शोषित वर्ग के संवैधानिक अधिकारों के सजग प्रहरी बने लोक अभियोजक - पुरुषोत्तम शर्मा | Shoshit varg ke sanvaidhanik adhikaro ke sajag prahari bane lok abhiyojak

शोषित वर्ग के संवैधानिक अधिकारों के सजग प्रहरी बने लोक अभियोजक - पुरुषोत्तम शर्मा

शोषित वर्ग के संवैधानिक अधिकारों के सजग प्रहरी बने लोक अभियोजक - पुरुषोत्तम शर्मा

थांदला (कादर शेख) - अनुसूचित जाति जनजाति (अत्याचार) निवारण अधिनियम 1989 के संबंध में एक प्रदेशस्तरीय वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन मध्य प्रदेश लोक अभियोजन द्वारा किया गया जिसमें संपूर्ण प्रदेश  से अभियोजन अधिकारियों द्वारा सहभागिता की गई। उपरोक्त कार्यशाला संचालक लोक अभियोजन मध्य प्रदेश पुरुषोत्तम शर्मा के सक्षम मार्गदर्शन में संपन्न हुई।

अभियोजन मीडिया प्रभारी वर्षा जैन के अनुसार प्रदेश भर के अभियोजन अधिकारी  वेबीनार के माध्यम से प्रशिक्षण में शामिल  हुए। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए संचालक लोक अभियोजन मध्य प्रदेश पुरुषोत्तम शर्मा ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 17की विशद व्याख्या  करते हुए कहा की शोषित वर्ग को संरक्षण देने के लिए उन्हें न केवल समानता का अधिकार प्रदान किया गया है बल्कि अनुच्छेद 15 एवं 17 के आलोक में उन्हें अन्य भारतीय नागरिकों की भांति सभी तरह के सार्वजनिक अधिकार देते हुए अस्पृश्यता का उन्मूलन किया गया है। श्री शर्मा ने कहा कि विधायिका द्वारा सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955 बना कर अस्पृश्यता को समाप्त किया है ।इसी क्रम में विधायिका ने शोषित वर्ग को संरक्षित करने के लिए अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 बना कर शोषित वर्ग के विरुद्ध किए जाने वाले दुर्व्यवहार को अपराध घोषित किया है। श्री शर्मा द्वारा एससीएसटी एक्ट में हुए नवीनतम  संशोधन के बारे में भी जानकारी दी एवं  अपने कार्यकाल के दौरान होने वाले अनुभवों को भी साझा करते हुए कहा कि लोक अभियोजक शोषित वर्ग के संवैधानिक अधिकारों के सजग प्रहरी बने।

इसके बाद कार्यशाला को संबोधित करते हुए विशेष अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश इंदौर द्वारा एससीएसटी एक्ट के संबंध में अन्वेषण में साक्ष्य संग्रहण एवं न्यायालय में साक्ष्य प्रस्तुति की प्रक्रिया पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता के लिए अधिनियम का समुचित पालन आवश्यक है । शोषित वर्ग के विरुद्ध हो रहे अपराध अमानवीय अपराध है। शोषित वर्ग के विरुद्ध हो रहे अपराध से सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने के लिए समाज में परिवर्तन आवश्यक है। परिवर्तन का एक रास्ता न्यायपालिका से भी निकलता है जिसमें सक्षम अभियोजन मील का पत्थर साबित होगा। इसी क्रम में संदीप पांडे डीपीओ अजाक जबलपुर द्वारा कार्यशाला को संबोधित करते हुए अनुसूचित जाति एवं जनजाति निवारण अधिनियम के विशिष्ट प्रावधानों की व्याख्या करते हुए कहा गया कि अभियोजन अधिकारियों को संवेदन शीलता से कार्य करना होता है। उसके बाद कार्यशाला संबोधित करते हुए  अनीता शुक्ला डीपीओ अजाक इंदौर द्वारा  एससी एसटी एक्ट पर उपलब्ध कानूनों की समुचित विवेचना की गई एवं अभियोजन की भूमिका को रेखांकित किया गया। कार्यशाला का संचालन संजय मीना डीपीओ धार द्वारा किया गया ।कार्यशाला आयोजित करवाने में एससीएसटी एक्ट स्टेट को-आर्डिनेटर मध्य प्रदेश तिलोकचंद बिल्लोरे  एवं प्रमुख जनसंपर्क अधिकारी लोक अभियोजन मध्य प्रदेश मौसमी तिवारी का विशेष रूप से योगदान रहा ।उपरोक्त प्रशिक्षण में उपसंचालक अभियोजन के.एस. मुवेल, जिला लोक अभियोजक सौभाग्य सिंह खिंची, लोक अभियोजक रवि प्रकाश राय एवं वर्षा जैन सहित समस्त  लोक अभियोजन अधिकारीयों ने भाग लिया।

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