वर्द्धा की अर्थी को महिलाओं ने कंधा देकर अंतिम संस्कार विधि कराई
सूरत (प्रवीण शाह) - कलियुग में खून के रिस्तेको स्वार्थ की हवा लग गई है तब सुरत के वराछा बिस्तार मे आया शांतिदूत महिला मंडल निराधरो के लिए सतयुग के श्रवण समान एक प्रेरणा रुप बन गया है निराधार बृद्धा ओको मंडल द्वारा संचालित वृद्धाश्रम मे रखा जाता हैं उस समय किसी वृद्धा की मृत्यु होती हैं तो यह मंडल की महिलाओं द्वारा वृद्धा को अर्थी पर रखर उनको शमशान घाट तक कांधा देनेका कार्य भी यह संस्था की महिलाएं करती हैं पिछले दिन वृद्धाश्रम मे 18 मास से बिमार 85 साल की वृद्धा का अंतिम संस्कार पुरी धार्मिक विधि अनुसार किया गया मंडल की बहनो द्वारा पुरुषप्रधान समाज में एक उतम श्रेष्ठ उदाहरण दीया है यह महिला मंडल की बहनोंने मुल मुंबई की रहनेवाली प्रदुलाबहेन कापडिया जिनकी उम्र 85 साल की थी पिछले चार सालो से वसंत भीखाकी वाडी के बाजुमे आया राधाकृष्ण को.ओ.हाउसिंग सोसायटी में यह शांतिदूत महिला मंडल संचालित वृद्धाश्रम मे प्रदुलाबहन की बेटी यह आश्रम में रखकर गई थी यह मंडल की अध्यक्ष मधुबहेन खेनी है जो 60 से 85 साल की उम्र वाली 18 महिलाओं की सेवा कर रही हैं जे कोईभी फंड वगेरे लेते नही है और अपने घर के निचे वृद्धाश्रम चला रहे है।
पिछले चार साल पहले प्रदुलाबहन की बेटी प्रदुलाबहन को यह आश्रम में रखकर समय समय पर मिलने आती थी उनकी बेटी पिछले 18 मास से बिमार थी प्रदुलाबहन उनकी दैनिक क्रिया सब उनके बिस्तर में ही होती थी रविवार के दिन दुपहर मे प्रदुलाबहन ने अंतिम सांस ली उसके बाद प्रश्न अंतिम संस्कार का आया तो हरबार की तरह मधुबहेन और महिला मंडल की बहनो ने प्रदुलाबहन की अर्थी को अपनी कांध दी और प्रदुलाबहन के नश्वर शरीर को अग्नि संस्कार किया गया।
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