गांव की आबादी 567, पर सरकारी रिकॉर्ड में वीरान, ग्रामीण दो दशक से परेशान | Ganv ki abadi 567 pr sarkari record main viran

गांव की आबादी 567, पर सरकारी रिकॉर्ड में वीरान, ग्रामीण दो दशक से परेशान

गांव की आबादी 567, पर सरकारी रिकॉर्ड में वीरान, ग्रामीण दो दशक से परेशान

डिंडौरी (पप्पू पड़वार) - मप्र के आदिवासी बाहुल्य जिला डिंडौरी का एक गांव ऐसा है, जिसमें 567 लोग निवास करते हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के राजपत्र में दो दशक से यह वीरान है। विलुप्त होती जनजाति में शामिल बैगा राजपत्र में वीरान बस्ती को ग्राम घोषित कराने के लिए लंबी लड़ाई सालों से लड़ रहे हैं। कुटैलीदादर को ग्राम घोषित कराने ग्राम सभा ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव भी पारित किया है, लेकिन अब तक यह समस्या हल होती नजर नहीं आ रही है।

जो बस्ती राजपत्र में वीरान है, वहां के लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ तो किसी तरह मिल जाता है, लेकिन आजादी के सात दशक बीतने के बाद भी बैगा बस्ती में पहुंच मार्ग भी नहीं बन पाया है। बैगा जनजाति को गांव तक पहुंच मार्ग न होने से स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ भी नहीं मिल पाता। बारिश में समस्या और बढ़ जाती है। मरीजों के साथ प्रसूता को खाट में पैदल लेकर ग्रामीण लंबी दूरी तय कर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचते हैं। कई ग्रामीण समय पर इलाज न मिलने से दम भी तोड़ चुके हैं।


आश्वासन मिला, पर नहीं हुआ समाधान


कुटैलीदादर के ग्रामीण कमल सिंह, अमर सिंह व सुकलाल ने बताया कि मार्च 2020 में कलेक्टर बी कार्तिकेयन गांव का आकस्मिक निरीक्षण करने आए थे। उस दौरान सभी लोगों ने दस्तावेजों में वीरान बस्ती की समस्या के साथ सड़क बनाने की मांग रखी थी। ग्रामीणों ने बताया कि कलेक्टर ने छह माह में समस्या का समाधान होने का आश्वासन दिया था, लेकिन लगभग नौ माह बाद भी समस्या ज्यों की त्यों है। न तो सड़क बन पाई है और न ही गांव दस्तावेजों में वीरान से आबादी वाला गांव बन पाया है।


यह है स्थिति


करंजिया जनपद की ग्राम पंचायत उमरिया के पोषक वनग्राम कुटैलीदादर को वीरान से हटाकर वनग्राम घोषित करने का प्रस्ताव ग्राम पंचायत ने 19 अगस्त 2020 को पारित किया था।

गांव की आबादी 567 आबादी है, मकानों की संख्या 209 है।

मनरेगा में जॉब कार्डधारी परिवार 191 हैं, गरीबी रेखा सूची में 189 परिवार हैं।

102 लोगों को वनाध‍िकार का पट्टा मिल चुका है।


गांव में सरकारी प्राइमरी स्कूल भी है, जिसमें 63 बच्चे पढ़ रहे हैं।

बैगा जनजाति के लिए यहां मतदान केंद्र भी बनता है, लेकिन गांव दस्तावेज में वीरान है।


इनका कहना है


गांव की समस्या मेरी जानकारी में है। मैंने संबंधि‍त गांव का भ्रमण भी किया है। गांव तक जाने के लिए सड़क निर्माण कार्य के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

-बी कार्तिकेयन, कलेक्टर डिंडौरी

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