समाजसेवी आजम राही की बेटी अलीजा फातिमा ने रखा पहला रोजा
देश मे अमन चैन मोहब्बत की मांगी दुवा
धार - कहते है दवा से ज्यादा दुवा का अशर होता है समाज सेवी व क्राइम दर्पण के धार संवादाता आजम राही कि बेटी अलीजा फातिमा शेख ने पहला व बड़ा रोजा रखा रोजे का मतलब त्याग प्रतिज्ञा उस रब से जो इस सारे जहा का मालिक उसे मनाने के लिए उसे राजी करने के लिए 12 घंटे बिना कोई खान पान यह तक अगर किसी चीज को देख कर मुह में पानी भी आजाये तो उसे हलक के नीचे नही उतार सकते इतने कठोर परिश्रम का दूसरा नाम रोजा है इतनी परिज्ञा व विस्वाश से रखा गया रोजा अपने आप मे बहुत बड़ी प्रतिज्ञा है इस तरह रोजा रख कर नियत किया जाता है मेने जो भी रब के लिए किया उससे मनाने के लिए किया उसके बदले हम सिर्फ अपने परिवार समाज व हमारे देश मे सभी सलामत रहे और ये जो बीमारी है इससे हर तरफ से महफूज रहे इसी दुवा के साथ फातिमा ने अपना रोजा रखा और नियत की ऊपर वाला फातिमा का रोज़ा व दुवा कबूल फरमाया।