राज है कोई गहरा - लगा है सख्त पहरा
संत सिंगाजी परियोजना की इकाई नंबर तीन की टरबाइन के टूटे हुए रोटर को ताबूत बनाकर सुरक्षा के पहरे मे शाम के समय गुजरात रवाना किया गया
प्रदेश मे सबसे महंगी बिजली बनाने का रेकार्ड संत सिंगाजी परियोजना के नाम
रोटर के टूटे हुए टुकड़े को ढूंढ़ने के लिए स्टीम लाइन को काटी जा रही है ताकि बाद मे कोई और परेशानी खड़ी ना हो जाये
खण्डवा/बीड (सतीश गम्बरे) - संत सिंगाजी पावर परियोजना मे हाल ही मे एल एंड टी कंपनी द्वारा निर्मित की गई 1320 मेगावाट की दोनौ इकाइयों मे पी .जी टेस्ट के दौरान हाई प्रेशर टरबाइन मे गंभीर खराबी के बाद 5 अगस्त को बंद हुई इकाई नंबर तीन का रोटर मरम्मत के लिए सुरक्षा पहरे के बीच सोमवार शाम को परियोजना से जापानी टरबाइन निर्माता कंपनी मित्सुबीसी के भारत स्थित गुजरात के हजीरा मे बने वर्कशाप मे रवाना किया गया है रोटर के क्षतिग्रस्त हिस्से को ठीक करने एवं उसकी बेलेन्सिन्ग कर बिजली उत्पादन मे कितने महीनो का समय लगेगा ये अधिकारी भी नही बता पा रहे है वही इकाई नंबर चार की टरबाइन को एल एंड टी कंपनी द्वारा कई दिन टालने के बाद बड़ी मशक्कत कर खुलवाने मे एम पी पी जी सी एल आखिर कामयाब हो गई है अधिकारियो का कहना है की इस इकाई मे कोई बड़ा फाल्ट नही है यही सुधार लिया जाएगा तथा रोटर के टूटे हुए टुकड़े को खोजने के लिए पूरी स्टीम लाइन को काट कर देखा जा रहा है क्योकि यह टुकड़ा दोबारा बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है एल एंड टी पावर कंपनी द्वारा निर्माण कराई गई इन दोनो इकाइयों के रबी की फसल के सीजन एवं त्योहारी समय मे मांग बढ़ने के बाद भी इकाइयां बंद रहने से एम पी पी जी सी एल को अब तक कई हजार करोड रुपये की उत्पादन हानि उठाना पड़ चुकी है वही परियोजना के नही चलने के बाद भी दोनो इकाइयों के फिक्स चार्ज के रूप मे करीब सौ करोड़ से ज्यादा रुपए प्रत्येक महीने चुकाने पड़ रहे है अधिकारियो की मिलीभगत कर घटिया निर्माण कराने के बाद इसका बोझ अब जनता से वसूला जा रहा है फिर भी सरकार का ध्यान इस और ना होकर चुनाव पर केंद्रित है ॥
प्रदेश की सबसे आधुनिक तकनीक की इकाइयां लेकिन सबसे महंगा बिजली उत्पादन
सिंगाजी पावर परियोजना प्रदेश की सबसे आधुनिक तकनीक से तैयार की गई परियोजना है सरकार ने कम कोयले मे अधिक बिजली उत्पादन के इरादों से दस हजार करोड़ से अधिक रुपये खर्च कर इन सुपर क्रिटिकल इकाइयों का निर्माण कराया था लेकिन संघठित भ्रष्टाचार कर आपसी हित साधने के कारण परियोजना मे सबसे घटिया मटेरियल लगवा गया जिसका खामियाजा अब करोडो के नुकसान से उठाया जा रहा है विदित होकी प्रदेश की 30 साल से अधिक पुराने हो चुके पावर प्लांटों मे कम कोयले मे बिजली बन रही है वही आधुनिक तकनीक से बने सिंगाजी प्लांट मे प्रति यूनिट कोयला खपत इन प्लांटों से करीब 20 प्रतिशत अधिक है जिसमे लाखो रुपये रोज का अधिक कोयला फूंका जा रहा है
तीन नंबर इकाई का रोटर सुधार हेतु गुजरात भेजा गया है चार नंबर इकाई की टरबाइन मे ज्यादा खराबी नही आई हे उसे यही दुरुस्त कर लिया जाएगा ! !
वी के कैलाशिया
मुख्य अभियंता
सिंगाजी पावर परियोजना