क्षेत्र का सुप्रसिद्ध बंदीछोर में लगा मकरसंक्रांति का मेला | Shetr ka suprasiddh bandichhod main laga makarsankranati ka mela
क्षेत्र का सुप्रसिद्ध बंदीछोर में लगा मकरसंक्रांति का मेला
डिंडौरी (पप्पू पड़वार) - समनापुर जनपद मुख्यालय नजदीकी सुप्रसिद्ध बंदीछोर जंगल में मकर संक्रांति मेला का आयोजन किया गया। यहां समनापुर मुख्यालय समेत आसपास के दर्जनों गांव के सैकड़ों श्रृद्धालु शामिल हुए। यह बंदीछोर मेला स्थल स्थानीय लोगों की आस्था का प्रतीक माना जाता है।
मकर संक्रांति पर लगने वाला यह मेला पूरे क्षेत्र मे प्रसिद्ध है। मेले में व्यवसायी प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी चाट पकौड़ा, छोले-जलेबी, मिठाई की दुकान सहित महिला सौंदर्य व प्रसाधन की दुकानें सहित चीनी मिट्टी की खिलौने व बर्तनों की दुकानें पर लोगों की भीड़ उमड़ी रही। मेले में तरफ सर्कस, चरखी-झूला, कठफोड़वा, जादुई तिलस्म सहित बच्चों के ढेर सारे खेल-खिलौने लोगों को खूब लुभा रहे थे। सुबह से ही समीपस्थ ग्राम वासियों के द्वारा पूजा तथा भागवत का कार्यक्रम रखा गया है. जिसमे अधिक से अधिक संख्या में भाग लेकर पूण्य के भागीदार बनने तथा मेले का लुफ्त उठाने लोग पहुंचे।
जिस जगह ये मेला लगता है उस जगह के उपरी डोंगरी के अंदर में झरना है झील के जैसा छोटा तालाब है हरा भरा मैदान है जो हर समय ठण्ड और ताजगी से भरा रहता है. इस बंदीछोर पर आयुर्वेदिक औषधियों का भी भंडार है. जहाँ आज भी वैद्यो को कई दुर्लभ प्रजाति की औषधियों तथा जड़ी बुटी के पौधे आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं और बंदीछोर के करीब ही विशाल बंधा तलाब है जो बारह महीने पानी से भरा रहता है. जो कि नहाने वाले को ताजगी से भर देता है
सरकार की उदासीनता..
इस जगह को धार्मिक व दार्शनिक स्थल घोषित कर इसका संरक्षण करने तथा यहाँ सुविधाएं विकसित करने की मांग आस पास की जनता के द्वारा सरकार से कई वर्षों से की जा रही है तथा हर वर्ष मेले के वक़्त आस पास के जन प्रतिनिधियों को यहां मुख्य अतिथि के रूप में बुलाकर उनसे भी विनती की जाती है. पर उसे आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिला है यदि यहाँ जाने हेतु पहुँच मार्ग तथा ऊपर चढ़ने हेतु सीढ़ियों का निर्माण करवा दिया जाए तो यहाँ पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं जो इस क्षेत्र के विकास में काफी मदद गार हो सकती हैं.
कैसे पहुंचे.
ये जगह समनापुर जनपद मुख्यालय से 5 किमी समरधा रोड़ के करीब है वैसे तो इस जगह पर पंहुचने के लिए तीन तरफ से रास्ता है मगर समरधा जाने वाले रास्ते पर जाना ज्यादा बेहतर है
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