राष्ट्रीय कवि संगम की इकाई का उद्घाटन एवं महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम हुआ सम्पन्न
आलीराजपुर (रफीक क़ुरैशी) - जिला काव्य गोष्ठी का आयोजन प्रोफेसर डाॅं. शंभूसिंहजी मनहर के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम मे सरस्वती माता की प्रतिमा एवं महाराणा प्रताप के चित्र के समक्ष दीप प्रवज्वलीत कर माल्यार्पण कर समारोह का षुभारंभ किया गया। स्वागत गीत कुमारी रितु सोलंकी, पूर्णिमा व्यास और आरती सोलंकी द्वारा संस्कृत के श्लोक से षुरू किया गया। मंचासीन संस्था के संरक्षक अरविंद गेहलोत, अषोक ओझा, अनिल तंवर, विषेष अतिथि राकेष यादव बड़वानी इकाई, राजेष राठोर अध्यक्ष राजपूत समाज अलीराजपुर अषोक सोलंकी, जिलाध्यक्ष अभा क्षत्रिय राजपूत समाज, पूर्णिमा व्यास प्रदेष अध्यक्ष ब्राहम्ण समाज, माधुरी सोनी और प्रदीप क्षीरसागर तथा जिलाध्यक्ष रमणसिंह सोलंकी थे। अतिथियों का स्वागत अध्यक्ष श्री सोलंकी द्वारा किया गया। काव्य गोष्ठी मे प्रोफेसर डाॅं. शंभूसिंहजी मनहर ने उद्बोधन देते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय कवि सम्मेलन की पूर्ति करता है हम सभी धर्म का सम्मान करे, परंतु अपने धर्म को उच्च स्तर पर ले जाना चाहिए उसका अपमान नही करना चाहिए। हम मंदिर नहीं जाते है और गीता नहीं पढ़ते है और तुलसीदास जैसे महाकवि को भूलते जा रहे है और लक्ष्मी बम्ब फटाखें जिन पर अपने देवी देवताओं के फोटो होते है उन्हें ही हम फोड़ते जा रहे है हमें अपने संस्कृति की रक्षा करनी चाहिए। उन्होने हिंदू धर्म, संस्कृति और समाज में एकता और संगठन पर बल देकर आव्हान किया कि वह अपने राष्ट्र के प्रति जन जागरण हिंदू धर्म के प्रति एकत्व की भावना रखना चाहिए। इस दौरान मुख्य अतिथि द्धारा समाज और हिंदू संगठन में श्रेष्ठ कार्य करने वालो का स्वागत पुष्पहार से किया गया। काव्य गोष्ठी को अनेक वक्ताओ ने संबोधित कर अपने विचार रखे। आरती सोलंकी, पूर्णिमा व्यास, प्रोफेसर डाॅं. शंभूसिंह मनहर एवं राकेष यादव ने काव्य पाठ से सबको प्रभावित किया। गोष्ठी मे सभी ने राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में अपना योगदान और समय देने का आष्वासन दिया तथा आगामी 24 तारीख को उज्जैन में होने वाले विषाल राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में उपस्थित होने की आषा व्यक्त की। इस अवसर पर राधेष्याम जोषी, कीर्ती राठौर, निलेष वाघेला, प्रोफेसर मीना और कुमारी नैना, अंजीष वाघेला, हिमांषु भटेवरा, संध्या पाण्डे, षेलेन्द्र सोलंकी, सपन जेन आदी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन आरती सोलंकी ने किया एवं आभार सुरभी जैन ने माना।