श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में आचार्यश्री यतीन्द्रसूरीष्वरजी म.सा. का 60 वां पूण्यदिवस मनाया गया | Shri mohankheda mahatirth main acharya shri yatindrsurishvarji m sa ka 60 va punyadivas manaya
श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में आचार्यश्री यतीन्द्रसूरीष्वरजी म.सा. का 60 वां पूण्यदिवस मनाया गया
राजगढ़/धार (संतोष जैन) - श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ के तत्वाधान में दादा गुरुदेव की पाट परम्परा के चतुर्थ पट्टधर व्याख्यान वाचस्पति पीताम्बर विजेता आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय यतीन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. का 60 वां पूण्यदिवस श्री मोहनखेड़ा तीर्थ विकास प्रेरक वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की पावनतम निश्रा एवं मुनिराज श्री चन्द्रयशविजयजी म.सा., मुनिराज श्री पुष्पेन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री रुपेन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जनकचन्द्रविजयजी म.सा., साध्वी श्री किरणप्रभाश्री जी म.सा., साध्वी श्री सद्गुणाश्री जी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में मनाया गया ।
इस अवसर पर आचार्यश्री ने कहा कि आचार्य श्री यतीन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. ने दादा गुरुदेव का अर्धशताब्दी महोत्सव मनाकर श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ का व्यापक प्रचार प्रसार किया । गुरु ही हमें परमात्मा तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करते है । गुरु में अपार शक्ति होती हैं । मनुष्य जाति से नहीं अपने कर्मो से महान बनता है । आचार्य श्री यतीन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के प्रथम शिष्य मेरे पूज्य गुरुवर पंचम पट्टधर आचार्यश्री विद्याचन्द्रसूरीश्वर जी म.सा. हुये थे और मैं मेरे गुरु का अन्तिम शिष्य हूॅ । आज त्रिस्तुतिक परम्परा में सभी साधु साध्वी भगवन्त आपके ही शिष्य परिवार के अग्रज है व समाज में ज्ञान का दीपक प्रकाशित कर रहे है । मुनिराज श्री चन्द्रयशविजयजी म.सा. ने कहा कि जो यतनापूर्वक जीवन निर्वाह करें उसे यति कहते है । आचार्यश्री एक सच्चे सद्गुरु थे उन्होंने तीर्थ के साथ समाज सुधार कर नयी दिशा दी । व्याख्यान वाचस्पति की उपाधि उनको आचार्य श्री धनचन्द्रसूरीश्वर जी म.सा. ने प्रदान की । मुनिराज श्री पुष्पेन्द्रविजयजी म.सा. ने कहा कि आचार्य श्री यतीन्द्रसूरीश्वर जी म.सा. का दादा गुरुदेव के प्रति अपार समर्पण था । वे इतिहासवेत्ता थे उन्होंने जहां जहां विहार किया उसका इतिहास सहित विवरण यतीन्द्र विहार दिग्दर्शन में प्रस्तुत किया जो आज के समय में भी उपयोगी है । साध्वी श्री विनयदर्शिताश्री जी ने भी अपने विचार व्यक्त किये । ट्रस्ट मण्डल की और से मेनेजिंग ट्रस्टी सुजानमल सेठ ने कहा कि आचार्य श्री यतीन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. का वात्सल्य मुझे भी राणापुर के चातुर्मास में प्राप्त हुआ उस वक्त मेरी उम्र लगभग 9 या 10 वर्ष की रही होगी । गुरु की शक्ति को कोई नहीं पहचान सकता यह बात मेने उस समय महसुस की थी । गुरु अपनी शक्ति से अपने भक्त का पूरा जीवन सवार देते है । जो गुरु को अपने मन में बसा लेते है उनके जीवन में कभी संकट आता ही नहीं है । मुझे याद है कि आचार्य यतीन्द्रसूरीश्वर जी म.सा. ने राणापुर के भंसाली परिवार को ऐसा आशीर्वाद दिया कि उनका जीवन सफल हो गया ।
आचार्य श्री ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा से स्व लालचंदजी एवं हितेशकुमार खजांची के आत्मश्रेयार्थ श्रीमती लीलादेवी लालचंदजी खजांची परिवार के पुत्र- राजेन्द्रकुमार, तेजकुमार, सुनिलकुमार खजांची गोठी परिवार की और से आचार्य श्री यतीन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के 60 वें पूण्य दिवस पर स्वामीवात्सल्य का आयोजन किया गया ।
कार्यक्रम में तीर्थ के मेनेजिंग ट्रस्टी सुजानमल सेठ, ट्रस्टी- मांगीलाल पावेचा, कमल लुणिया एवं राजगढ़ श्रीसंघ अध्यक्ष मणीलाल खजांची, जयंतीलाल कंकुचैपड़ा, दीपक बाफना, प्रकाश छाजेड़, सेवतीलाल मोदी, कैलाश जैन पिपलीवाले, दिलीप पुराणी, संतोष चत्तर, श्रीमती मंजू पावेचा, श्रीमती चन्द्रकांता सेठ, श्रीमती अरुणा सेठ, श्रीमती अंगुरबाला खजांची, श्रीमती कल्पना खजांची, श्रीमती संतोष खजांची, महाप्रबंधक अर्जुनप्रसाद मेहता, सहप्रबंधक प्रीतेश जैन सहित बड़ी संख्या में समाजजनों ने चतुर्थ आचार्य श्री यतीन्द्रसूरीश्वर जी म.सा. को श्रद्धा सुमन अर्पित किये ।
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