सेवानिवृत्ति के 5 माह बाद भी कार्यरत रहे पंचायत सचिव | Sevanivritt ke 5 mah baad bhi karyrt rhe panchayat sachiv

सेवानिवृत्ति के 5 माह बाद भी कार्यरत रहे पंचायत सचिव

सेवानिवृत्ति के 5 माह बाद भी कार्यरत रहे पंचायत सचिव

डिंडौरी (पप्पू पड़वार) - डिंडौरी  जिले में प्रशासनिक व्यवस्थाएं दम तोड़ चुकी है यदि ऐसा कहा जाए तो गलत नहीं होगा। मनमानी कार्यप्रणाली और अनदेखी के चलते जिले में चलने वाले पंचायती राज की व्यवस्था आखिर कितना कारगर और जनहितकारी होगा , इस पर सवाल जरूर खड़े होते हैं। जब एैसे कारनामों की पोल खुलती दिखाई देती है तब जवाबदार उस पर लीपापोती करने और बड़े कारनामों पर उतर आते हैं यही वजह है कि आमजन को पंचायती राज व्यवस्था पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं रह गया है। अधिकारी बड़े से बड़े घोटाले, गड़बड़ी और शिकायत पर कार्यवाही करने को तैयार नहीं है। केवल कुर्सी की प्रतिष्ठा के दम पर इन्हें अधिकारी माना जा रहा है, वरना ये अपने अधिकारों और दायित्वों को तो पूरी तरह से भूल दे चुके हैं।


सेवानिवृत्ति के पांच माह तक कार्यरत रहे किवाड़ पंचायत में सचिव

ताजा मामला समनापुर जनपद पंचायत के किवाड़ पंचायत में पदस्थ सचिव अमरदास सोनवानी की सेवानिवृत्ति का है, जिनकी सेवा अवधि 30 मार्च 2020 को समाप्त होनी थी किंतु वह लगभग 5 माह बाद तक अपने पद पर कार्यरत रहे। इस संबंध में जानकारी लेने पर उनका कहना था कि उन्हें कुछ बुद्धिजीवियों से जानकारी मिली थी कि कोरोना काल के चलते उनका कार्यकाल एक वर्ष बढ़ गया है, इसलिए वे अपनी सेवाएं भी दे रहे थे और वेतन आहरण भी कर रहे थे। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि उन्हें दो दिन पूर्व 1 अप्रैल 2020 को जनपद समनापुर द्वारा पारित  आदेश व्हाट्सएप के माध्यम से मिला है, जिसमें मुझे सेवानिवृत्त होने व ग्राम पंचायत के सचिव का प्रभार भारत सिंह राजपूत को सौपे जाने के लिए आदेशित किया गया है। लेकिन आदेश मुझे 2 दिन पूर्व प्राप्त हुआ है जिसके कारण 1 अप्रैल को मेरा प्रभार देना संभव नहीं था।


क्या कहते है जनपद के अधिकारी

इस मामले में जब हमने श्री मुंशी लाल धुर्वे, सीईओ जनपद पंचायत समनापुर से चर्चा की तो उनका कहना था कि कोरोना काल में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों की सेवा अवधि बढ़ा दी गई थी, जिसके चलते उक्त सचिव अब तक कार्यरत था। किन्तु इन्हीं साहब के हस्ताक्षर से 1 अप्रैल को जारी आदेश और आज उनका जवाब दोनों ही बातें पूरी तरह से विरोधाभाषी है, परन्तु ये दोनों ही निर्णय और जानकारी एक ही व्यक्ति द्वारा की जा रही है,और यदि उनकी एक बात सही माने तो दूसरी गलत साबित हो जाती है। हालाकि सचिव का कहना है की उसे आदेश दो दिन पूर्व मिला है।

उल्लेखनीय यह भी है कि 1 अप्रैल को पूरे देश के शासकीय कार्यालय लॉकडाउन के कारण बंद थे तब जारी आदेश की दिनांक अपने आप में अद्वितीय नमूना लगता है और फिर इस आदेश का सचिव के व्हाट्सएप पर जारी दिनांक के पांच माह पहुंचना अनेकों सवाल खड़ा करता है। 

सेवानिवृत्ति की अवधि बढ़ाए जाने को लेकर जानकारी स्पष्ट नहीं है कुछ लोगों कहना है कि तीन माह का कार्यकाल बढ़ाया गया था कुछ बताते है कि यदि कोई सेवानिवृत्त होने वाला व्यक्ति इस दौरान अपना कार्यकाल बढ़ाने का आवेदन करता तो उसे अनुमति दी जा सकती थी, किंतु इस मामले में सब कुछ अनुमानित ही चलता रहा और सीईओ जनपद पंचायत समनापुर द्वारा दी जा रही जानकारी और आदेश दोनों में किसे अंतिम निर्णय माना जाए यह दुविधाजनक है। सीईओ जनपद यह भी बताते हैं कि उक्त सचिव की सेवा पुस्तिका समनापुर जनपद कार्यालय में उपलब्ध नहीं होने से कुछ स्पष्ट नहीं हो पाया, जिसके कारण भी निर्णय नहीं लिया जा सका। जनपद पंचायत जैसी महत्वपूर्ण संस्था जिसमें स्थापना शाखा का अपना अलग महत्व है। कार्यालय में कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका का ही नहीं होना बेहद अजीब सी बात है पर यह सच है इसकी पुष्टि जनपद के सीईओ ने स्वयं की है कि इस व्यक्ति की सेवा पुस्तिका अमरपुर जनपद पंचायत में है जहां यह पूर्व में पदस्थ था।

यह प्रकरण जनपद में जारी भर्राशाही का अद्भुत नमूना है,

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