असत्य एवं भ्रामक जानकारी देने से बचें-सीएमएचओ | Asatya evam bhramak jankari dene se bache
असत्य एवं भ्रामक जानकारी देने से बचें-सीएमएचओ
मीडिया प्रतिनिधियों से स्वास्थ्य विभाग ने किया आव्हान
भ्रामक खबरें प्रकाशित और प्रसारण से आमजन, स्वास्थ्य सेवाओं में लगे चिकित्सकों और स्वास्थ्य स्टॉफ का मनोबल गिरता है
बुरहानपुर (अमर दिवाने) - बुरहानपुर के अंक दिनांक 15 अप्रैल, 2021 समाचार पत्र में खबर प्रकाशित की गई है कि ‘‘मंत्री जी! इसका इलाज करें... निजी अस्पताल से ऑक्सीजन उधार मांगकर चला रहे काम‘‘ प्रकाशित खबर की वास्तविकता के विषय में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.एम.पी.गर्ग ने वीडियो के माध्यम से नागरिकों को अवगत कराया है कि दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबर जिसमें बताया गया है कि, शासकीय अस्पताल में ऑक्सीजन ना होने के कारण मरीजों को तकलीफ हुई और निजी अस्पताल से ऑक्सीजन उधार लेकर काम चलाया जा रहा है।
यह खबर पूर्णतः असत्य है स्वास्थ्य विभाग एवं जिला प्रशासन इस बात का खण्डन करता है। सीएमएचओ बुरहानपुर श्री गर्ग ने बताया कि आज दिनांक तक जिला अस्पताल में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं हुई है। जिससे कि किसी और जगह से ऑक्सीजन उधार लेना पडे़। इस प्रकाशित खबर में यह बताया गया है कि निजी चिकित्सालय में संदिग्ध कोविड के मरीजों का ईलाज किया जाता है। वहां मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण जिला चिकित्सालय से ऑक्सीजन के सिलेण्डर दिये गये थे। क्योंकि यह मानवता का प्रतीक है मरीज कहीं भी इलाज करायें, अगर उसको तकलीफ होती है और हमारे पास सुविधा है तो यह हमारा कर्तव्य है कि उसे सुविधाएं उपलब्ध करायें। जिससे उसकी जान बच सकें।
जो यह खबर छपी है कि प्रायवेट अस्पताल से ऑक्सीजन लेकर सरकारी अस्पताल में काम चलाया जा रहा है। यह पूर्णतः असत्य खबर है। निजी अस्पताल को जरूरत पड़ने पर हमारे द्वारा कुछ सिलेण्डर दिये गये थे। क्यांेकि उनके ऑक्सीजन सिलेण्डर के वाहन आने में 2 से 3 घण्टे लग रहे थे। जैसे ही उनकी ऑक्सीजन की गाड़ी आयी तो उन्होंने वह सिलेण्डर हमें वापस कर दिये। इस घटना को इस तरह से प्रस्तुत किया गया कि ऑक्सीजन की बहुत ज्यादा कमी है। इससे मरीजों को नुकसान हो रहा हैं एवं उनकी जान को भी खतरा है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉॅ.एम.पी.गर्ग ने समी मीडिया से अपील की है कि इस तरह की असत्य खबरें प्रकाशित करने से बचें। इससे आम नागरिकों में गलत सूचना एवं भय मिलता है वहीं रात-दिन मरीजों की सेवाओं में लगे चिकित्सकों, अधिकारियों व कर्मचारियों का मनोबल भी गिरता है।
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