मैं पीपल का पेड़, मुझे बचा लो
डिंडौरी (पप्पू पड़वार) - मैं वर्षों पुराना पीपल का पेड़ हूं। खरमेर नदी और मेरा नाता भी इतना ही पुराना है। बारिश में खरमेर का पानी जब विस्तार लेता है तो मुझ तक आ जाता है। लोग मेरी पूजा करते और मैं उनके स्वास्थ्य के लिए पूरी शिद्दत के साथ ऑक्सीजन छोड़ता। गर्मी के दिनों में नदी किनारे सुकून पाने के लिए लोग मेरी छांव में बैठा करते हैं। आगे की मेरी दास्तान दर्द भरी है। मैं सिस्टम का शिकार हो गया। डिंडौरी जिला अंतर्गत ग्राम पंचायत समनापुर के जिम्मेदारों ने मेरे करीब स्टाप डेम तो बनवा दिया लेकिन मेरी और किसी ने ध्यान नहीं दिया, डेम में जल भराव से पानी फैलने लगा। ढलान के चलते बारिश का बहने वाला पानी मेरी जड़ों को खोखला करने लगा है। मेरी जमीन से पकड़ कमजोर हो चुकी है। मैं कभी भी गिर सकता हूं। मेरी प्रार्थना है कि मुझे बचा लो।
चल रहे हरियाली उत्सव के दिनों में सामने आई इस पीपल की कहानी झकझोरने वाली है। जहां समनापुर जनपद क्षेत्र वृक्षारोपण का इतिहास बनाने जा रहा है, वहीं एक पीपल का पेड़ इतिहास बनने की कगार पर पहुंच चुका है।
यहां है ये पेड़
समनापुर जनपद मुख्यालय के डिंडौरी-बिछिया मुख्य मार्ग के नजदीक बर्मन मार्केट के पास खड़ा है यह लगभग 30 साल पुराना पेड़। बरसात का पानी खरमेर नदी में जा रहा है। इससे यहां पर 20 मीटर के क्षेत्र में भारी कटान हो रहा है। कटाव की वजह से बरसों पुराने पेड़ की जड़ों से मिट्टी हट चुकी है।
धर्म और पीपल
हिंदू धर्म में पीपल के वृक्ष को सबसे पवित्र और अनमोल माना गया है। वेदों में तो इसे मुख्य रूप से भगवान विष्णु का स्वरूप कहा गया है। इसके पत्तों, टहनियों यहां तक कि कोपलों को भी पावन बताते हुए उनमे देवी-देवताओं का वास माना गया है।
इस पेड़ की धार्मिक विशेषता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भगवान कृष्ण गीता में खुद ये कहते हैं कि "वृक्षों में मैं पीपल हूं।" वहीं दूसरी तरफ साइंस भी ये बात मानती है कि पीपल का पेड़ सबसे अधिक ऑक्सीजन पैदा करता है और इसलिए ये धरती के लिए जरूरी है।
धार्मिक कारणों से पीपल के वृक्ष को इसलिए भी महत्व दिया गया है क्योंकि इसके गुण शनि से काफी मिलते जुलते हैं, इतना ही नहीं पीपल को शनि के ईष्ट श्री कृष्ण का स्वरूप भी कहा गया है। मान्यताओं पर विश्वास करें तो पीपल से सम्बन्ध रखने वाले पिप्पलाद मुनि ने ही शनि को दंड दिया था और तभी से ये माना जाता है कि पीपल-वृक्ष की पूजा से शनि देव की पीड़ा शांत होती है।
वैज्ञानिक दृष्टि से पीपल
विश्व भर के सभी वृक्ष दिन में आक्सीजन छोड़ते हैं तथा कार्बनडाइआक्साईड ग्रहण करते हैं और रात को सभी वृक्ष कार्बन-डाइआक्साईड छोड़ते हैं तथा आक्सीजन लेते हैं, इसी कारण यह धारणा है कि रात को कभी भी पेड़ों के निकट नहीं सोना चाहिए। वैज्ञानिकों के अनुसार पीपल का पेड़ ही एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो कभी कार्बन डाईआक्साइड नहीं छोड़ता वह रात दिन के 24 घंटों में सदा ही आक्सीजन छोड़ता है इसलिए यह मानव उपकारी वृक्ष है।
आओ सब मिलकर बचाएं पेड़
समनापुर में एक-एक पेड़ बेशकीमती है। यह तो पीपल का है और लगभग 30 साल पुराना है। ऐसे में इस पेड़ का अपना महत्व है।(आजतक 24) आपसे अपील करता है कि पीपल के वृक्ष को बचाने के लिए पर्यावरण प्रेमी और स्वयंसेवी संस्थाएं आगे आएं।
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