उजड़ गए घरौदे दो वन क्षेत्रों में नहीं मिल सका एक भी गि्द
जिले में निराशाजनक स्थिति गिद्धों के लिए आहार की कमी, लुप्त हो रही प्रजातियां, प्रदूषण और वृक्षों की कमी ने छीना आशियाना, पर्यावरण की सफाई में अहम योगदान
जबलपुर (संतोष जैन) - शहरी क्षेत्र में ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी गिद्धों के लिए भोजन और रहने का ठिकाना ढूंढना मुश्किल हो रहा है गिद्धों को अब जिंदा रहने के लिए भी जतन करने पड़ रहे हैं इस स्थिति में गिद शहर से पलायन कर रहे हैं गद्दो हुई गणना में चंद गिद्ध मिलने के बाद इसका खुलासा हुआ है जिले के सीहोरा व बरगी क्षेत्र में गिद्धों का नामोनिशान नहीं मिला है इस बात को लेकर वन्य प्राणी विशेषज्ञ भी हैरान हैं इनको शेड्यूल वन में रखा गया है
प्रदूषण और वृक्षों की कमी ने छीना आशियाना
जानकारों का कहना है कि शहरी क्षेत्रों में बढ़ता प्रदूषण गिद्धों की कमी का मुख्य कारण है साथ ही अंधाधुंध काटे जा रहे वृक्षों से भी गिद्दो का बसेरा छीन रहा है यह पक्षी तेजी से विलुप्त की कगार पर है
पर्यावरण की सफाई में अहम योगदान
गिद्ध पर्यावरण को साफ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं यह मरे हुए प्राणियों का मांस खाता है इससे सड़े मास से होने वाली कई बीमारियों का संक्रमण नहीं फैलता इससे पर्यावरण का संतुलन बना रहता है