए जाने के प्रस्ताव पर कार्रवाई करते हुए उक्त आदेश जारी किया गया है। आदेश दिनांक से जिले के किसी भी व्यावसायिक संस्थानों, प्रतिष्ठानों, सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यमों, सीलबंद उद्योगों आदि में भूजल दोहन कर उसका उपयोग अधिसूचना में उल्लेखित सक्षम प्राधिकारी से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त किए बिना नहीं किया जा सकेगा। अनापत्ति प्रमाण पत्र की समस्त शर्तों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाना होगा। शर्तों का उल्लंघन पाया जाने पर नुकसान और पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति की भरपाई तथा दंड का प्रावधान नियमानुसार किया जाएगा। केंद्रीय भूजल प्राधिकरण के निर्देश के उल्लंघन, अनापत्ति प्रमाण पत्र में निर्धारित शर्तों को पूरा न करने और इस आदेश के उल्लंघन करने पर पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा 15 से 21 के प्रावधानों के तहत वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।

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