बड़वानी / जैसा नाम वैसा काम, जी हां हम बात कर रहे हैं आशाग्राम के कुष्ठ हितग्राही जतन नूर जी की। जिनके नाम का पर्याय ही कोशिश है और उसी के अनुरूप अपने नाम की परिभाषा को साकार करते हुए उन्होने न केवल आशाग्राम ट्रस्ट में कुष्ठ रोग से मुक्ति पाई बल्कि आशा ग्राम के कृषि उद्यान में काम करने के साथ-साथ यहीं पर गार्ड की नौकरी कर अपने बच्चों को भी शिक्षित कर योग्य बनाया ।
श्री जतन का एक पुत्र इंजीनियर तो दूसरा पुत्र वृद्ध आश्रम में सुपरवाइजर का काम करता है। अब तो श्री जतन के पोते भी इंजीनियर और मैकेनिक हो गए हैं। किंतु श्री जतन ने अभी भी जीवन की सक्रियता बरकरार रखते हुए पशुपालन का काम स्वयं भी चालू कर दिया है। 3 साल पहले दो भैंस लाकर जतन ने दूध का व्यवसाय आरंभ किया था आज जतन के पास सात भैंस हैं । आज श्री जतन, अपने जतन से अपनी दूध डेरी में उत्पादित दुग्ध को बेचकर अपने पूरे परिवार को संबल प्रदान कर आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रहे है।
Tags
badwani