छोटे ओमकारेश्वर जी के नाम से प्रसिद्ध है लाखनकोट का महादेव मंदिर
जमीन के अंदर से खुदाई के बाद निकला था भोलेनाथ का शिवलिंग
पिछले 43 वर्षों से कार्तिक मास की पूर्णिमा पर लगता है मेला आसपास और दूरदराज से बड़ी संख्या में आते हैं ग्रामीण
मनावर (पवन प्रजापत) मनावर से करीब 12 किलोमीटर दूर प्राकृतिक छटाओं के बीच में ग्राम लाखनकोट के समीप पहाड़ी पर भगवान भोलेनाथ ओंकारेश्वर स्वरूप में विराजित है। कहते हैं कि 43 वर्ष पूर्व सपने में स्वयं भोलेनाथ ने मंदिर के पुजारी को दर्शन देकर अपना जमीन के अंदर होना बताया था। इसके बाद उक्त स्थान पर खुदाई करने के पश्चात यह शिवलिंग निकला था। जिसे ग्रामीणों ने उक्त पहाड़ी पर स्थापित किया था तभी से कार्तिक मास की पूर्णिमा पर तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। इस दौरान बड़ी संख्या में आसपास और दूरदराज के ग्रामीण यहां आते हैं। तथा अपनी खरीदारी करने के साथ भोलेनाथ से मन्नत आदि मांग कर मन्नतें पूरी की जाती है।
प्रति वर्ष की तरह इस बार भी मेले का आयोजन किया गया लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते इस बार रौनक नदारद रही और शिव भक्त भी बहुत कम संख्या में पहुंच पाए।
मंदिर के पुजारी महंत बाबूलाल बताते हैं कि वर्ष 1967 मैं जब मैं 10 वर्ष का था तो भोलेनाथ ने स्वप्न में आकर अपना जमीन के अंदर होना बताया था यह स्वप्न जब मैंने अपने माता-पिता और परिजनों को बताया तो उन्होंने सपना मानकर इस पर ध्यान नहीं दिया दो-तीन दिन तक तो सब ठीक चलता रहा इसके बाद अचानक मेरी तबीयत खराब होने लगी दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था।परिजन मुझे जगह-जगह नहलाने और हवा प्रेत की बाधा उतारने के लिए तांत्रिकों के पास ले जाने लगे लेकिन हालत में सुधार नहीं हुआ। इसके बाद जब यह बात ग्राम के अन्य लोगों को पता चली तो सपना वाले स्थान पर खुदाई की गई और फिर वहां से यह शिवलिंग निकालकर स्थापित किया गया और तभी से मेले की शुरुआत भी हुई लेकिन कालांतर में मेले में दुकानें और भीड़ बढ़ने से वह स्थान पर्याप्त नहीं था। इसके बाद वर्ष 2008 में शिव भक्तों और ग्रामीणों के सहयोग से उक्त पहाड़ी पर भव्य मंदिर बना कर उक्त शिवलिंग को स्थापित किया गया।
उल्लेखनीय है कि ग्रामीण क्षेत्र में इस महादेव मंदिर का अपना बहुत महत्व है उक्त मंदिर और मेले में आसपास के साथ ही अलीराजपुर कुक्षी बड़वानी गंधवानी डेहरी बाग आदि क्षेत्रों के शिव भक्त बड़ी तादाद में दर्शन के लिए आते हैं और भोलेनाथ से मन्नतें मांगते हैं ग्रामीणों का कहना है कि बड़े ओमकार जी के बाद हमारे लिए यह छोटे ओमकार जी का बहुत महत्व है वर्तमान में यहां महंत बाबूलाल जी के साथ उनके पुत्र दयाराम और पोते शंभू मंदिर की देखरेख करते हैं सामाजिक कार्यकर्ता विश्वदीप मिश्रा और विमल अग्रवाल मनावर का कहना है कि यहां बड़ी संख्या में शिव भक्त दर्शन के लिए आते हैं लेकिन कई प्रकार की सुविधाओं का अभाव है यहां पर विकास की बहुत संभावनाएं हैं यदि कहीं से मदद मिल जाती है तो इस स्थान को बहुत सुंदर और प्राकृतिक रूप में विकसित किया जा सकता है।