महत्वपूर्ण जानकारी: लोकपाल में प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर भारत देश के प्रधानमंत्री की भी शिकायत की जा सकती है
रतलाम-झाबुआ (संदीप बरबेटा) - प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा किए गए पद के दुरुपयोग, भ्रष्टाचार तथा जनता के हित के कार्य नहीं किए जाने पर लोकपाल में शिकायत की जा सकेगी, लोकपाल का क्षेत्राधिकार प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर भारत देश के प्रधानमंत्री तक की शिकायत लोकपाल में की जा सकती है,
*लोकपाल के काम और ताकत*
– लोकपाल के क्षेत्राधिकार में प्रधानमंत्री, मंत्री, सांसद, ग्रेड A, B, C, D अफसर आते हैं. इसके अलावा लोकपाल किसी बोर्ड, कॉरपोरेशन, सोसायटी, ट्रस्ट या स्वायत्त संस्था के चेयरपर्सन, सदस्य, अफसरों और डायरेक्टर्स की भी जांच कर सकता है.
– ज्युडिशियरी को इससे बाहर रखा गया है, जबकि स्वीडन में ज्युडिशियरी ओमबुड्समैन के तहत आती है.
– प्रधानमंत्री के ख़िलाफ आरोप के निपटारे के लिए विशेष प्रक्रिया अपनाई जाएगी. प्रधानमंत्री लोकपाल के दायरे में है, लेकिन बहुत सारे विषयों में वे लोकपाल से परे हैं. अगर इंटरनेशनल रिलेशन, इंटरनल सिक्योरिटी, पब्लिक ऑर्डर, एटॉमिक एनर्जी और स्पेस से जुड़े मामले हैं, तो फुल बेंच इस पर फैसला लेगी और दो-तिहाई बहुमत से उसे पास होना चाहिए.
– अगर कोई सोसायटी, ट्रस्ट या संस्था को 10 लाख रुपए से ऊपर का विदेशी पैसा मिलता है.
– प्रक्रिया के दौरान अधिकारियों की तरफ से भ्रष्ट तरीके से कमाई गई संपत्ति को जब्त करने का अधिकार.
– मामले के निपटारे के लिए एक साल की समय-सीमा तय की गई. विशेष परिस्थितियों में इसे एक और साल के लिए बढ़ाया जा सकता है.
– मुकदमे विशेष अदालत में चलाए जाएंगे.
– लोकपाल शुरुआती पूछताछ अपनी विंग के पास भेज सकता है. अगर पहली नज़र में उसे लगे, तो मामला CBI, CVC जैसी किसी जांच एजेंसी को भी मामला भेजा जा सकता है.
– शुरुआती जांच शिकायत दायर होने के बाद करीब 90 दिनों के अंदर पूरी हो जानी चाहिए
क्या हैं शिकायत के नियम
– ऐक्ट के सेक्शन 14 का सब-सेक्शन 1 (a) कहता है कि पब्लिक सर्वेंट के ख़िलाफ़ शिकायतों पर फुल बेंच फैसला लेगी कि ये शिकायत लेनी है या नहीं.
– सेक्शन 14 (1) (ii) के मुताबिक, पूछताछ कैमरे की निगरानी में होगी. अगर लोकपाल को लगता है कि शिकायत खारिज करने लायक है, तो पूछताछ के रिकॉर्ड न ही प्रकाशित करवाए जाएंगे और न ही किसी को उपलब्ध कराए जाएंगे.
– अगर मौजूदा प्रधानमंत्री या पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ शिकायत होती है, तो फुल बेंच तय करेगी कि इस पर सुनवाई शुरू हो या नहीं. किसी केंद्रीय मंत्री या सांसद के खिलाफ शिकायत पर तीन सदस्यों की समिति फैसला करेगी कि शिकायत लेनी है या नहीं.
– जांच पूरी होने तक लोकपाल को शिकायत करने वाले की आइडेंटिटी को सुरक्षित रखना होगा, जब तक शिकायतकर्ता खुद किसी संबंधित अथॉरिटी को अपनी आइडेंटिटी नहीं बता देता.
– नियमों में ये भी बताया गया है कि अगर शिकायत अवैध, अस्पष्ट, ओछी है, तो उसे ख़ारिज किया जा सकता है. अगर शिकायत किसी पब्लिक सर्वेंट के ख़िलाफ़ नहीं है, तो भी शिकायत ख़ारिज हो सकती है. इसके अलावा अगर उस पर किसी कोर्ट, ट्रिब्यूनल, अथॉरिटी में मामला पेंडिंग है, तब भी शिकायत ख़ारिज हो सकती है.
– अगर किसी भ्रष्टाचार के बारे में शिकायत की जा रही हो, तो वो भ्रष्टाचार सात साल के पीरियड में होना चाहिए.
– शिकायत के लिए हलफनामे के साथ गैर ज्यूडिशियल स्टैम्प पेपर भी देना होगा. किसी को फंसाने की नीयत से गलत शिकायत करना दंडनीय अपराध होगा और इसके लिए एक साल तक की कैद और एक लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है.
– शिकायत के साथ अपना आईडी प्रूफ भी देना होगा. अगर कोई ऑर्गनाइजेशन, कॉर्पोरेशन, कंपनी या ट्रस्ट शिकायत करते हैं, तो उसे अपना रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट भी शिकायत के साथ देना होगा.
– शिकायत व्यक्तिगत रूप से, डाक से या इलेक्ट्रॉनिक तरीके से की जा सकती है. इलेक्ट्रॉनिक रूप से शिकायत साधारण अंग्रेजी में की जा सकती है. इलेक्ट्रॉनिक रूप से शिकायत करने पर 15 दिनों के अंदर उसकी हार्ड कॉपी भी जमा करनी होगी.
– इसके अलावा शिकायत के लिए हिंदी, गुजराती, असमी, मराठी समेत आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में से कोई भी भाषा इस्तेमाल की जा सकती है.
– आर्मी ऐक्ट, नेवी ऐक्ट, एयर फोर्स ऐक्ट और कोस्ट गार्ड ऐक्ट के तहत पब्लिक सर्वेंट के ख़िलाफ़ शिकायत नहीं की जा सकती.
प्रशासनिक सुधार आयोग के मुताबिक, लोकपाल और लोकायुक्त:-
– वे स्वतंत्र और निष्पक्षता दिखाएंगे.
– उनकी जांच और कार्रवाई गुप्त रूप से होगी.
– उनकी नियुक्ति जहां तक संभव हो, गैर-राजनीतिक हो.
– उनका स्तर देश में उच्चतम न्यायिक अथॉरिटी के बराबर होगा.
– वे अपने विवेक के हिसाब से अन्याय, भ्रष्टाचार और पक्षपात से संबंधित मामलों को देखेंगे.
– उनकी कार्रवाई में न्यायिक दखलअंदाजी नहीं होगी.