विजयवर्गीय समाज ने स्वामीजी श्री रामचरणजी महाराज की जयंती धूमधाम से मनाई
आयोजन अवसर पर श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र को 21001 समर्पित भी किये
बड़वाह (रोमेश विजयवर्गीय) - विजयवर्गीय वैश्य समाज, बडवाह द्वारा स्वामीजी श्री रामचरण जी महाराज की 301 वी जयन्ती धूमधाम से मनाते हुए श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को समाजजनों द्वारा स्वामीजी की आरती में एकत्रित राशि 21001 रु समर्पित किये। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयम सेवक संघ के जिला कार्यवाह विवेक भटोरे,जिला सर संघ चालक राजेन्द्र साद तथा सम्पर्क प्रमुख हेम खण्डेलवाल को समाज अध्यक्ष रोमेश विजयवर्गीय एवम पदाधिकारियों ने उक्त राशि का चेक भेंट किया।इसके पूर्व दिवस पर्यंत चले जयंती कार्यक्रम में समाज के बच्चों द्वारा विभिन वेश भूषा के साथ लोकहित एवम धार्मिक सांस्कृतिक संदेश देते हुए फैंसी ड्रेस का प्रदर्शन किया ।
इसके पश्चात स्वागत भाषण देते हुए विजयवर्गीय वैश्य समाज के अध्यक्ष रोमेश विजयवर्गीय ने स्वामीजी के बारे बताया कि विजयवर्गीय परिवार में जन्मे स्वामीजी रामचरण जी महाराज "राम स्नेही"पंथ के पर्वतक थे जिस पंथ का सभी जातियो के असंख्य अनुयायी अनुसरण करते हैं चूंकि स्वामीजी के जन्म का सौभाग्य विजयवर्गीय समाज को प्राप्त हुआ इसलिए उनकी जयंती समाज द्वारा पूरे विश्व मे मनाई जाती है। इस अवसर पर के प्रतिभावान छात्र मेहुल कृष्णमुरारी विजयवर्गीय को कक्षा 10वी में तहसील में प्रथम स्थान प्रप्त करने पर मंचासीन अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। समाज की श्रीमती नीतू मोदी ने स्वामीजी पर तो कु सलोनी ने कोरोना वायरस पर स्व रचित कविताएं सुनाई।
इसके पूर्व मंचासीन अतिथियों जिसमे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जिला अधिकारीगण विवेक भटोरे, राजेन्द्र साद एवम हेम खंडेलवाल के अलावा स्थानीय समाज संरक्षक एस पी विजयवर्गीय, अग्रवाल समाज के अध्यक्ष सतीश सिंघल, मारवाड़ी ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष सोहन शर्मा ,समाजसेवी सुरेश जोशी तथा लायन्स क्लब के अध्यक्ष लक्ष्मीचंद विजयवर्गीय शामिल थे सभी का स्वागत सचिव आशीष मोदी, कोषाध्यक्ष कृष्णमुरारी विजयवर्गीय, सह सचिव लवेश विजयवर्गीय सह कोषाध्यक्ष महेश विजयवर्गीय, सांस्कृतिक सचिव अशोक विजयवर्गीय,संयोजक गण राजेन्द्र विजयवर्गीय,प्रकाश विजयवर्गीय ,जगदीश मोदी, आदि ने किया । कार्यक्रम का संचालन डॉ परेश विजयवर्गीय ने किया जबकि आभार दिनेश विजयवर्गीय ने प्रकट किया। कार्यक्रम के अंत मे स्वामीजी की प्रसादी के रूप में सहभोज किया गया।
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